
#चतरा #कोयला_परियोजना : टंडवा स्थित आम्रपाली कोल परियोजना में पांच गांव के रैयतों के बीच विवाद बढ़ाने और भूमि हड़पने के लिए प्रबंधन पर आरोप
- आम्रपाली प्रबंधन पर पांच गांव के रैयतों को आपस में लड़वाकर भूमि हड़पने का गंभीर आरोप।
- नई कंपनी नागार्जुन (NCC) के आने के बाद विवादों का माहौल बढ़ा।
- खातियानी रैयत जीवन दास ने फूट डालो राज करो की नीति और दलालों के जरिए रैयतों को भ्रमित करने का आरोप लगाया।
- रैयतों के साथ कोई अधिकारी संपर्क में नहीं हैं और भूमि पर उत्खनन के लिए वार्ता नहीं की जा रही।
- कंपनी सूत्रों का कहना है कि दलालों के दबाव में नियमों के विरुद्ध कार्य करने की योजना बनाई जा रही है।
टंडवा, चतरा में संचालित सीसीएल के आम्रपाली कोल परियोजना में चौथे फेज के कोयला उत्खनन और परिवहन कार्य के लिए टेंडर लेने वाली नई कंपनी नागार्जुन (NCC) के प्रवेश के बाद ही आम्रपाली प्रबंधन विवादों में घिरता नजर आ रहा है। पांच गांव के विस्थापित रैयतों के बीच फूट डालो और राज करो की नीति अपनाकर प्रबंधन रैयतों की भूमि पर नियंत्रण करना चाहता है।
रैयतों के आरोप और चिंता
खातियानी रैयत जीवन दास ने कहा कि आम्रपाली प्रबंधन निजी स्वार्थ के लिए रैयतों के बीच फूट डालने और दलालों के माध्यम से विवाद कराने का प्रयास कर रहा है।
जीवन दास ने कहा: “यदि आम्रपाली प्रबंधन दलालों के सहारे आपस में लड़वाना जारी रखता है तो हम कानूनी लड़ाई के लिए पूरी तरह तैयार हैं।”
उन्होंने यह भी बताया कि पांचों गांव के रैयतों तक कंपनी के कोई अधिकारी नहीं पहुँच रहे हैं और भूमि पर उत्खनन के लिए उनकी सहमति के बिना योजना बनाई जा रही है।
रैयतों की मांग
रैयतों ने कंपनी से स्पष्ट रूप से कहा है कि प्रत्येक गांव में बैठक के लिए विभागीय लेटर और समय-निर्धारित नोटिस जारी किया जाए। इससे रैयतों को अपनी पीड़ा और दुख को सीधे कंपनी तक पहुंचाने में आसानी होगी।
जीवन दास ने चेतावनी दी: “नोटिस और बैठक के बिना दलालों की गतिविधि कंपनी के लिए काल साबित हो सकती है।”
कंपनी के सूत्रों का बयान
कंपनी के अंदरूनी सूत्रों का कहना है कि दलालों के दबाव में कुछ लोग रैयतों को गुमराह कर रहे हैं और नियमों के विरुद्ध उत्खनन कार्य करने की योजना बनाई जा रही है। इस वजह से कंपनी भी इस विवाद में फंसी हुई है और संचालन में कठिनाइयों का सामना कर रही है।
न्यूज़ देखो: रैयत और प्रबंधन के बीच बढ़ता तनाव
यह मामला यह दर्शाता है कि बड़े औद्योगिक प्रोजेक्ट्स में स्थानीय रैयतों के हित और उनके अधिकारों की अनदेखी से विवाद उत्पन्न हो सकता है। कंपनी और प्रबंधन दोनों को पारदर्शिता के साथ रैयतों से संवाद स्थापित करना आवश्यक है। हर खबर पर रहेगी हमारी नजर।
जागरूक रहें और अधिकारों की रक्षा करें
अपने गांव और जमीन के अधिकारों के प्रति सजग रहें। यदि किसी प्रबंधन या दलालों के दबाव में अवैध गतिविधियाँ हो रही हैं तो कानूनी और सामाजिक माध्यमों से अपनी आवाज उठाएँ। इस खबर को साझा करें और अपने समुदाय को जागरूक बनाएं। अपने अधिकारों की रक्षा करना ही सशक्त नागरिकता की पहचान है।





