
#ठेठईटांगर #दुःखद_घटना : प्रसव के बाद बिगड़ी हालत में अरुणिमा बा का रिम्स में निधन, दो नवजातों की स्थिति गंभीर—प्रशासन ने तत्काल सहायता दी।
- ताराबोगा पंचायत की 30 वर्षीय अरुणिमा बा का प्रसवोत्तर स्थिति बिगड़ने से रिम्स रांची में निधन।
- 23 नवंबर 2025 को ऑपरेशन से जन्मे तीन शिशुओं में से दो गंभीर, कटहल मोड़ स्थित बलराम चिल्ड्रन हॉस्पिटल में उपचाररत।
- आर्थिक रूप से कमजोर परिवार शव लाने तक में संकट से जूझ रहा था।
- राशन कार्ड में नाम न जुड़ने से कई सरकारी योजनाओं का लाभ नहीं मिल पाया।
- जानकारी मिलते ही प्रशासन ने 10,000 रुपये नकद, 3 कंबल, 25 किलो अनाज की तत्काल राहत दी।
- अधिकारियों ने कहा—सभी सरकारी प्रावधानों के तहत मिलने वाली सहायता जल्द उपलब्ध कराई जाएगी।
ताराबोगा पंचायत की 30 वर्षीय अरुणिमा बा की प्रसवोत्तर स्थिति लगातार बिगड़ती रही और रविवार तड़के रिम्स, रांची में उपचार के दौरान उनका दुखद निधन हो गया। 23 नवंबर को ऑपरेशन के माध्यम से उन्होंने एक साथ तीन बेटों को जन्म दिया था, लेकिन प्रसव के बाद तबियत में सुधार नहीं हो सका। परिवार पर दुख और आर्थिक संकट दोनों का पहाड़ टूट पड़ा है। दो नवजातों की स्थिति बेहद नाजुक बनी हुई है और उनका इलाज रांची के बलराम चिल्ड्रन हॉस्पिटल में जारी है। घटना की जानकारी मिलते ही ठेठईटांगर प्रशासन तुरंत हरकत में आया और परिवार को तत्काल राहत दी। अधिकारियों ने आश्वस्त किया कि सभी सरकारी लाभ जल्द उपलब्ध कराए जाएंगे।
प्रसवोत्तर जटिलताओं के कारण अरुणिमा बा का निधन
अरुणिमा बा की स्थिति प्रसव के बाद से ही गंभीर थी। डॉक्टरों के प्रयासों के बावजूद स्वास्थ्य में सुधार नहीं हो सका।
ऑपरेशन के बाद भी हालत गंभीर
- 23 नवंबर 2025 को ऑपरेशन से तीन शिशुओं का जन्म।
- प्रसवोत्तर अवस्था में लगातार बिगड़ती रही तबीयत।
- रविवार तड़के रिम्स, रांची में निधन।
परिवार ने बताया कि स्थिति बिगड़ती गई लेकिन उन्हें लगातार बेहतर इलाज की उम्मीद बनी रही।
दो नवजातों की जीवन रक्षा के लिए संघर्ष
जन्मे तीन शिशुओं में से दो की हालत अभी भी चिंताजनक है।
रांची में जारी है उपचार
- दोनों नवजातों का इलाज बलराम चिल्ड्रन हॉस्पिटल, कटहल मोड़ रांची में।
- डॉक्टर लगातार प्रयासरत।
- परिवार अस्पताल खर्च के दबाव में।
नवजातों के जीवन को बचाने के लिए डॉक्टरों की टीम निगरानी में इलाज कर रही है।
आर्थिक संकट ने बढ़ाई पीड़ा
अरुणिमा बा के परिवार की स्थिति पहले से ही कमजोर थी। इस दुखद घटना ने हालात और कठिन बना दिए।
शव लाने तक में कठिनाई
- पति गुलशन बा गंभीर आर्थिक संकट में।
- रिम्स से शव लाना भी चुनौती बना।
- राशन कार्ड में अरुणिमा का नाम नहीं जुड़ा था, जिससे कई सरकारी योजनाएँ नहीं मिल सकीं।
परिवार ग्रामीण स्तर पर भी न्यूनतम सुविधाओं के लिए संघर्ष कर रहा था।
प्रशासन ने दी त्वरित राहत
घटना की सूचना मिलते ही ठेठईटांगर प्रखंड व अंचल प्रशासन सक्रिय हो गया।
तात्कालिक सहायता उपलब्ध
- 10,000 रुपये नकद सहायता
- 3 कंबल
- 25 किलो अनाज
- अधिकारियों ने आश्वासन दिया कि आगे की सभी सरकारी राहत और सहायता जल्द प्रदान की जाएगी।
प्रशासन की त्वरित कार्रवाई से परिवार को तत्काल राहत मिली है, हालांकि अभी भी आर्थिक सहायता और सामाजिक सहयोग की व्यापक जरूरत है।
न्यूज़ देखो: स्वास्थ्य प्रणाली और सामाजिक सुरक्षा पर गंभीर सवाल
यह दुखद घटना बताती है कि प्रसवोत्तर देखभाल और ग्रामीण स्वास्थ्य सेवाओं को और मजबूत करने की जरूरत है। साथ ही राशन कार्ड और अन्य सरकारी लाभों की उपलब्धता में देरी, गरीब परिवारों को संकट की स्थिति में और असुरक्षित बना देती है। प्रशासन की त्वरित राहत सराहनीय है, लेकिन दीर्घकालिक समाधान और मातृ–शिशु स्वास्थ्य सेवाओं को मजबूत करना अब अत्यावश्यक है।
हर खबर पर रहेगी हमारी नजर।
संवेदनशील समय में समाज और व्यवस्था दोनों को साथ खड़ा होना होगा
अरुणिमा बा का निधन केवल एक परिवार का नहीं, पूरे समाज का नुकसान है। ऐसे समय में सामुदायिक सहयोग, प्रशासनिक तत्परता और स्वास्थ्य सेवाओं की मजबूती—तीनों की जरूरत होती है।
आइए मातृ स्वास्थ्य, नवजात देखभाल और सामाजिक सुरक्षा के सवालों पर गंभीरता से सोचे, अपनी बात रखें और सुधार की मांग करें।
कमेंट में अपनी राय लिखें, खबर को साझा करें और जागरूकता फैलाने में अपना योगदान दें।
“`markdown





