
#गिरिडीह #शोक_संवेदना : मुंबई में कार्यरत प्रवासी मजदूर के आकस्मिक निधन से गांव में शोक का माहौल बना।
बिरनी प्रखंड के अरारी पंचायत अंतर्गत नावाडीह गांव में बुधवार को प्रवासी मजदूर राजेंद्र प्रसाद यादव का शव पहुंचते ही पूरे गांव में मातम छा गया। मुंबई में ड्राइवर के रूप में कार्यरत 33 वर्षीय राजेंद्र यादव का दो दिन पूर्व आकस्मिक निधन हो गया था। सूचना मिलते ही जिला परिषद उपाध्यक्ष छोटेलाल यादव गांव पहुंचे और शोकसंतप्त परिवार को ढांढस बंधाया। यह घटना प्रवासी मजदूरों की असुरक्षित जीवन परिस्थितियों को एक बार फिर सामने लाती है।
- मुंबई में कार्यरत प्रवासी मजदूर राजेंद्र यादव का दो दिन पूर्व आकस्मिक निधन।
- बुधवार सुबह शव गांव नावाडीह पहुंचते ही शोक में डूबा क्षेत्र।
- जिला परिषद उपाध्यक्ष छोटेलाल यादव ने परिजनों से मिलकर दी श्रद्धांजलि।
- मृतक अपने पीछे पत्नी और तीन छोटे बच्चों को छोड़ गया।
- जनप्रतिनिधियों और सैकड़ों ग्रामीणों की मौजूदगी में अंतिम संस्कार की तैयारी।
बिरनी प्रखंड क्षेत्र के अरारी पंचायत अंतर्गत ग्राम नावाडीह में बुधवार का दिन शोक और पीड़ा से भरा रहा। जब मुंबई से प्रवासी मजदूर राजेंद्र प्रसाद यादव का पार्थिव शरीर गांव पहुंचा, तो पूरे गांव में गमगीन माहौल बन गया। जैसे ही शव गांव में दाखिल हुआ, परिजनों के करुण क्रंदन से हर आंख नम हो गई। ग्रामीणों ने बताया कि राजेंद्र यादव परिवार की आजीविका का एकमात्र सहारा था, जिसकी असमय मौत ने पूरे परिवार को तोड़ कर रख दिया है।
राजेंद्र प्रसाद यादव, पिता स्वर्गीय शोबरण यादव, अरारी पंचायत की वार्ड सदस्य सुदामा देवी के पुत्र थे। लगभग 33 वर्षीय राजेंद्र मुंबई में रहकर ड्राइवर के रूप में कार्य करते थे और अपने परिवार का भरण-पोषण कर रहे थे। दो दिन पूर्व मुंबई में उनका अचानक निधन हो गया, जिसकी सूचना मिलते ही गांव में शोक की लहर दौड़ गई। लंबी प्रशासनिक प्रक्रिया के बाद बुधवार सुबह उनका शव गांव लाया गया।
गांव पहुंचते ही टूट पड़ा दुखों का पहाड़
जैसे ही पार्थिव शरीर नावाडीह गांव पहुंचा, पूरे गांव में मातमी सन्नाटा पसर गया। मृतक की पत्नी और बच्चों का रो-रोकर बुरा हाल था। राजेंद्र यादव अपने पीछे पत्नी के साथ दो पुत्र और एक पुत्री को छोड़ गए हैं। बच्चों की मासूम आंखों में पिता को खोने का दर्द साफ झलक रहा था। ग्रामीणों ने बताया कि राजेंद्र मेहनती और मिलनसार स्वभाव के व्यक्ति थे, जिनकी गांव में अच्छी पहचान थी।
सूचना मिलते ही पहुंचे जिला परिषद उपाध्यक्ष
घटना की सूचना मिलते ही गिरिडीह जिला परिषद उपाध्यक्ष सह भाजपा प्रदेश ओबीसी मोर्चा के प्रदेश उपाध्यक्ष छोटेलाल यादव मृतक के आवास पहुंचे। उन्होंने पार्थिव शरीर पर श्रद्धा सुमन अर्पित कर दिवंगत आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना की। इसके बाद उन्होंने शोकसंतप्त परिवार से मुलाकात कर उन्हें ढांढस बंधाया और हर संभव सहयोग का आश्वासन दिया।
जिला परिषद उपाध्यक्ष छोटेलाल यादव ने कहा: “राजेंद्र यादव की असमय मृत्यु बेहद दुखद है। वह अपने परिवार का एकमात्र सहारा थे। इस दुख की घड़ी में पूरा समाज परिवार के साथ खड़ा है और हम प्रशासनिक स्तर पर हर संभव सहायता दिलाने का प्रयास करेंगे।”
प्रवासी मजदूरों की कठिन हकीकत
राजेंद्र यादव की मौत ने एक बार फिर प्रवासी मजदूरों की कठिन जीवन परिस्थितियों को उजागर कर दिया है। रोजी-रोटी की तलाश में हजारों मजदूर अपने घर-परिवार से दूर महानगरों में काम करते हैं, जहां असुरक्षित परिस्थितियों और स्वास्थ्य सुविधाओं की कमी के कारण ऐसी घटनाएं सामने आती रहती हैं। गांव के लोगों ने सरकार से मांग की कि प्रवासी मजदूरों के लिए बेहतर सुरक्षा और सहायता व्यवस्था सुनिश्चित की जाए।
जनप्रतिनिधियों और ग्रामीणों की रही मौजूदगी
इस दुखद मौके पर कई जनप्रतिनिधि और सामाजिक कार्यकर्ता उपस्थित रहे। मृतक को अंतिम श्रद्धांजलि देने वालों में सांसद प्रतिनिधि देवनाथ राणा, मंडल अध्यक्ष लक्ष्मण सिंह, भाजपा नेता महेंद्र यादव, अरारी पंचायत के मुखिया प्रतिनिधि सुनील वर्मा, पंचायत समिति सदस्य पंकज यादव, मुखिया सहदेव यादव, पूर्व मुखिया प्रेमचंद प्रसाद कुशवाहा, बिरेंद्र यादव सहित सैकड़ों ग्रामीण शामिल थे।
सभी ने मृतक के परिजनों को ढांढस बंधाया और कहा कि इस कठिन समय में गांव और समाज परिवार के साथ खड़ा है। ग्रामीणों ने आपसी सहयोग से अंतिम संस्कार की तैयारियों में भी मदद की।
प्रशासनिक सहायता की उम्मीद
परिजनों ने प्रशासन से आर्थिक सहायता और सरकारी योजनाओं का लाभ दिलाने की मांग की है, ताकि मृतक के बच्चों का भविष्य सुरक्षित हो सके। स्थानीय जनप्रतिनिधियों ने आश्वासन दिया कि वे प्रशासन से समन्वय कर पीड़ित परिवार को हर संभव सरकारी सहायता दिलाने का प्रयास करेंगे।
सामाजिक एकजुटता की मिसाल
इस दुखद घटना के बीच गांव में जो एकजुटता देखने को मिली, वह सामाजिक संवेदनशीलता का उदाहरण है। गांव के लोगों ने बताया कि राजेंद्र यादव के परिवार की मदद के लिए सामूहिक प्रयास किए जाएंगे, ताकि उनके बच्चों की पढ़ाई और परिवार की जरूरतें पूरी हो सकें।
न्यूज़ देखो: प्रवासी मजदूरों की पीड़ा फिर आई सामने
राजेंद्र यादव की असमय मौत प्रवासी मजदूरों की असुरक्षित जिंदगी की एक और कड़वी सच्चाई है। स्थानीय जनप्रतिनिधियों का आगे आना राहत देने वाला है, लेकिन स्थायी समाधान के लिए ठोस नीतियों की जरूरत है। सवाल यह है कि कब प्रवासी मजदूरों की सुरक्षा और सामाजिक संरक्षण को प्राथमिकता दी जाएगी। हर खबर पर रहेगी हमारी नजर।
संवेदना से आगे बढ़कर सहयोग की जरूरत
दुख की इस घड़ी में सिर्फ शोक व्यक्त करना ही नहीं,
बल्कि पीड़ित परिवार के भविष्य को सुरक्षित करना भी समाज की जिम्मेदारी है।
यदि आप मानते हैं कि प्रवासी मजदूरों के लिए मजबूत सुरक्षा तंत्र जरूरी है,
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