
#गुमला #जागरूकता_कार्यक्रम : बघिमा स्थित राजकीय बुनियादी विद्यालय में अंतर्राष्ट्रीय मानवाधिकार दिवस पर कानूनी व सामाजिक अधिकारों को लेकर विशेष जागरूकता कार्यक्रम आयोजित किया गया।
- बघिमा विद्यालय में जिला विधिक सेवा प्राधिकार, गुमला द्वारा जागरूकता कार्यक्रम आयोजित।
- ध्रुव चंद्र मिश्रा और रामकुमार लाल गुप्ता के मार्गदर्शन में कार्यक्रम सम्पन्न हुआ।
- PLV राजू साहू ने मानवाधिकार, बाल विवाह, एचआईवी/एड्स व निशुल्क विधिक सेवा पर जानकारी दी।
- 10 दिसंबर 1948 को मानवाधिकार दिवस की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि बताई गई।
- ग्रामीणों, महिलाओं, मजदूरों और आशा कार्यकर्ताओं ने सक्रिय रूप से भाग लिया।
पालकोट प्रखंड के बघिमा स्थित राजकीय बुनियादी विद्यालय में आज अंतर्राष्ट्रीय मानवाधिकार दिवस के अवसर पर एक महत्वपूर्ण जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन किया गया। यह कार्यक्रम नालसा नई दिल्ली तथा झालसा रांची के दिशा-निर्देशन में जिला विधिक सेवा प्राधिकार, गुमला द्वारा संचालित रहा। कार्यक्रम में विभिन्न वर्गों के लोगों की भागीदारी उल्लेखनीय रही। कार्यक्रम का उद्देश्य लोगों को मानवाधिकारों, सामाजिक सुरक्षा और सरकारी सहायता सेवाओं के बारे में जागरूक करना था। आयोजन के दौरान उपस्थित विशेषज्ञों ने मानवाधिकार दिवस के इतिहास से लेकर वर्तमान कानूनी अधिकारों तक सभी पहलुओं पर विस्तार से चर्चा की।
कार्यक्रम का आयोजन और नेतृत्व
यह जागरूकता कार्यक्रम जिला विधिक सेवा प्राधिकार, गुमला के अध्यक्ष ध्रुव चंद्र मिश्रा एवं सचिव रामकुमार लाल गुप्ता के मार्गदर्शन में आयोजित किया गया। कार्यक्रम में विद्यालय प्रशासन, स्थानीय प्रतिनिधियों, ग्रामीणों एवं छात्र-छात्राओं की सक्रिय उपस्थिति रही। कार्यक्रम का उद्देश्य था कि समाज के कमजोर, पिछड़े, श्रमिक और जरूरतमंद वर्गों को उनके कानूनी अधिकारों के प्रति सजग किया जाए।
PLV राजू साहू ने दिए महत्वपूर्ण मानवाधिकार और कानूनी जानकारी
कार्यक्रम में प्रमुख वक्ता के रूप में PLV राजू साहू मौजूद रहे। उन्होंने समाज के विभिन्न तबकों—ग्रामीण परिवारों, मजदूर वर्ग, आशा कार्यकर्ताओं, महिलाओं, एचआईवी/एड्स प्रभावित व्यक्तियों और बाल विवाह से प्रभावित क्षेत्रों—को विस्तार से जागरूक किया।
उन्होंने बताया:
PLV राजू साहू ने कहा: “मानवाधिकार प्रत्येक व्यक्ति का मूलभूत अधिकार है। समाज में कोई भी व्यक्ति भेदभाव, हिंसा या उत्पीड़न का शिकार न हो, यह सुनिश्चित करना हमारा सामूहिक दायित्व है।”
राजू साहू ने बाल विवाह, महिला सुरक्षा, एचआईवी/एड्स से पीड़ित व्यक्तियों के अधिकार, मुफ़्त कानूनी सहायता, एवं सरकारी विधिक सेवा योजनाओं के बारे में विस्तार से जानकारी दी।
मानवाधिकार दिवस का इतिहास और महत्व
कार्यक्रम में प्रतिभागियों को बताया गया कि 10 दिसंबर 1948 को संयुक्त राष्ट्र द्वारा मानवाधिकारों की सार्वभौमिक घोषणा (Universal Declaration of Human Rights) पारित की गई थी। इसी दिन को विश्वभर में अंतर्राष्ट्रीय मानवाधिकार दिवस के रूप में मनाया जाता है।
इस घोषणा का उद्देश्य था कि दुनिया के हर व्यक्ति को जीवन, स्वतंत्रता, समानता, शिक्षा, सुरक्षा और न्याय जैसे बुनियादी अधिकार बिना किसी भेदभाव के प्राप्त हों।
निशुल्क विधिक सहायता सेवाओं पर विशेष जानकारी
कार्यक्रम के दौरान जिला विधिक सेवा प्राधिकार, गुमला द्वारा उपलब्ध कराई जाने वाली सेवाओं की भी जानकारी दी गई। लोगों को बताया गया कि वे आर्थिक स्थिति कमजोर होने पर भी अदालत में मुफ्त कानूनी सहायता प्राप्त कर सकते हैं।
इसके अंतर्गत—
- मुफ्त वकील
- कानूनी परामर्श
- कानूनी दस्तावेज सहायता
- विवाद निवारण उपाय
जैसी सुविधाएँ दी जाती हैं।
यह जानकारी ग्रामीणों और उपस्थित लोगों के लिए अत्यंत उपयोगी रही, क्योंकि अधिकांश लोग इस सेवा से अनभिज्ञ थे।
ग्रामीणों की सक्रिय भागीदारी और सकारात्मक प्रतिक्रिया
स्थानीय ग्रामीणों, महिलाओं, विद्यार्थी समूह, आशा कार्यकर्ताओं और मजदूरों ने इस कार्यक्रम में बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया। प्रतिभागियों ने बताया कि इस तरह की जागरूकता पहल गांवों में कानूनी जागरूकता बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। लोगों ने इस कार्यक्रम के आयोजन के लिए जिला विधिक सेवा प्राधिकार का आभार जताया और भविष्य में भी ऐसे आयोजन जारी रखने की मांग की।
न्यूज़ देखो: ग्रामीण जागरूकता में बड़ा कदम
यह कार्यक्रम स्पष्ट संकेत देता है कि कानूनी और मानवाधिकार संबंधित जागरूकता ग्रामीण समुदायों में तेज़ी से बढ़ रही है। जिला विधिक सेवा प्राधिकार द्वारा इस प्रकार के कार्यक्रम न केवल अधिकारों की समझ विकसित करते हैं, बल्कि न्याय व्यवस्था के प्रति भरोसा भी मजबूत करते हैं। ऐसे आयोजन समाज के कमजोर वर्गों तक कानून की पहुँच को सशक्त बनाते हैं।
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जागरूक समाज ही मजबूत लोकतंत्र की नींव
जब लोग अपने अधिकार और कर्तव्यों के बारे में जागरूक होते हैं, तभी समाज में न्याय और समानता की भावना विकसित होती है। मानवाधिकार दिवस जैसे अवसर हमें यह याद दिलाते हैं कि हर व्यक्ति की गरिमा सर्वोपरि है। आप भी अपने आस-पास जागरूकता फैलाएं, बच्चों, महिलाओं और कमजोर वर्गों के अधिकारों के लिए आवाज उठाएं।
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