Garhwa

वनवासी रक्षा परिवार फाउंडेशन में छठ पर्व पर जागरूकता सत्र, भगवान सूर्य की कथा और वैज्ञानिक पहलू

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#गढ़वा #छठपूजा : वनवासी रक्षा परिवार फाउंडेशन के राधिका प्रतिभा विकास केंद्र में लोक आस्था और विज्ञान से जुड़ा विशेष सत्र आयोजित
  • वनवासी रक्षा परिवार फाउंडेशन (VRPF) के राधिका प्रतिभा विकास केंद्र, पश्चिम टोला, डंडई में छठ पूजा की परंपराओं और वैज्ञानिक महत्व पर विशेष जानकारी सत्र हुआ।
  • सत्र का संचालन आचार्य राकेश कुमार ने किया, जिसमें बड़ी संख्या में छात्र-छात्राएँ, अभिभावक और ग्रामीण शामिल हुए।
  • चार दिनों के अनुष्ठान की धार्मिक विधियाँ और आध्यात्मिक महत्व विस्तार से बताए गए।
  • सेवाव्रती रामकिशुन ठाकुर ने छठ पूजा के वैज्ञानिक और पौराणिक दोनों पहलुओं को समझाया।
  • आयोजन ने क्षेत्र में आस्था, स्वच्छता और सांस्कृतिक जागरूकता का वातावरण बनाया।

गढ़वा के डंडई प्रखंड के पश्चिम टोला स्थित वनवासी रक्षा परिवार फाउंडेशन के राधिका प्रतिभा विकास केंद्र में रविवार को लोक आस्था के महापर्व छठ पूजा को लेकर एक विशेष सत्र आयोजित किया गया। इस आयोजन में बच्चों से लेकर ग्रामीणों तक की उपस्थिति रही, जहाँ पूजा के आध्यात्मिक, सांस्कृतिक और वैज्ञानिक पहलुओं पर विस्तार से चर्चा की गई।

छठ पर्व का चार दिवसीय अनुष्ठान और आध्यात्मिक अर्थ

आचार्य राकेश कुमार ने छठ पूजा की परंपराओं का विस्तृत परिचय दिया। उन्होंने बताया कि यह चार दिनों का कठोर तप और अनुशासन का पर्व है, जिसमें आत्मसंयम, स्वच्छता और भक्ति का गहरा अर्थ छिपा है।

आचार्य राकेश कुमार ने कहा: “छठ पर्व केवल पूजा नहीं, बल्कि आत्मशुद्धि और प्रकृति के प्रति कृतज्ञता का प्रतीक है। नहाय-खाय से लेकर उषा अर्घ्य तक हर चरण जीवन में अनुशासन और संतुलन सिखाता है।”

उन्होंने बताया कि व्रतधारी सूर्य और जल के माध्यम से प्रकृति के साथ सामंजस्य स्थापित करते हैं। यह पर्व परिवार, समाज और पर्यावरण के प्रति आभार व्यक्त करने का अवसर है।

सूर्य उपासना और स्वच्छता का संबंध

सत्र के दौरान आचार्य राकेश कुमार ने कहा कि छठ पूजा स्वच्छता और पर्यावरण संरक्षण से गहराई से जुड़ी है। उन्होंने कहा कि पूजा का वास्तविक स्वरूप तभी पूर्ण होता है जब व्यक्ति अपने घर, घाट और परिवेश को पवित्र रखे।
ग्रामीणों ने भी बताया कि छठ पूजा के दौरान साफ-सफाई केवल धार्मिक नहीं, बल्कि सामाजिक जिम्मेदारी भी है। इस परंपरा के माध्यम से लोग एकजुट होकर अपने परिवेश को सुंदर और सुरक्षित बनाते हैं।

वैज्ञानिक दृष्टिकोण से छठ पर्व की व्याख्या

सेवाव्रती रामकिशुन ठाकुर ने छठ पूजा के वैज्ञानिक पहलुओं को सरल और रोचक तरीके से समझाया। उन्होंने सूर्य को अर्घ्य देने की प्रक्रिया को वैज्ञानिक दृष्टि से लाभकारी बताया।

सेवाव्रती रामकिशुन ठाकुर ने कहा: “डूबते और उगते सूर्य की किरणें शरीर के लिए अत्यंत लाभदायक होती हैं। यह त्वचा, आंखों और मानसिक स्वास्थ्य के लिए भी उपयोगी हैं। छठ पर्व का हर चरण विज्ञान और प्रकृति के अनुरूप है।”

उन्होंने यह भी बताया कि इस पर्व के माध्यम से लोग जल स्रोतों की स्वच्छता और संरक्षण के प्रति भी जागरूक होते हैं। सूर्य उपासना से व्यक्ति के भीतर सकारात्मक ऊर्जा और शुद्धता का संचार होता है।

बच्चों और समाज के लिए सीख का अवसर

आयोजन में उपस्थित विद्यार्थियों ने कहा कि उन्हें इस सत्र के माध्यम से छठ पूजा का गहरा अर्थ समझने का अवसर मिला। कई अभिभावकों ने इसे एक प्रेरणादायक पहल बताया जो नई पीढ़ी को अपनी जड़ों और संस्कृति से जोड़ती है।
सत्र के दौरान ग्रामीणों ने इस बात पर भी जोर दिया कि परंपराओं को केवल निभाने से अधिक जरूरी है, उनके पीछे के वैज्ञानिक और नैतिक मूल्यों को समझना।

समाज में बढ़ती आस्था और जागरूकता

इस कार्यक्रम के बाद केंद्र और आसपास के गांवों में छठ पर्व को लेकर उत्साह और सजगता का माहौल देखने को मिला। लोग अपने-अपने घरों और घाटों की सफाई में जुट गए। महिलाओं ने प्रसाद की तैयारी शुरू की और श्रद्धालुओं ने सूर्य उपासना के लिए घाटों को सजाना शुरू किया।
कार्यक्रम ने न केवल धार्मिक आस्था को प्रबल किया बल्कि समाज में स्वच्छता और एकता की भावना को भी सशक्त किया।

न्यूज़ देखो: आस्था, विज्ञान और स्वच्छता का संगम

वनवासी रक्षा परिवार फाउंडेशन का यह आयोजन केवल धार्मिक परंपरा का परिचय नहीं, बल्कि सामाजिक चेतना और पर्यावरणीय जिम्मेदारी का सशक्त उदाहरण है। इस तरह के कार्यक्रम समाज में ज्ञान, अनुशासन और सहअस्तित्व के मूल्य को बढ़ावा देते हैं।
हर खबर पर रहेगी हमारी नजर।

परंपरा से प्रेरणा, संस्कृति से स्वच्छता

छठ पर्व हमें यह सिखाता है कि आस्था तभी सार्थक है जब उसमें स्वच्छता, संयम और सेवा की भावना हो। इस आयोजन से हमें अपने परिवेश और समाज के प्रति नई जिम्मेदारी निभाने की प्रेरणा मिलती है। आइए, हम सब इस सांस्कृतिक धरोहर को सुरक्षित रखें, अपनी राय कमेंट करें और खबर को शेयर कर छठ पूजा के संदेश को दूर तक फैलाएं।

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Shashi Bhushan Mehta

डंडई, गढ़वा

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