Garhwa

बड़ी खबर: 14 महीनों से राशन से वंचित आदिवासी परिवारों की मदद के लिए आगे आए मुख्यमंत्री

  • गढ़वा जिले के भंडरिया प्रखंड के बिजका गांव में 45 आदिवासी परिवारों को 14 महीने से राशन नहीं मिला।
  • डीलर की अनाज कटौती का विरोध करने पर राशन मिलना पूरी तरह बंद कर दिया गया।
  • ग्रामीणों ने प्रखंड से लेकर राज्य स्तर तक शिकायतें कीं, लेकिन कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई।
  • झारखंड जनाधिकार महासभा के हस्तक्षेप के बाद मुख्यमंत्री ने डीसी को तुरंत कार्रवाई का निर्देश दिया।

क्या है मामला?

गढ़वा जिले के भंडरिया प्रखंड स्थित बिजका गांव के 45 आदिवासी परिवार पिछले 14 महीनों से राशन से वंचित हैं।

  • स्थानीय राशन डीलर द्वारा अनाज में कटौती की जाती थी।
  • ग्रामीणों ने इसका विरोध किया, तो राशन पूरी तरह बंद कर दिया गया।
  • पीड़ित परिवारों ने भंडरिया, गढ़वा, रांची, जिला आपूर्ति पदाधिकारी (DSO), प्रखंड विकास पदाधिकारी (BDO) और उपायुक्त (DC) तक शिकायत की।
  • लेकिन अब तक सिर्फ आश्वासन मिले, कोई ठोस समाधान नहीं हुआ।

प्रशासन की लापरवाही

  • प्रशासन ने ग्रामीणों से कहा कि वे 14 महीने के बजाय केवल 2 महीने का राशन ले लें।
  • ग्रामीणों के बार-बार आवेदन देने के बावजूद, अब तक राशन बहाल नहीं हुआ।
  • इससे गांव के लोगों को भारी कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है।

जनाधिकार महासभा की मांग

  • झारखंड जनाधिकार महासभा ने प्रशासन की निष्क्रियता पर सवाल उठाए।
  • उन्होंने मांग की कि सभी परिवारों को 14 महीने का बकाया राशन और मुआवजा मिले।
  • साथ ही दोषी डीलर और अधिकारियों पर सख्त कार्रवाई हो।

मुख्यमंत्री का हस्तक्षेप

इस मुद्दे पर झारखंड जनाधिकार महासभा ने सोशल मीडिया पर आवाज उठाई, जिसके बाद मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने गढ़वा के उपायुक्त (DC) को निर्देश दिया:

“यह स्थिति बिल्कुल बर्दाश्त के काबिल नहीं है। तत्काल मामले का संज्ञान लें एवं सभी परिवारों को उनका हक दिलाएं। साथ ही इस स्थिति के लिए दोषी सभी व्यक्तियों पर न्यायोचित कार्रवाई कर सूचना दें।”

अब क्या होगा?

मुख्यमंत्री के हस्तक्षेप के बाद, उम्मीद की जा रही है कि:

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  • प्रशासन जल्द से जल्द इन 45 परिवारों को राशन और मुआवजा देगा।
  • डीलर और संबंधित अधिकारियों के खिलाफ जांच होगी।
  • भविष्य में इस तरह की लापरवाही न हो, इसके लिए कड़े कदम उठाए जाएंगे।

न्यूज़ देखो:

गढ़वा के आदिवासी परिवारों की यह समस्या प्रशासन की लापरवाही को उजागर करती है। गरीब और वंचित समुदायों को उनका अधिकार दिलाने के लिए ठोस कार्रवाई जरूरी है। ऐसी खबरों से जुड़े अपडेट के लिए जुड़े रहें ‘न्यूज़ देखो’ के साथ।

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