
#महुआडांड़ #स्वास्थ्य_संकट : महीनों से ताला लटकने से इलाज ठप, टीकाकरण और दवा वितरण भी प्रभावित
- करोड़ों की लागत से बना केंद्र महीनों से अनियमित।
- ग्रामीण इलाज, दवा, टीकाकरण के लिए भटकने को मजबूर।
- समय पर गर्भवती महिलाओं की जांच और बच्चों का टीकाकरण प्रभावित।
- स्वास्थ्य विभाग की अस्थायी सक्रियता, स्थायी समाधान अभी नहीं।
- सुधार न होने पर ग्रामीणों ने आंदोलन की चेतावनी दी।
महुआडांड़ प्रखंड अंतर्गत बराही गांव में करोड़ों रुपये की लागत से निर्मित आयुष्मान आरोग्य मंदिर पिछले कई महीनों से अनियमित रूप से संचालित हो रहा है। ग्रामीणों का कहना है कि जब वे इलाज, टीकाकरण, दवा वितरण, गर्भवती महिलाओं की नियमित जांच या बच्चों के स्वास्थ्य परीक्षण के लिए यहां पहुंचते हैं, तो अधिकतर समय केंद्र पर ताला लटका मिलता है। कई बार लोग सुबह से शाम तक इंतजार करते हैं, लेकिन कोई स्वास्थ्यकर्मी नहीं आता।
इलाज के बिना भटक रहे ग्रामीण
केंद्र बंद रहने के कारण मरीजों को मजबूरी में प्रखंड मुख्यालय के सरकारी अस्पताल या निजी क्लिनिकों का सहारा लेना पड़ता है, जहां उन्हें अधिक खर्च उठाना पड़ता है। ग्रामीण बताते हैं कि जब मीडिया में खबरें छपती हैं तब विभाग कुछ दिनों तक सक्रिय दिखता है, लेकिन फिर स्थिति पहले जैसी हो जाती है। इससे स्पष्ट है कि स्वास्थ्य विभाग स्थायी समाधान पर ध्यान नहीं दे रहा।
सबसे ज्यादा प्रभावित महिलाएं, बच्चे और बुजुर्ग
अव्यवस्था का सबसे गंभीर असर गर्भवती महिलाओं, नवजात शिशुओं, छोटे बच्चों, बुजुर्गों और गंभीर रोगों से पीड़ित मरीजों पर पड़ रहा है।
- समय पर ANC जांच नहीं हो पा रही।
- बच्चों का टीकाकरण अधूरा रह रहा है।
- टीबी, बीपी, शुगर जैसे रोगों के मरीजों को नियमित दवाएं नहीं मिल रही हैं।
यह स्थिति आयुष्मान भारत योजना के जमीनी क्रियान्वयन पर सवाल खड़े करती है और ग्रामीण स्वास्थ्य ढांचे की वास्तविकता उजागर करती है।
स्थायी समाधान की मांग, आंदोलन की चेतावनी
बराही गांव के लोगों में गहरी नाराजगी है। ग्रामीणों ने चेतावनी दी है कि यदि जल्द स्थिति नहीं सुधरी तो वे प्रखंड कार्यालय के समक्ष आंदोलन करेंगे। उनकी मुख्य मांगें हैं—
- केंद्र प्रतिदिन तय समय पर खुले।
- लापरवाह कर्मियों पर कार्रवाई हो।
- नियमित निगरानी और जांच सुनिश्चित की जाए।
एक ग्रामीण ने कहा, “केंद्र तो बन गया, लेकिन इलाज की व्यवस्था नहीं है… यह जनता के टैक्स के पैसे की बर्बादी है।”
न्यूज़ देखो: जमीनी स्वास्थ्य व्यवस्था पर बड़ा सवाल
बराही में आयुष्मान आरोग्य मंदिर की अव्यवस्था बताती है कि केवल भवन निर्माण स्वास्थ्य सुधार नहीं कहलाता। जब तक मानव संसाधन, निगरानी और जवाबदेही सुनिश्चित नहीं होगी, ग्रामीण क्षेत्रों में स्वास्थ्य सेवाएँ कागज़ों तक सीमित रहेंगी।
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स्वास्थ्य को अधिकार समझें, व्यवस्था को जवाबदेह बनाएं
अपने क्षेत्र में स्वास्थ्य सुविधाओं की निगरानी में सक्रिय भूमिका निभाएँ।
समस्या होने पर सामूहिक रूप से प्रशासन को सूचित करें।
महिलाओं और बच्चों के स्वास्थ्य कार्यक्रमों में पूर्ण उपस्थिति सुनिश्चित करें।
स्वास्थ्य सेवाओं में लापरवाही किसी की जान जोखिम में डाल सकती है—जागरूक बनें, दूसरों को भी जागरूक करें।
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