
#गढ़वा #घरेलूविवाद : पारिवारिक झगड़े ने ली जान, परिवार पर टूटा दुख का पहाड़
- भवनाथपुर थाना क्षेत्र के सिंदुरिया टाउनशिप में बुधवार देर शाम विवाद।
- पति संजय डोम ने पत्नी रेशमा देवी की की लाठी-डंडे से पिटाई।
- गंभीर चोट के बाद अस्पताल ले जाने पर महिला को मृत घोषित किया गया।
- पत्नी की मौत की खबर सुनकर पति ने विषपान कर आत्महत्या का प्रयास किया।
- पति की हालत नाजुक, डॉक्टरों ने गढ़वा सदर अस्पताल रेफर किया।
- मृतका के पीछे तीन मासूम बच्चे बेसहारा हो गए।
भवनाथपुर। गढ़वा जिले के भवनाथपुर थाना क्षेत्र अंतर्गत सिंदुरिया टाउनशिप में बुधवार की शाम एक पारिवारिक विवाद ने पूरे इलाके को हिला दिया। झोपड़ी में रहने वाले संजय डोम और उसकी पत्नी रेशमा देवी के बीच अचानक झगड़ा इतना बढ़ गया कि मामला मारपीट तक पहुंच गया।
विवाद से हिंसा तक
बताया जा रहा है कि संजय डोम (पिता स्व. रामनाथ डोम) ने गुस्से में आकर अपनी पत्नी की लाठी-डंडे से पिटाई कर दी। गंभीर हालत में उसे पड़ोसियों की मदद से सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र भवनाथपुर पहुंचाया गया। लेकिन डॉक्टरों ने जांच के बाद उसे मृत घोषित कर दिया।
पत्नी की मौत पर पति का आत्मघाती कदम
पत्नी की मौत की सूचना मिलते ही संजय डोम ने भी विषपान कर आत्महत्या की कोशिश की। उसकी हालत बिगड़ने पर तुरंत सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में भर्ती कराया गया, जहां प्राथमिक इलाज के बाद गंभीर स्थिति को देखते हुए उसे गढ़वा रेफर कर दिया गया।
Update : 1:30pm : गढ़वा सदर अस्पताल में इलाज के दौरान पति की भी मौत
बच्चों पर टूटा संकट
इस दर्दनाक घटना के बाद तीन मासूम बच्चे अचानक माता-पिता के साए से वंचित हो गए। एक ओर मां की मौत हो गई तो दूसरी ओर पिता जिंदगी और मौत से जूझ रहा है। पड़ोसियों और ग्रामीणों का कहना है कि घर में अक्सर झगड़े होते थे, लेकिन इस बार स्थिति इतनी भयावह हो जाएगी, किसी ने सोचा भी नहीं था।
न्यूज़ देखो: गुस्से की आग में झुलसता परिवार
भवनाथपुर की यह घटना बताती है कि गुस्से और हिंसा का परिणाम कितना खौफनाक हो सकता है। एक परिवार टूट गया और तीन मासूम बच्चों का भविष्य अंधेरे में चला गया। समाज के लिए यह बड़ी सीख है कि पारिवारिक विवादों का समाधान बातचीत और धैर्य से ही संभव है।
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परिवार में संवाद से ही बच सकती हैं त्रासदियां
यह घटना चेतावनी है कि गुस्से पर नियंत्रण और संवाद की संस्कृति ही परिवार को बचा सकती है। हमें घरेलू विवादों को समय रहते सुलझाने की आदत डालनी होगी। अब समय है कि हम सब मिलकर ऐसे मामलों पर संवेदनशील हों और हिंसा की जगह समझ का रास्ता अपनाएं। अपनी राय कॉमेंट करें और इस खबर को दोस्तों तक पहुंचाएं ताकि जागरूकता फैले।