
#दुमका #शिक्षकसमारोह : सेवा और समर्पण की मिसाल बने सेवानिवृत्त प्रधानाध्यापक का सम्मान
- 27 अगस्त 2025 को मध्य विद्यालय हिजला में हुआ आयोजन।
- आदिवासी झारखंड प्राथमिक शिक्षक संघ के बैनर तले विदाई सह सम्मान समारोह।
- कन्या मध्य विद्यालय गोपीकांदर के सेवानिवृत्त प्रधानाध्यापक को भावभीनी विदाई।
- समारोह में झारखंड राज्य प्राथमिक शिक्षक संघ जिलाध्यक्षा मेरिला मुर्मू मुख्य अतिथि रहीं।
- एआईपीटीएफ नेशनल काउंसलर रसिक बास्की विशिष्ट अतिथि के रूप में शामिल हुए।
- जिले भर के शिक्षक-शिक्षिकाओं की उपस्थिति से कार्यक्रम बना यादगार।
दुमका। कल दिनांक 27 अगस्त 2025 को दुमका जिले के मध्य विद्यालय हिजला परिसर में एक भावनात्मक और गरिमामयी माहौल देखने को मिला। आदिवासी झारखंड प्राथमिक शिक्षक संघ के बैनर तले आयोजित इस कार्यक्रम में कन्या मध्य विद्यालय गोपीकांदर के सेवानिवृत्त प्रधानाध्यापक को भावभीनी विदाई दी गई।
सेवा और समर्पण की मिसाल
यह समारोह केवल एक विदाई नहीं था बल्कि एक लंबी शैक्षणिक यात्रा और अनुकरणीय सेवा भाव का सम्मान भी था। सेवानिवृत्त प्रधानाध्यापक ने न केवल शिक्षा के क्षेत्र में अपनी अमिट छाप छोड़ी बल्कि दुमका जिले के एकमात्र शिक्षक रहे जिन्होंने निकासी एवं व्ययन पदाधिकारी की महत्वपूर्ण भूमिका भी निभाई।
विशिष्ट अतिथियों की मौजूदगी
इस अवसर पर मंच की शोभा बढ़ाई झारखंड राज्य प्राथमिक शिक्षक संघ, दुमका जिलाध्यक्षा श्रीमती मेरिला मुर्मू ने, जो समारोह की मुख्य अतिथि थीं। वहीं, विशिष्ट अतिथि के रूप में एआईपीटीएफ नेशनल काउंसलर, नई दिल्ली से श्री रसिक बास्की उपस्थित रहे। कार्यक्रम का मंच संचालन श्री नरेश मरांडी ने बेहतरीन तरीके से किया।
संगठन और शिक्षकों की गरिमामयी उपस्थिति
समारोह में संघ के कई वरिष्ठ पदाधिकारी एवं शिक्षक-शिक्षिकाओं ने उपस्थिति दर्ज कराई। इनमें शामिल थे –
- आदिवासी झारखंड प्राथमिक शिक्षक संघ, दुमका जिलाध्यक्ष श्री गोनोलाल सोरेन,
- महासचिव श्री इसहाक मरांडी,
- सचिव श्री नंदकिशोर बास्की,
- राज्य प्रतिनिधि श्री नायकी सोरेन,
- अखिल झारखंड प्राथमिक शिक्षक संघ, दुमका जिलाध्यक्ष श्री जोएल हांसदा।
इसके अलावा संघ के सक्रिय सदस्य और शिक्षक-शिक्षिकाएं – लुखीराम हांसदा, सत्येंद्र मुर्मू, बाबूलाल हेंब्रम, मैनेजर टुडू, रमेश मुर्मू, सनातन किस्कू, राजेंद्र टुडू, फूलकुमारी हांसदा, सुभाष मुर्मू, सोनोत मुर्मू, देवानंद सोरेन, फिलिप सोरेन, गोवर्धन हेंब्रम, बाबूलाल हांसदा सहित बड़ी संख्या में शिक्षकों की भागीदारी रही।
भावनात्मक पल और विदाई
कार्यक्रम में वक्ताओं ने सेवानिवृत्त प्रधानाध्यापक के कार्यकाल, उनकी ईमानदारी, निष्ठा और शिक्षा के प्रति समर्पण को याद किया। सभी ने माना कि उनकी कड़ी मेहनत और अनुशासनप्रियता आने वाली पीढ़ी के लिए प्रेरणा बनेगी। इस दौरान भावनाओं से भरे कई क्षण भी देखने को मिले, जब सहकर्मी और विद्यार्थी प्रतिनिधियों ने उन्हें शुभकामनाएं दीं।
न्यूज़ देखो: शिक्षा की नींव मजबूत करने वालों को मिला सच्चा सम्मान
दुमका का यह आयोजन हमें याद दिलाता है कि शिक्षक केवल पढ़ाने वाला नहीं, बल्कि समाज को दिशा देने वाला स्तंभ होता है। ऐसे शिक्षकों का सम्मान करना सिर्फ उनका नहीं, बल्कि पूरे शिक्षा तंत्र का गौरव है।
हर खबर पर रहेगी हमारी नजर।
शिक्षा का सम्मान समाज की पहचान
शिक्षक समाज के मार्गदर्शक और बच्चों के भविष्य निर्माता होते हैं। ऐसे में उनका सम्मान करना हमारी सांस्कृतिक और सामाजिक जिम्मेदारी है। अब समय है कि हम सब मिलकर शिक्षकों के योगदान को पहचानें और आने वाली पीढ़ियों तक यह संदेश पहुँचाएं। अपनी राय कॉमेंट करें और इस खबर को दोस्तों के साथ साझा करें ताकि प्रेरणा हर जगह फैले।