
#पटना #हीटवेवचेतावनी – बिहार के दक्षिण और पश्चिम मध्य जिलों में तापमान 44 डिग्री पार, मौसम विभाग की एडवाइजरी जारी
- 22 से 25 अप्रैल के बीच लू और उष्ण रात्रि का गंभीर पूर्वानुमान
- अधिकतम तापमान में 2-4 डिग्री तक वृद्धि की संभावना
- बुजुर्ग, बच्चे और बीमार वर्ग के लिए विशेष सावधानी की अपील
- कृषि और पशुधन पर पड़ सकता है हीट स्ट्रेस का सीधा असर
- पेय पदार्थों और छायादार स्थानों के उपयोग की सख्त सलाह
- फसल बचाव हेतु कृषि विज्ञान केंद्रों से संपर्क की अपील
बढ़ते तापमान का असर : कौन हैं सबसे ज्यादा प्रभावित
मौसम विज्ञान केंद्र, पटना द्वारा जारी अलर्ट के अनुसार बिहार के दक्षिण और पश्चिम मध्य भागों में 22 से 25 अप्रैल 2025 तक लू (Heat Wave) और उष्ण रात्रि (Warm Night) की स्थिति बने रहने की प्रबल संभावना है। इस दौरान गया, औरंगाबाद, बक्सर, भोजपुर, नवादा, रोहतास, शेखपुरा, अरवल और जमुई जैसे जिलों में तेज़ गर्मी का खासा असर देखा जा सकता है।
विशेषज्ञों के अनुसार, इस दौरान अधिकतम तापमान 44 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच सकता है, जिससे लोगों को असहनीय गर्मी का सामना करना पड़ेगा। हवा में नमी की मात्रा अधिक रहने के कारण फील टेम्परेचर (Feels Like Temperature) और भी ज्यादा महसूस होगा।
IMD की चेतावनी और वैज्ञानिक विश्लेषण
उष्ण रात्रि और लू की वैज्ञानिक परिभाषा
प्रेस विज्ञप्ति के अनुसार, जब मैदानी इलाकों में अधिकतम तापमान 40°C या उससे ऊपर चला जाता है और यह सामान्य से 4.5°C से 6.4°C अधिक होता है, तो उसे हीट वेव कहा जाता है। यदि यह अंतर 6.4°C से अधिक हो, तो वह भीषण हीट वेव मानी जाती है।
इसी तरह, यदि न्यूनतम तापमान सामान्य से 4.5°C या उससे अधिक बढ़ता है, तो Warm Night की श्रेणी में आता है। यह स्थिति रात में भी शरीर को आराम नहीं करने देती, जिससे बीपी, हृदय रोग और अन्य बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है।
“तापमान और आद्र्रता के संयुक्त प्रभाव से यह मौसम जनस्वास्थ्य और कृषि दोनों के लिए चुनौतीपूर्ण बन सकता है।”
— आनंद शंकर, वैज्ञानिक-डी, मौसम विज्ञान केंद्र, पटना
किसानों और पशुपालकों के लिए चेतावनी
हीट वेव का सबसे अधिक असर खड़ी फसलों और सब्जियों पर देखा जा सकता है। अत्यधिक तापमान के कारण पत्तियों का मुरझाना, फूल गिरना और उत्पादन में कमी जैसी समस्याएं सामने आ सकती हैं। साथ ही, दूध देने वाले पशु, मुर्गियां और अन्य पालतू जीव भी इस मौसम से प्रभावित हो सकते हैं।
कृषि विशेषज्ञों ने सलाह दी है कि पौधों को नियमित सिंचाई, मल्चिंग तकनीक और छायादार नेट का उपयोग करें। वहीं, पशुओं को ठंडे पानी और ठंडी छाया उपलब्ध कराएं।
जनता के लिए स्वास्थ्य से जुड़ी सावधानियाँ
- घर से बाहर निकलते समय टोपी या छतरी का उपयोग करें
- दिन के समय भारी शारीरिक श्रम से बचें
- ORS, नींबू पानी, लस्सी, छाछ और तोरानी जैसे पेय पदार्थों का सेवन करें
- बच्चों, बुजुर्गों और बीमार व्यक्तियों को दोपहर में बाहर जाने से रोकें
- हल्के और सूती कपड़े पहनें, गहरे रंगों से बचें
IMD ने आम लोगों से अपील की है कि वे किसी भी लक्षण जैसे सिर दर्द, चक्कर, उल्टी या थकावट को नजरअंदाज न करें और तत्काल चिकित्सा सलाह लें।
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सावधानी से ही मिलेगी राहत
जलवायु परिवर्तन की इस गंभीर स्थिति में हर व्यक्ति की जिम्मेदारी बनती है कि वह सतर्कता बरते और समाज में जागरूकता फैलाए। गर्मी को नजरअंदाज न करें, क्योंकि यह एक धीमी और खतरनाक आपदा बन चुकी है।
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