
#पलामू #शिक्षा_विकास : तीसीबार पंचायत के अनुशासनप्रिय शिक्षक शैलेश सिंह के दरूआ विद्यालय में योगदान से ग्रामीणों में खुशी की लहर दौड़ी
- शैलेश सिंह ने राजकीय उत्क्रमित मध्य विद्यालय दरूआ में योगदान दिया।
- पंचायत में उन्हें “भीष्म पितामह” की उपाधि मिल चुकी है।
- ग्रामीणों, शिक्षकों और अभिभावकों ने उनके आगमन पर प्रसन्नता जताई।
- बच्चों में उत्साह, विद्यालय में हर्षोल्लास का माहौल।
- शिक्षा, अनुशासन और नैतिक मूल्यों से जुड़े बदलाव की उम्मीद।
- शैलेश सिंह बोले—“संघर्ष कभी व्यर्थ नहीं जाता, बच्चों को श्रेष्ठ शिक्षा दूंगा।”
तीसीबार पंचायत के गौरव और अनुशासन के पर्याय कहे जाने वाले शिक्षक शैलेश सिंह ने आज राजकीय उत्क्रमित मध्य विद्यालय, दरूआ में औपचारिक रूप से योगदान दे दिया। योगदान की खबर मिलते ही पूरे पंचायत क्षेत्र में खुशी की लहर दौड़ गई। विद्यालय परिसर में छात्रों, अभिभावकों और शिक्षकों ने उनका गर्मजोशी से स्वागत किया। ग्रामीणों का कहना है कि उनके आने से विद्यालय के शिक्षण स्तर और अनुशासन में बड़ा सुधार देखने को मिलेगा।
अनुशासन और शिक्षण क्षमता के प्रतीक
स्थानीय लोगों के अनुसार शैलेश सिंह पिछले कई वर्षों से अपने कड़े अनुशासन, उच्च स्तरीय शिक्षण पद्धति और नैतिक मूल्यों के लिए प्रसिद्ध रहे हैं। इन्हीं गुणों के कारण पंचायत के लोग उन्हें सम्मानपूर्वक “भीष्म पितामह” कहते हैं। ग्रामीणों का मानना है कि जिस विद्यालय में वे योगदान देते हैं, वहाँ स्वच्छता, अध्ययन–अनुशासन और विद्यार्थियों की प्रगति स्वतः बढ़ जाती है।
विद्यालय में हर्ष व उत्साह का माहौल
दरूआ विद्यालय में उनके आने के साथ ही वातावरण उत्साहित और उल्लासपूर्ण हो गया।
बच्चों के चेहरों पर अलग खुशी दिखी, क्योंकि वे अब अनुभवी और कठोर अनुशासनप्रिय शिक्षक से पढ़ाई का अवसर प्राप्त करेंगे। विद्यालय के शिक्षकों ने भी इसे सकारात्मक बदलाव की शुरुआत बताया। उनका कहना है कि शैलेश सिंह के मार्गदर्शन से विद्यालय में पढ़ाई, उपस्थिति और व्यवहारिक अनुशासन बेहतर होगा।
प्रबंधन की उम्मीदें
विद्यालय प्रबंधन ने कहा कि शैलेश सिंह के आने से संस्था को एक नई दिशा मिलेगी।
उनकी शिक्षण शैली बच्चों में आत्मविश्वास और सीखने की क्षमता में उल्लेखनीय सुधार लाती है। पंचायत के अभिभावकों ने इसे विद्यालय के लिए “गोल्डन मूमेंट” बताया।
क्या बोले शिक्षक शैलेश सिंह?
योगदान के बाद मीडिया से बातचीत में शैलेश सिंह ने अपने भाव साझा करते हुए कहा—
“जीवन में संघर्ष कभी व्यर्थ नहीं जाता। लंबे संघर्ष और धैर्य के बाद आज यह मुकाम मिला है। इससे बड़ी खुशी मेरे लिए और कुछ नहीं हो सकती। मेरा लक्ष्य बच्चों को बेहतर शिक्षा देना और समाज को शिक्षित बनाना है।”
उन्होंने यह भी कहा कि बच्चों में शिक्षा और चरित्र—दोनों का निर्माण समान रूप से आवश्यक है, और वे आने वाले समय में इसके लिए सतत प्रयास करेंगे।
न्यूज़ देखो: शिक्षा के प्रति समर्पण से बदलती तस्वीर
ग्रामीण क्षेत्रों में गुणवत्तापूर्ण शिक्षा की सबसे बड़ी ताकत समर्पित शिक्षक ही होते हैं। शैलेश सिंह जैसे शिक्षकों की उपस्थिति न केवल बच्चों का भविष्य संवारती है, बल्कि पूरे समुदाय में शिक्षा की चेतना को भी मजबूत करती है। दरूआ विद्यालय में उनका योगदान निश्चित रूप से सकारात्मक बदलाव लाएगा।
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शिक्षा ही भविष्य की सच्ची नींव
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