
#चैनपुर #सड़क_हादसा : चैनपुर अस्पताल में डॉक्टर की अनुपस्थिति ने व्यवस्था पर सवाल खड़े कर दिए।
गुमला जिले के चैनपुर प्रखंड में चैनपुर गुमला मुख्य मार्ग पर एक दर्दनाक सड़क हादसे में उदीयमान हॉकी खिलाड़ी संजीत टोप्पो की मौत हो गई। हादसे के बाद घायलों को सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र लाया गया, जहां घंटों तक डॉक्टर मौजूद नहीं थे। इस लापरवाही से ग्रामीणों और जनप्रतिनिधियों में आक्रोश फैल गया। घटना ने सड़क सुरक्षा और स्वास्थ्य व्यवस्था दोनों की गंभीर खामियों को उजागर किया।
- चैनपुर गुमला मुख्य मार्ग पर प्रेमनगर के पास हुआ हादसा।
- मृतक संजीत टोप्पो, उदीयमान हॉकी खिलाड़ी।
- बाइक संख्या जेएच 09 एएन 5799 दुर्घटनाग्रस्त।
- घायल बिमल लकड़ा (25) और सुजीत टोप्पो (22)।
- सीएचसी चैनपुर में घंटों डॉक्टर अनुपस्थित।
- जनप्रतिनिधियों ने स्वास्थ्य विभाग पर लापरवाही का आरोप लगाया।
गुमला जिले के चैनपुर थाना क्षेत्र अंतर्गत चैनपुर गुमला मुख्य मार्ग पर मंगलवार देर शाम एक भीषण सड़क दुर्घटना ने पूरे इलाके को झकझोर कर रख दिया। प्रेमनगर स्थित संत अन्न बालिका उच्च विद्यालय के पास हुए इस हादसे में एक युवा हॉकी खिलाड़ी की जान चली गई, जबकि दो अन्य युवक गंभीर रूप से घायल हो गए। हादसे के बाद अस्पताल में इलाज की अव्यवस्था ने स्थिति को और भी संवेदनशील बना दिया।
कैसे हुआ दर्दनाक हादसा
प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, तीनों युवक एनएस बाइक संख्या जेएच 09 एएन 5799 पर सवार होकर चैनपुर से छतरपुर की ओर जा रहे थे। बाइक की रफ्तार काफी तेज थी और तीनों बिना हेलमेट के सवार थे। स्थानीय लोगों का कहना है कि युवक नशे की हालत में थे, जिसके कारण बाइक पर संतुलन नहीं बन सका।
तीखे मोड़ पर अनियंत्रित हुई बाइक
प्रेमनगर के पास सड़क पर मौजूद तीखे मोड़ पर अचानक बाइक अनियंत्रित हो गई। युवकों ने संभलने की कोशिश की, लेकिन तेज गति के कारण बाइक फिसल गई और तीनों सड़क पर जा गिरे। हादसा इतना भीषण था कि मौके पर ही एक युवक की हालत बेहद गंभीर हो गई।
मृतक और घायलों की पहचान
हादसे में मृतक की पहचान संजीत टोप्पो, पिता क्लेमेंट टोप्पो उर्फ पैगरा के रूप में हुई है। संजीत एक उदीयमान हॉकी खिलाड़ी थे और खेल जगत में अपनी पहचान बना रहे थे। वहीं घायलों में बिमल लकड़ा (25 वर्ष) और सुजीत टोप्पो (22 वर्ष) शामिल हैं।
ग्रामीणों ने दिखाई तत्परता
हादसे के तुरंत बाद स्थानीय ग्रामीण मौके पर पहुंचे और तीनों को उठाकर सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र चैनपुर ले गए। वहां प्राथमिक उपचार के बाद बिमल और सुजीत की गंभीर हालत को देखते हुए उन्हें सदर अस्पताल गुमला रेफर कर दिया गया। दुर्भाग्यवश, संजीत टोप्पो की हालत इतनी नाजुक थी कि उनकी जान नहीं बच सकी।
अस्पताल में डॉक्टर न मिलने पर फूटा गुस्सा
जब घायलों को सीएचसी चैनपुर लाया गया, उस समय अस्पताल में कोई डॉक्टर मौजूद नहीं था। घंटों तक डॉक्टर के नहीं पहुंचने से ग्रामीणों और परिजनों में भारी आक्रोश फैल गया। मौके पर पहुंचे जनप्रतिनिधियों ने स्वास्थ्य विभाग की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े किए।
पूर्व उप प्रमुख ने उठाए गंभीर सवाल
पूर्व उप प्रमुख अनूप संजय टोप्पो ने कहा कि कागजों में अस्पताल में 24 घंटे डॉक्टर की तैनाती दर्शाई जाती है, लेकिन हकीकत इससे बिल्कुल अलग है। उन्होंने कहा कि मरीजों को भगवान भरोसे छोड़ दिया गया है। उन्होंने पूर्व चिकित्सक डॉ. धर्मनाथ ठाकुर की कार्यशैली की सराहना करते हुए वर्तमान व्यवस्था को पूरी तरह विफल बताया।
रोस्टर व्यवस्था पर उठे सवाल
जिला परिषद सदस्य मेरी लकड़ा ने बताया कि रोस्टर के अनुसार डॉ. दीपशिखा किंडो अवकाश पर थीं और उनकी जगह डॉ. प्रभात कुमार गौतम की ड्यूटी निर्धारित थी। इसके बावजूद वे शाम करीब 5 बजे ही गुमला के लिए निकल गए। उन्होंने बताया कि इस गंभीर स्थिति की जानकारी देने के लिए उपायुक्त को फोन किया गया, लेकिन उन्होंने कॉल रिसीव नहीं किया।
सिविल सर्जन को दी गई जानकारी
इसके बाद जनप्रतिनिधियों ने सिविल सर्जन डॉ. शंभूनाथ चौधरी से संपर्क कर पूरे मामले से अवगत कराया। देर रात तक अस्पताल में तनावपूर्ण माहौल बना रहा और ग्रामीणों ने दोषियों पर कार्रवाई की मांग की।
डॉक्टर की सफाई और नई बहस
रात करीब 11 बजे जब डॉ. प्रभात कुमार गौतम गुमला से चैनपुर पहुंचे, तब उन्होंने संजीत टोप्पो को मृत घोषित किया। मीडिया से बातचीत में उन्होंने कहा कि उन्हें अगले दिन सुबह रांची बुलाया गया था और अस्पताल परिसर में आवास की साफ सफाई नहीं होने के कारण वे वहां रुकते नहीं हैं।
डॉ. प्रभात कुमार गौतम ने कहा: “मुझे प्रशासनिक कारणों से बाहर जाना पड़ा था और रहने की व्यवस्था भी उपयुक्त नहीं है।”
स्थानीय जनप्रतिनिधियों का आक्रोश
रामपुर मुखिया दीपक खलखो ने कहा कि सीएचसी चैनपुर में कर्मियों की अनुपस्थिति अब आम बात हो गई है। उन्होंने साफ कहा कि जब तक लापरवाह कर्मियों पर सख्त कार्रवाई नहीं होगी, तब तक व्यवस्था में कोई सुधार संभव नहीं है।

न्यूज़ देखो: हादसा नहीं चेतावनी है यह घटना
यह घटना सिर्फ एक सड़क दुर्घटना नहीं, बल्कि स्वास्थ्य व्यवस्था की गंभीर लापरवाही की चेतावनी है। एक ओर तेज रफ्तार और नशा युवाओं की जान ले रहा है, वहीं दूसरी ओर समय पर इलाज न मिलना हालात को और भयावह बना रहा है। प्रशासन को अब जवाबदेही तय करनी होगी और अस्पतालों में वास्तविक 24 घंटे सेवा सुनिश्चित करनी होगी। हर खबर पर रहेगी हमारी नजर।
जीवन सुरक्षा और व्यवस्था दोनों जरूरी
यह हादसा बताता है कि हेलमेट, संयम और जिम्मेदारी कितनी जरूरी है। साथ ही, ग्रामीण इलाकों में स्वास्थ्य सेवाओं की मजबूती भी उतनी ही अहम है। सड़क पर सतर्क रहें और अस्पतालों की अनदेखी पर आवाज उठाएं। अपनी राय कमेंट में साझा करें, इस खबर को आगे बढ़ाएं और व्यवस्था सुधार की मांग को मजबूती दें।





