#रांची #न्यायनिर्देश : हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को थानों में CCTV लगाने की प्रक्रिया तय समय में पूरा करने को कहा
- झारखंड हाईकोर्ट ने सभी थानों में CCTV कैमरे लगाने का निर्देश दिया।
- 31 दिसंबर तक पूरी टेंडर प्रक्रिया समाप्त करने का आदेश।
- मुख्य सचिव, गृह सचिव, DGP और आईटी सचिव कोर्ट में उपस्थित हुए।
- कई थानों में अब भी CCTV नहीं, कोर्ट ने देरी को अस्वीकार्य कहा।
- CCTV से पारदर्शिता, मानवाधिकार संरक्षण और अपराध नियंत्रण में मदद की उम्मीद।
झारखंड हाईकोर्ट ने राज्य के सभी थानों में CCTV कैमरे लगाने से जुड़ी प्रक्रिया को तेजी से पूरा करने के लिए कड़ा निर्देश जारी किया है। अदालत ने स्पष्ट रूप से कहा कि 31 दिसंबर तक हर हाल में टेंडर प्रक्रिया पूरी होनी चाहिए, ताकि CCTV और DVR सिस्टम की स्थापना बिना देरी शुरू की जा सके। मंगलवार की सुनवाई के दौरान कोर्ट ने इस मुद्दे की गंभीरता और देरी पर कड़ा रुख दिखाया।
सुनवाई में अधिकारियों की उपस्थिति और रिपोर्ट पेश
हाईकोर्ट प्रॉपर्टी रियल्टी प्राइवेट लिमिटेड, शौभिक बनर्जी और अन्य याचिकाओं पर विचार करते हुए अदालत ने पहले की सुनवाई में मुख्य सचिव, गृह सचिव, पुलिस महानिदेशक (DGP) और आईटी विभाग की सचिव को व्यक्तिगत रूप से उपस्थित होने का आदेश दिया था। निर्देश के अनुसार सभी अधिकारी कोर्ट में उपस्थित हुए और अब तक CCTV लगाने में हुई देरी से संबंधित विस्तृत रिपोर्ट पेश की।
कोर्ट ने पाया कि अब भी कई थाने ऐसे हैं जहां कोई कैमरा नहीं लगा है, जबकि सुप्रीम कोर्ट पहले ही स्पष्ट कर चुका है कि थानों में CCTV लगाना अनिवार्य है ताकि चौकसी बढ़े, हिरासत प्रक्रिया पारदर्शी रहे और नागरिकों के मानवाधिकारों की रक्षा सुनिश्चित हो।
देरी पर कोर्ट का स्पष्ट संदेश
अदालत ने कड़े शब्दों में कहा कि थानों में CCTV लगाने में किसी भी प्रकार की देरी अस्वीकार्य है। कोर्ट ने अधिकारियों से यह भी पूछा कि तकनीकी, वित्तीय या प्रशासनिक जो भी बाधाएँ सामने आईं, उन्हें दूर कर कार्य को समयबद्ध तरीके से पूरा क्यों नहीं किया गया। हाईकोर्ट ने यह संकेत भी दिया कि यदि निर्देशों का पालन नहीं हुआ, तो राज्य सरकार को जवाबदेही का सामना करने के लिए तैयार रहना होगा।
CCTV से पुलिसिंग में बड़े बदलाव की उम्मीद
CCTV लगाने का मुख्य उद्देश्य पुलिस कार्यप्रणाली में अधिक पारदर्शिता लाना है। पूछताछ और हिरासत के दौरान किसी भी तरह की अवांछित गतिविधियों पर रोक लगेगी, जिससे नागरिकों का भरोसा मजबूत होगा। कोर्ट का मानना है कि यह कदम अपराध नियंत्रण और जांच प्रक्रियाओं को अधिक प्रमाणिक बनाने में भी अहम भूमिका निभाएगा।
न्यूज़ देखो: पारदर्शी पुलिसिंग की दिशा में झारखंड में बड़ा कदम
हाईकोर्ट का यह आदेश बताता है कि संवैधानिक संस्थाएं पारदर्शिता और जवाबदेही को लेकर गंभीर हैं। यदि राज्य सरकार तय समयसीमा के भीतर इस आदेश का पालन करती है, तो झारखंड की पुलिसिंग प्रणाली और भी विश्वसनीय और मजबूत बन सकती है।
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कानून, पारदर्शिता और जनता का भरोसा — मिलकर बनाएं सुरक्षित माहौल
थानों में CCTV लगना सिर्फ तकनीकी सुधार नहीं, बल्कि जनता और पुलिस के बीच भरोसे की नई नींव है। एक जागरूक नागरिक के रूप में हमें भी इस बदलाव का समर्थन करना चाहिए और कानून-व्यवस्था को बेहतर बनाने में अपनी भूमिका निभानी चाहिए।
आइए, सुरक्षा और पारदर्शिता के इस प्रयास को आगे बढ़ाएँ। अपनी राय कमेंट करें और इस खबर को शेयर कर दूसरों तक पहुँचाएँ।





