
#सिमडेगा #शैक्षणिक_उपलब्धि : सरस्वती शिशु विद्या मंदिर सलडेगा के दो प्रतिभावान छात्रों ने दृश्य कला 3D में राज्य स्तर पर प्रथम स्थान हासिल कर राष्ट्रीय मंच पर बनाई पहचान
- सरस्वती शिशु विद्या मंदिर, सलडेगा के छात्र भैया चंद्रमा सिंह और भैया करण साहू का राष्ट्रीय स्तर पर चयन।
- राष्ट्रीय कला उत्सव 2025 में झारखंड टीम के साथ पुणे, महाराष्ट्र रवाना।
- दृश्य कला 3D श्रेणी में पारंपरिक खेल खिलौना निर्माण प्रतियोगिता में भागीदारी।
- जिला स्तर और राज्य स्तर दोनों प्रतियोगिताओं में प्रथम स्थान प्राप्त कर रचा इतिहास।
- प्रधानाचार्य जितेंद्र कुमार पाठक ने इसे विद्यालय और जिले के लिए गौरवपूर्ण क्षण बताया।
सिमडेगा जिले के शैक्षणिक और कला जगत के लिए यह क्षण अत्यंत गर्व और उत्साह से भरा है। वनवासी कल्याण केंद्र झारखण्ड की शैक्षिक इकाई श्रीहरि वनवासी विकास समिति झारखण्ड द्वारा संचालित सरस्वती शिशु विद्या मंदिर, सलडेगा के दो होनहार छात्र भैया चंद्रमा सिंह और भैया करण साहू ने अपनी उत्कृष्ट कला प्रतिभा के बल पर राष्ट्रीय स्तर तक अपनी पहचान बनाई है। दोनों छात्र झारखंड टीम के साथ महाराष्ट्र के पुणे के लिए रवाना हो गए हैं, जहां वे 20 से 25 दिसंबर 2025 तक आयोजित होने वाले राष्ट्रीय कला उत्सव में राज्य का प्रतिनिधित्व करेंगे।
सिमडेगा से राष्ट्रीय मंच तक प्रतिभा का सफर
भैया चंद्रमा सिंह और भैया करण साहू की यह उपलब्धि अचानक नहीं मिली, बल्कि यह निरंतर अभ्यास, अनुशासन और सृजनात्मक सोच का परिणाम है। इन दोनों छात्रों ने पहले जिला स्तरीय प्रतियोगिता में भाग लेते हुए दृश्य कला 3D श्रेणी में प्रथम स्थान प्राप्त किया।
जिला स्तर पर शानदार प्रदर्शन के बाद इनका चयन राज्य स्तरीय प्रतियोगिता के लिए हुआ, जहां उन्होंने झारखंड के विभिन्न जिलों से आए प्रतिभागियों को पीछे छोड़ते हुए पुनः प्रथम स्थान हासिल किया। इस ऐतिहासिक प्रदर्शन के साथ ही दोनों छात्रों ने राष्ट्रीय स्तर के लिए अपना स्थान सुनिश्चित किया।
राष्ट्रीय कला उत्सव 2025 में झारखंड का प्रतिनिधित्व
राष्ट्रीय कला उत्सव 2025 का आयोजन इस वर्ष 20 दिसंबर से 25 दिसंबर तक पुणे, महाराष्ट्र में किया जा रहा है। इस प्रतिष्ठित आयोजन में देशभर से चुने गए सर्वश्रेष्ठ विद्यार्थी अपनी-अपनी कला विधाओं में प्रतिभा का प्रदर्शन करेंगे।
चंद्रमा सिंह और करण साहू इस उत्सव में दृश्य कला 3D विधा के अंतर्गत पारंपरिक खेल खिलौने निर्माण प्रतियोगिता में भाग लेंगे। यह विधा भारतीय संस्कृति, परंपरा और रचनात्मक कौशल का अद्भुत संगम मानी जाती है, जहां प्रतिभागियों को अपनी कल्पनाशक्ति के साथ पारंपरिक मूल्यों को भी प्रस्तुत करना होता है।
विद्यालय की कला-संस्कृति का परिणाम
सरस्वती शिशु विद्या मंदिर, सलडेगा लंबे समय से शिक्षा के साथ-साथ संस्कार, संस्कृति और कला के क्षेत्र में विद्यार्थियों के सर्वांगीण विकास के लिए जाना जाता रहा है। विद्यालय में नियमित रूप से कला, हस्तकला और सृजनात्मक गतिविधियों को प्रोत्साहित किया जाता है, जिसका प्रत्यक्ष परिणाम आज राष्ट्रीय स्तर पर दिखाई दे रहा है।
यह उपलब्धि न केवल दो विद्यार्थियों की व्यक्तिगत सफलता है, बल्कि विद्यालय की शिक्षण पद्धति और मार्गदर्शन का भी प्रमाण है।
प्रधानाचार्य का प्रेरणादायी वक्तव्य
विद्यालय के प्रधानाचार्य श्री जितेंद्र कुमार पाठक ने इस अवसर पर छात्रों की सराहना करते हुए कहा:
प्रधानाचार्य जितेंद्र कुमार पाठक ने कहा: “यह हमारे विद्यालय, सिमडेगा जिले और पूरे झारखंड के लिए अत्यंत गर्व की बात है। चंद्रमा और करण की इस उपलब्धि ने यह सिद्ध कर दिया है कि सिमडेगा की माटी में प्रतिभा की कोई कमी नहीं है।”
उन्होंने यह भी कहा कि विद्यालय भविष्य में भी छात्रों को कला, खेल और शिक्षा के हर क्षेत्र में आगे बढ़ने के लिए निरंतर प्रोत्साहित करता रहेगा।
आचार्य परिवार और विद्यालय में उत्साह का माहौल
इस सफलता की खबर मिलते ही विद्यालय परिसर में हर्ष और उत्साह का माहौल बन गया। विद्यालय के आचार्य परिवार ने दोनों भैयाओं को शुभकामनाएं देते हुए उनके उज्ज्वल भविष्य की कामना की। शिक्षकों ने विश्वास जताया कि राष्ट्रीय मंच पर भी दोनों छात्र अपनी कला से झारखंड और सिमडेगा का नाम रोशन करेंगे।
जिले के लिए गर्व का क्षण
सिमडेगा जैसे आदिवासी बहुल और सुदूर क्षेत्र से निकलकर राष्ट्रीय कला उत्सव तक पहुंचना जिले के अन्य विद्यार्थियों के लिए भी प्रेरणा का स्रोत है। यह सफलता यह संदेश देती है कि यदि सही मार्गदर्शन और अवसर मिले, तो ग्रामीण और दूरस्थ क्षेत्रों के विद्यार्थी भी राष्ट्रीय स्तर पर अपनी प्रतिभा का परचम लहरा सकते हैं।
न्यूज़ देखो: कला से पहचान बनाता सिमडेगा
यह खबर बताती है कि सिमडेगा जिला अब केवल शैक्षणिक नहीं, बल्कि सांस्कृतिक और कलात्मक पहचान भी राष्ट्रीय स्तर पर बना रहा है। विद्यालयों में कला और रचनात्मकता को मिल रहा प्रोत्साहन नई पीढ़ी को आत्मविश्वास दे रहा है। प्रशासन, शैक्षणिक संस्थान और समाज मिलकर यदि इसी तरह सहयोग करें, तो ऐसे और भी प्रतिभाशाली चेहरे सामने आएंगे।
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सपनों को उड़ान दें, प्रतिभा को पहचानें
चंद्रमा और करण की सफलता हर उस छात्र के लिए प्रेरणा है, जो छोटे शहर या गांव से बड़े सपने देखता है। कला, संस्कृति और रचनात्मकता को अपनाकर भी राष्ट्रीय पहचान बनाई जा सकती है।
यदि आपके आसपास भी कोई उभरती प्रतिभा है, तो उसका उत्साह बढ़ाएं और मंच तक पहुंचाने में सहयोग करें।
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