
#गढ़वा #छठपर्व : नहाय-खाय से शुरू हुआ लोक आस्था का पर्व — श्रद्धा, सफाई और सजावट से चमक उठा शहर
- गढ़वा जिले में छठ पर्व की शुरुआत नहाय-खाय से हुई, श्रद्धालु उत्साहित
- पूर्व मंत्री मिथिलेश कुमार ठाकुर ने कई छठ घाटों का निरीक्षण किया
- उन्होंने कहा — “गढ़वा का छठ पर्व झारखंड में सबसे प्रसिद्ध और आस्था से जुड़ा आयोजन है”
- सामाजिक संस्थाएं और स्थानीय लोग घाटों को सजाने में जुटे हैं
- ठाकुर ने छठ माता से शांति और खुशहाली की कामना की
लोक आस्था का पर्व छठ — गढ़वा में उमंग और उत्साह का माहौल
गढ़वा जिला इस समय लोक आस्था के महापर्व छठ की भावना में डूबा हुआ है। नहाय-खाय के साथ इस पावन पर्व की शुरुआत हो चुकी है, जिससे पूरे जिले में श्रद्धा, भक्ति और स्वच्छता का अनोखा संगम देखने को मिल रहा है। महिलाएं और परिवारजन पारंपरिक रीति-रिवाजों के साथ व्रत की तैयारी में जुटे हैं, जबकि प्रशासनिक और सामाजिक स्तर पर छठ घाटों की सजावट और सुरक्षा का काम तेजी से जारी है।
पूर्व मंत्री मिथिलेश कुमार ठाकुर ने किया छठ घाटों का निरीक्षण
छठ पर्व की तैयारियों का जायजा लेने के लिए झारखंड सरकार के पूर्व मंत्री मिथिलेश कुमार ठाकुर ने रविवार को गढ़वा जिले के कई प्रमुख छठ घाटों का निरीक्षण किया। इस दौरान उन्होंने सफाई, सुरक्षा व्यवस्था और श्रद्धालुओं की सुविधाओं का बारीकी से अवलोकन किया।
उन्होंने कहा कि गढ़वा का छठ पूजा पूरे झारखंड में अपनी भव्यता और श्रद्धा के लिए प्रसिद्ध है। यहां के लोग “छठ माता” की पूजा को लोक-आस्था और एकता का प्रतीक मानते हैं।
पूर्व मंत्री मिथिलेश कुमार ठाकुर ने कहा: “गढ़वा के लोग छठ घाटों को ऐसे सजाते हैं जैसे कोई अपनी बेटी की शादी में घर सजाता है। यहां का उत्साह, भक्ति और समर्पण झारखंड के लिए मिसाल है।”
सामाजिक एकता का प्रतीक है गढ़वा का छठ
गढ़वा जिले में छठ केवल धार्मिक पर्व नहीं बल्कि सामाजिक एकता और सौहार्द का प्रतीक बन चुका है। सभी समुदाय के लोग — चाहे वे किसी भी धर्म या जाति के हों — छठ की तैयारियों में हाथ बंटाते हैं। समाजसेवी संस्थान, स्वयंसेवक और आम नागरिक मिलकर घाटों की सफाई, सजावट और रोशनी की व्यवस्था में जुटे हैं।
हर वार्ड, मोहल्ला और पंचायत में छठ गीतों की मधुर ध्वनि गूंज रही है।
घाटों पर सुरक्षा और सफाई की विशेष व्यवस्था
नगर परिषद और जिला प्रशासन की टीम भी छठ पर्व के दौरान पूरी तरह सक्रिय है। घाटों पर सफाई व्यवस्था, लाइटिंग और बैरिकेडिंग का काम पूरा किया जा रहा है ताकि श्रद्धालु सुरक्षित रूप से पूजा कर सकें।
प्रशासन ने जलाशयों की सफाई के साथ ही डुबकी क्षेत्र की गहराई मापने और बचाव दल की तैनाती के निर्देश दिए हैं।
सभी के सुख-शांति की प्रार्थना
मिथिलेश ठाकुर ने कहा कि छठ पर्व सूर्य उपासना का सबसे बड़ा पर्व है, जो सच्ची आस्था, तप और त्याग का प्रतीक है। उन्होंने छठ माता से प्रार्थना की कि गढ़वा जिला ही नहीं बल्कि पूरा झारखंड खुशहाल रहे, लोगों के जीवन में शांति, समृद्धि और सौहार्द बना रहे।
छठ घाटों पर उमड़ने लगी श्रद्धालुओं की भीड़
नहाय-खाय के साथ ही घाटों पर श्रद्धालुओं की भीड़ दिखने लगी है। महिलाएं व्रत का संकल्प लेकर घरों और घाटों की सफाई में जुट गई हैं। कई स्थानों पर जलाशयों को रंग-बिरंगी लाइटों और फूलों से सजाया गया है।

न्यूज़ देखो: परंपरा और आधुनिकता का सुंदर संगम
गढ़वा का छठ पर्व केवल धार्मिक आयोजन नहीं बल्कि समाज की एकता, अनुशासन और स्वच्छता की मिसाल बन चुका है। यह पर्व दर्शाता है कि जब समाज एकजुट होकर काम करता है, तो आस्था और व्यवस्था दोनों की मिसाल पेश की जा सकती है। न्यूज़ देखो ऐसे प्रयासों को सलाम करता है जो लोक संस्कृति और सामाजिक सौहार्द को जीवंत बनाए रखते हैं।
हर खबर पर रहेगी हमारी नजर।
मिल-जुलकर मनाएं आस्था का पर्व
छठ पर्व हमें संयम, कृतज्ञता और प्रकृति के प्रति आदर का संदेश देता है। इस शुभ अवसर पर सभी नागरिकों को चाहिए कि वे साफ-सफाई, सुरक्षा और सहयोग की भावना के साथ इस पर्व को मनाएं।
अपने विचार हमें कमेंट में बताएं, और इस खबर को दोस्तों व परिवार के साथ साझा करें — क्योंकि आस्था तब ही पूर्ण होती है जब समाज एकजुट होकर उसका सम्मान करे।




