
#बगोदर #छठ_पर्व : उदीयमान सूर्य को अर्घ्य अर्पित करते ही संपन्न हुआ चार दिवसीय पर्व – श्रद्धा और भक्ति के रंग में रंगा पूरा क्षेत्र
- गिरिडीह जिले के बगोदर प्रखंड में चार दिवसीय छठ पूजा का समापन हुआ।
- श्रद्धालुओं ने उदीयमान सूर्य को अर्घ्य अर्पित कर पर्व को विधिवत पूर्ण किया।
- महिलाओं ने भगवान भास्कर से परिवार की सुख-समृद्धि की कामना की।
- बीडीओ निशा कुमारी और थाना प्रभारी विनय कुमार यादव ने भी अर्घ्य अर्पित किया।
- प्रशासन की ओर से सुरक्षा व स्वच्छता की उत्कृष्ट व्यवस्था की गई।
गिरिडीह जिले के बगोदर प्रखंड में लोक आस्था और भक्ति का प्रतीक चार दिवसीय छठ पर्व आज सुबह उदीयमान सूर्य को अर्घ्य अर्पित करने के साथ ही विधिवत पूर्ण हुआ। घाटों पर सुबह से ही श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ पड़ी थी। महिलाएं पारंपरिक वस्त्रों में सजीं, सिर पर दौरा लिए नदी किनारे पहुंचीं और परिवार की सुख-शांति तथा समृद्धि के लिए भगवान भास्कर से प्रार्थना की।
श्रद्धा और भक्ति का संगम
छठ घाटों पर सुबह की पहली किरण के साथ ही भक्ति का अद्भुत दृश्य देखने को मिला। बच्चे से लेकर बुजुर्ग तक सभी सूर्य उपासना में लीन दिखे। छठ गीतों की मधुर धुन, ढोल-नगाड़ों की आवाज़ और प्रसाद के सुगंध ने पूरे वातावरण को आध्यात्मिक बना दिया। यह पर्व केवल धार्मिक नहीं, बल्कि सामुदायिक एकता और लोक संस्कृति का उत्सव बन गया।
बगोदर बीडीओ निशा कुमारी ने कहा: “छठ पूजा हमारे समाज की एकता, स्वच्छता और श्रद्धा का प्रतीक है। इस पर्व में महिलाओं की भूमिका विशेष रूप से प्रेरणादायक है।”
थाना प्रभारी विनय कुमार यादव ने कहा: “प्रशासन ने सुरक्षा और स्वच्छता की व्यवस्था सुनिश्चित की थी ताकि श्रद्धालु निर्भय होकर पूजा संपन्न कर सकें।”
प्रशासनिक व्यवस्था और जनसहभागिता
इस वर्ष छठ पूजा के दौरान सुरक्षा, प्रकाश और स्वच्छता की बेहतरीन व्यवस्था देखने को मिली। स्थानीय प्रशासन ने घाटों की सफाई, बैरिकेडिंग और स्वास्थ्य सेवाओं की उपलब्धता सुनिश्चित की थी। पुलिसकर्मियों और स्वयंसेवकों ने पूरी रात चौकसी में बिताई ताकि किसी प्रकार की अव्यवस्था न हो।
स्थानीय समाजसेवियों और पंचायत प्रतिनिधियों ने भी सक्रिय सहयोग देकर आयोजन को सुचारु रूप से सम्पन्न कराया।
भक्तिमय वातावरण और सांस्कृतिक रंग
छठ पर्व के दौरान पूरे क्षेत्र में भक्ति, संगीत और लोक संस्कृति का संगम देखने को मिला। गांव-गांव में छठ गीतों की गूंज, जलाशयों की सजावट और दीपों की रोशनी ने माहौल को उत्सवमय बना दिया। महिलाएं पूरे विधि-विधान से संध्या और प्रभात अर्घ्य में शामिल हुईं। बच्चों और युवाओं ने भी उत्साहपूर्वक व्यवस्था में योगदान दिया।
यह पर्व न केवल सूर्य उपासना का प्रतीक है, बल्कि प्रकृति के प्रति कृतज्ञता और आत्मसंयम की परंपरा को भी दर्शाता है। बगोदर में इस वर्ष छठ पर्व का आयोजन अत्यंत शांतिपूर्ण और उल्लासपूर्ण रहा, जो लोक आस्था की गहराई को दर्शाता है।

न्यूज़ देखो: आस्था में एकता की मिसाल
छठ पर्व सिर्फ़ पूजा नहीं, बल्कि समाज में सामूहिकता और समर्पण की भावना को मजबूत करने का अवसर है। बगोदर की तस्वीर यह दिखाती है कि जब प्रशासन और जनता मिलकर काम करते हैं, तो आस्था का हर पर्व एक संवेदनशील सामाजिक संदेश बन जाता है।
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छठ केवल सूर्य की उपासना नहीं, बल्कि आत्म-नियंत्रण, कृतज्ञता और पारिवारिक प्रेम का उत्सव है।
आइए, हम सब इस लोक पर्व से प्रेरणा लेकर साफ-सुथरे समाज, एकजुट परिवार और सकारात्मक सोच की दिशा में कदम बढ़ाएं।
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