
#गढ़वा #क्रिसमस_पर्व : प्रभु यीशु के जन्मोत्सव पर विशेष प्रार्थनाएं, भजन और सांस्कृतिक आयोजन।
गढ़वा जिले में क्रिसमस का पर्व पूरे श्रद्धा, उल्लास और धार्मिक उत्साह के साथ मनाया गया। 24 दिसंबर की शाम से 25 दिसंबर तक जिले के विभिन्न चर्चों में विशेष प्रार्थना सभाएं, भजन-कीर्तन और सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किए गए। संत पॉल चर्च, नयाखाड़ चर्च और हॉलीक्रॉस चर्च सहित कई स्थानों पर चरणी सजाई गई और बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं ने प्रभु यीशु के जन्मोत्सव में भाग लिया। यह पर्व जिले में आपसी भाईचारे और धार्मिक सौहार्द का संदेश देता नजर आया।
- संत पॉल चर्च गढ़वा सहित कई चर्चों में विशेष प्रार्थना सभाएं।
- 24–25 दिसंबर को देर रात तक श्रद्धालुओं की भारी भीड़।
- आकर्षक रूप से सजाई गई प्रभु यीशु की चरणी।
- भजन, कीर्तन और क्रिसमस गीतों से भक्तिमय माहौल।
- फादर अगस्टीन खेस ने दिया प्रेम और शांति का संदेश।
गढ़वा जिले में क्रिसमस का पर्व पूरे धार्मिक उल्लास और आस्था के वातावरण में मनाया गया। प्रभु यीशु मसीह के जन्मोत्सव को लेकर ईसाई समुदाय में विशेष उत्साह देखने को मिला, वहीं अन्य समुदाय के लोग भी इस पर्व में श्रद्धा के साथ शामिल हुए। जिले के चर्चों में सजावट, प्रार्थना और सांस्कृतिक कार्यक्रमों ने पूरे क्षेत्र को भक्तिमय बना दिया।
24 दिसंबर की शाम से ही चर्चों में जन-जागरण और विशेष प्रार्थनाओं का सिलसिला शुरू हो गया था। बुधवार की शाम सामूहिक प्रार्थना सभा आयोजित की गई, जिसके बाद गुरुवार 25 दिसंबर की सुबह से ही श्रद्धालुओं का आना-जाना शुरू हो गया।
संत पॉल चर्च में विशेष आयोजन
गढ़वा स्थित संत पॉल चर्च में क्रिसमस पर्व को लेकर विशेष तैयारी की गई थी। चर्च परिसर को रंग-बिरंगी लाइटों, फूलों और सजावटी वस्तुओं से भव्य रूप से सजाया गया। प्रभु यीशु की चरणी (गोशाला) को आकर्षक ढंग से सजाया गया, जहां श्रद्धालुओं ने मोमबत्तियां जलाकर प्रार्थना की।
सुबह 7 बजे से ही चर्च परिसर में ईसाई धर्मावलंबियों के साथ-साथ अन्य समुदाय के लोगों की भी भारी भीड़ उमड़ पड़ी। देर रात तक श्रद्धालु प्रभु यीशु के दर्शन और प्रार्थना के लिए पहुंचते रहे।
भजन-कीर्तन और गीतों से भक्तिमय माहौल
क्रिसमस के अवसर पर चर्च परिसर में प्रभु यीशु के जन्म से जुड़े गीतों की गूंज सुनाई दी।
“जन्म लिए ईशु राजा…”,
“खुशी मनाओ गाओ रे, जन्मा है ईशु राजा…”,
“मुक्तिदाता आया है नया संदेश लाया है…”
जैसे गीतों पर श्रद्धालु ढोल-मांदर की थाप पर नाचते-गाते नजर आए। इन प्रस्तुतियों ने पूरे वातावरण को आनंद और भक्ति से भर दिया।
प्रेम और मानवता का संदेश
इस अवसर पर संत पॉल चर्च के फादर अगस्टीन खेस ने अपने संदेश में कहा कि क्रिसमस का पर्व प्रेम, शांति, त्याग और मानवता का प्रतीक है।
फादर अगस्टीन खेस ने कहा: “प्रभु यीशु का जन्म गोशाला में हुआ, जो यह सिखाता है कि ईश्वर ने गरीबों और पीड़ितों के बीच जन्म लेकर मानवता को नई दिशा दी। यीशु पापों और दुखों से मानव जीवन की रक्षा के लिए धरती पर आए।”
उन्होंने लोगों से प्रभु यीशु के आदर्शों को अपनाने और समाज में प्रेम व भाईचारे को बढ़ावा देने का आह्वान किया।
नयाखाड़ और हॉलीक्रॉस चर्च में भी उत्सव
बंशीधर नगर अनुमंडल मुख्यालय के नयाखाड़ चर्च और हॉलीक्रॉस चर्च में भी क्रिसमस पर्व धूमधाम से मनाया गया। दोनों चर्चों को आकर्षक लाइटों से सजाया गया था। चरणी में प्रभु यीशु के साथ गाय, बैल और बकरी की प्रतिमाएं स्थापित की गई थीं।
रात्रि 12 बजे जैसे ही प्रभु यीशु के जन्म का समय हुआ, विशेष प्रार्थना सभा आयोजित की गई। फादर ने अपने संदेश में कहा कि चरणी का दृश्य सादगी और विनम्रता का प्रतीक है, जो प्रभु यीशु के जीवन दर्शन को दर्शाता है।
49 वर्ष पुराने चर्च में विशेष उत्साह
भवनाथपुर प्रखंड के सुंदूरिया पंचायत में स्थित 49 वर्ष पुराने चर्च में भी क्रिसमस को लेकर विशेष उत्साह देखा गया। इस चर्च की स्थापना वर्ष 1973 में की गई थी। स्थानीय लोगों ने बताया कि उस समय रांची जिले से आए मजदूरों ने झोपड़ी बनाकर इसे चर्च का रूप दिया था। आज भी यह खपरैलनुमा चर्च अपनी ऐतिहासिक पहचान और आस्था को संजोए हुए है।
श्रद्धालुओं की सक्रिय भागीदारी
कार्यक्रम में सिस्टर रौशना, सिस्टर करुणा, गिरिनाथ सिंह, अलखनाथ पांडे, मदन प्रसाद केसरी सहित बड़ी संख्या में श्रद्धालु उपस्थित रहे। लोगों ने एक-दूसरे को उपहार भेंट कर और बधाइयां देकर क्रिसमस की खुशियां साझा कीं।

न्यूज़ देखो: आस्था और भाईचारे का जीवंत उदाहरण
गढ़वा में क्रिसमस का आयोजन यह दर्शाता है कि धार्मिक पर्व समाज को जोड़ने का सशक्त माध्यम हैं। विभिन्न समुदायों की सहभागिता ने आपसी सद्भाव और शांति का संदेश दिया। ऐसे आयोजन सामाजिक एकता को मजबूत करते हैं और मानवीय मूल्यों की याद दिलाते हैं। हर खबर पर रहेगी हमारी नजर।
प्रेम और शांति के संदेश को आगे बढ़ाएं
क्रिसमस केवल उत्सव नहीं, बल्कि सेवा, करुणा और भाईचारे का संकल्प है। जब समाज प्रभु यीशु के संदेशों को अपनाता है, तब सच्ची मानवता का निर्माण होता है।
आपके क्षेत्र में क्रिसमस कैसे मनाया गया? अपनी राय कमेंट करें, इस खबर को साझा करें और प्रेम व सौहार्द का संदेश आगे बढ़ाएं।





