
#बानो #भागवत_कथा : पाँचवें दिन प्रह्लाद, नरसिंह और ध्रुव चरित्र से गूंजा कथा स्थल।
सिमडेगा जिले के बानो में आयोजित श्रीमद्भागवत कथा ज्ञान यज्ञ के पाँचवें दिन श्रद्धा और भक्ति का अद्भुत दृश्य देखने को मिला। व्यासपीठ से सुप्रसिद्ध कथावाचक डॉ. रामसहाय त्रिपाठी जी महाराज ने प्रह्लाद चरित्र, नरसिंह अवतार और ध्रुव चरित्र का भावपूर्ण वर्णन किया। सुबह से ही बड़ी संख्या में श्रद्धालु कथा स्थल पर पहुंचे और भक्ति रस में डूबे रहे। यह आयोजन आध्यात्मिक चेतना के साथ समाज को नैतिक मूल्यों से जोड़ने का सशक्त माध्यम बनकर सामने आया।
- डॉ. रामसहाय त्रिपाठी जी महाराज के प्रवचनों से गूंजा कथा पंडाल।
- पाँचवें दिन प्रह्लाद, नरसिंह अवतार और ध्रुव चरित्र का विस्तृत वर्णन।
- मुख्य यजमान के रूप में डॉ. प्रह्लाद मिश्रा सपत्नीक रहे उपस्थित।
- “नरसिंह भगवान की जय” के जयघोष से वातावरण भक्तिमय।
- भजन-कीर्तन, आरती और प्रसाद वितरण के साथ कथा का समापन।
बानो, सिमडेगा में चल रही श्रीमद्भागवत कथा के पाँचवें दिन पूरा क्षेत्र आध्यात्मिक ऊर्जा और भक्ति भाव से सराबोर नजर आया। प्रातःकाल से ही श्रद्धालुओं की भीड़ कथा स्थल की ओर उमड़ पड़ी। व्यासपीठ पर विराजमान डॉ. रामसहाय त्रिपाठी जी महाराज की ओजस्वी वाणी और सरल उदाहरणों ने श्रोताओं को गहरे आध्यात्मिक चिंतन में डुबो दिया।
कथा आयोजन में मुख्य यजमान के रूप में डॉ. प्रह्लाद मिश्रा सपत्नीक उपस्थित रहे। उन्होंने विधि-विधान से पूजन-अर्चन कर कथा श्रवण किया और आयोजन की सफलता के लिए सभी श्रद्धालुओं एवं सहयोगियों के प्रति आभार व्यक्त किया।
प्रह्लाद चरित्र से मिली अडिग भक्ति की सीख
पाँचवें दिन की कथा में महाराज श्री ने सबसे पहले प्रह्लाद चरित्र का विस्तार से वर्णन किया। उन्होंने कहा कि प्रह्लाद की भक्ति यह सिखाती है कि सच्चा भक्त किसी भी परिस्थिति में भगवान से विमुख नहीं होता।
डॉ. रामसहाय त्रिपाठी जी महाराज ने कहा: “जब-जब धरती पर अधर्म बढ़ता है, तब-तब भगवान अपने भक्तों की रक्षा के लिए अवतार लेते हैं।”
उन्होंने बताया कि हिरण्यकशिपु का अहंकार उसके पतन का कारण बना, जबकि प्रह्लाद की निष्कलंक भक्ति ने उसे अमर बना दिया। यह प्रसंग श्रद्धालुओं के लिए जीवन में अहंकार त्याग और विनम्रता अपनाने का संदेश लेकर आया।
नरसिंह अवतार का भावविभोर करने वाला वर्णन
प्रह्लाद की रक्षा के लिए भगवान के नरसिंह अवतार के प्रसंग ने कथा स्थल को भक्तिरस से भर दिया। जैसे ही महाराज श्री ने हिरण्यकशिपु वध और भक्त प्रह्लाद की रक्षा का वर्णन किया, पूरा पंडाल “नरसिंह भगवान की जय” के जयघोष से गूंज उठा।
इस दौरान श्रद्धालु भाव-विभोर होकर खड़े हो गए और कई लोग भक्ति भाव में आंसुओं से भर उठे। नरसिंह अवतार का प्रसंग यह संदेश देता है कि ईश्वर अपने भक्तों की रक्षा के लिए किसी भी रूप में प्रकट हो सकते हैं।
ध्रुव चरित्र से संकल्प और तपस्या का संदेश
कथा के अगले क्रम में महाराज श्री ने ध्रुव चरित्र का उल्लेख करते हुए कहा कि दृढ़ संकल्प और कठोर तपस्या से असंभव भी संभव हो सकता है। उन्होंने बताया कि बालक ध्रुव ने कम आयु में कठोर तप कर भगवान विष्णु को प्रसन्न किया और अमर पद प्राप्त किया।
महाराज श्री ने कहा: “ध्रुव का जीवन हमें सिखाता है कि लक्ष्य स्पष्ट हो और इच्छाशक्ति मजबूत हो, तो जीवन में कोई भी बाधा टिक नहीं सकती।”
यह प्रसंग विशेष रूप से युवाओं और बच्चों के लिए प्रेरणादायक रहा, जिसने जीवन में लक्ष्य निर्धारण और परिश्रम की महत्ता को रेखांकित किया।
भजन-कीर्तन से और गहराया भक्ति भाव
कथा के दौरान भजन-कीर्तन की सुमधुर प्रस्तुति ने वातावरण को और अधिक भक्तिमय बना दिया। “हरि नाम” के संकीर्तन पर श्रद्धालु झूमते नजर आए। पूरे पंडाल में भक्ति, श्रद्धा और आध्यात्मिक आनंद की अनुभूति स्पष्ट दिखाई दी।
कथा के समापन पर सामूहिक आरती की गई और श्रद्धालुओं के बीच प्रसाद का वितरण हुआ। पाँचवें दिन की कथा ने श्रद्धालुओं के मन में भक्ति, विश्वास और सदाचार की भावना को और अधिक प्रगाढ़ कर दिया।

न्यूज़ देखो: आध्यात्मिक चेतना से जुड़ता समाज
बानो में आयोजित श्रीमद्भागवत कथा यह दर्शाती है कि ऐसे आयोजन समाज में संस्कार, सद्भाव और नैतिक मूल्यों को मजबूत करते हैं। डॉ. रामसहाय त्रिपाठी जी महाराज की कथा ने श्रद्धालुओं को आत्मचिंतन और सकारात्मक जीवन दृष्टि की ओर प्रेरित किया। यह आयोजन धार्मिक आस्था के साथ सामाजिक एकता का भी सशक्त उदाहरण बना। हर खबर पर रहेगी हमारी नजर।
भक्ति से जीवन में आए सकारात्मक परिवर्तन
भागवत कथा केवल धार्मिक आयोजन नहीं, बल्कि जीवन को सही दिशा देने वाली प्रेरणा है। जब भक्ति, संकल्प और सदाचार एक साथ जुड़ते हैं, तब समाज सशक्त बनता है।
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