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“कॉफी विद एसडीएम” में योग प्रशिक्षकों से संवाद, गढ़वा को योगमय बनाने पर हुआ मंथन

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#गढ़वा #कॉफीविदएसडीएम — योग प्रशिक्षकों ने रखीं समस्याएं और सुझाव, एसडीएम ने दिया समाधान का भरोसा
  • साप्ताहिक संवाद “कॉफी विद एसडीएम” में 40+ योग प्रशिक्षकों ने भाग लिया
  • पतंजलि योग समिति और युवा भारत संस्था की रही प्रमुख भागीदारी
  • योग कक्षाओं के लिए भवन, सामग्री और प्रचार की उठी मांग
  • योग दिवस को लेकर भव्य आयोजन की रणनीति बनी
  • एसडीएम ने जिला प्रशासन और योग कर्मियों के बीच सेतु बनने की बात कही

गढ़वा में योग प्रशिक्षकों के साथ “कॉफी विद एसडीएम”

गढ़वा अनुमंडल कार्यालय सभागार में रविवार को आयोजित साप्ताहिक संवाद श्रृंखला “कॉफी विद एसडीएम” का यह विशेष आयोजन योग प्रशिक्षकों और योग प्रेमियों को समर्पित रहा। संवाद की अध्यक्षता एसडीएम संजय कुमार ने की। इस आयोजन का मुख्य उद्देश्य जिला प्रशासन और योग से जुड़े संगठनों के बीच समन्वय स्थापित करना था।

पतंजलि योग समिति, युवा भारत, जायंट सहेली और कई स्वतंत्र योग प्रशिक्षकों की सहभागिता के साथ यह कार्यक्रम स्वस्थ समाज की दिशा में एक सशक्त पहल के रूप में सामने आया।

योग के प्रचार में सामने आ रही चुनौतियों को साझा किया गया

इस अवसर पर प्रशिक्षकों ने योग शिक्षा के प्रचार-प्रसार, संसाधनों की कमी, जगह की उपलब्धता और जनजागरूकता जैसे अहम मुद्दों को सामने रखा।
रास बिहारी तिवारी (पतंजलि राज्य प्रभारी) ने कहा:

“गढ़वा में करीब 1000 प्रशिक्षित योग प्रशिक्षक हैं, लेकिन उचित परिसर नहीं होने के कारण कक्षाएं संचालित करने में दिक्कत आती है। प्रशासन यदि सामुदायिक भवन चिन्हित करे तो समाधान निकल सकता है।”

एसडीएम ने आश्वस्त किया कि नगर परिषद के माध्यम से वार्ड विकास केंद्रों और सामुदायिक भवनों को सुबह-शाम के लिए योग कार्य हेतु उपलब्ध कराया जाएगा।

योग प्रशिक्षकों की मेहनत और समर्पण पर चर्चा

संवाद में यह बात प्रमुखता से सामने आई कि सभी योग कक्षाएं निशुल्क चलती हैं, और प्रशिक्षक स्वैच्छिक रूप से समाज सेवा की भावना से जुड़ते हैं।
सूर्य देव दुबे (एलआईसी कर्मचारी) ने कहा:

“हम हंसते-हंसते लोगों का स्वास्थ्य सुधारते हैं। हंसी भी योग का हिस्सा है।”

पंकज चौबे ने बताया कि योग के माध्यम से उन्होंने 26 किलो वजन घटाया, और यह स्वस्थ जीवन का सबसे बेहतर उपाय है।

कोविड के बाद घटा उत्साह, फिर से जागरूकता की ज़रूरत

सुशील केसरी ने चिंता जताई कि कोविड-19 के बाद योग कक्षाओं में भाग लेने वालों की संख्या घटी है। उन्होंने इसके प्रचार-प्रसार के लिए प्रशासनिक सहयोग की अपेक्षा की।
संतोष चौबे और वर्षा अग्रवाल ने कहा कि शाम को भी योग कक्षाएं शुरू की जाएं, ताकि अधिक वर्ग लाभान्वित हो सकें।

स्कूलों, मोहल्लों और महिला केंद्रित योग की मांग

विमला केसरी, अंजू शुक्ला, इंदु शेखर उपाध्याय, सत्यनारायण यादव (जिप उपाध्यक्ष), जितेंद्र चतुर्वेदी, प्रियंका द्विवेदी, किरण तिवारी, सुनीता द्विवेदी, चंपा तिवारी, पूजा ओझा, बिमला देवी, शिवकुमार साव, सोनी चौबे, चंचला सिंह, ऋषि ठाकुर, गुप्तेश्वर मिश्र, आनंद कुमार, शैलेश कुमार शुक्ला, पंकज शुक्ला, राम प्रसाद गुप्ता, शोभा देवी, संतोष गुप्ता, छोटन कुमार, अंबिका प्रसाद, उपकार कुमार, सुचिता देवी, अरुण कुमार मिश्रा (फलाहारी योग शिक्षक) ने अपने विचार और सुझाव दिए।

संसाधनों की कमी भी आई सामने

प्रशिक्षकों ने सुझाव दिया कि योग मैट, माइक, दरी और साउंड सिस्टम जैसी आवश्यक सामग्री यदि प्रशासन या सीएसआर के माध्यम से उपलब्ध हो जाए, तो गुणवत्ता बेहतर होगी।

वीरेंद्र पांडे (युवा भारत) ने आयुष विभाग के बंद पड़े योग वेलनेस सेंटर को पुनः चालू करने की मांग रखी, जिसे एसडीएम ने गंभीरता से लिया।

योग दिवस की तैयारी और सम्मान प्रस्ताव

21 जून को होने वाले अंतरराष्ट्रीय योग दिवस पर भव्य आयोजन की रणनीति बनी।
संतोष पांडे ने कहा कि सभी विभागों को आमंत्रण भेजा जाए, ताकि अधिक से अधिक लोग शामिल हो सकें।
एसडीएम संजय कुमार ने कहा कि योग में समर्पित लोगों की सूची तैयार की जाए, ताकि उन्हें सम्मानित किया जा सके।
अरुण मिश्रा जैसे वर्षों से सक्रिय योग प्रशिक्षकों की प्रशंसा भी इस मौके पर की गई।

न्यूज़ देखो: संवाद से बदलाव की दिशा

‘कॉफी विद एसडीएम’ जैसे कार्यक्रम लोक प्रशासन को जनसेवा से जोड़ते हैं। यह संवाद न केवल विचारों का आदान-प्रदान है, बल्कि एक स्वस्थ और सशक्त समाज की नींव रखने की कोशिश भी है। गढ़वा जैसे जिले में जब प्रशासन योग जैसी पहल से जुड़े लोगों के साथ बैठता है, तो यह संदेश जाता है कि समाज को बेहतर बनाने की जिम्मेदारी प्रशासन और नागरिक दोनों की है।

हर खबर पर रहेगी हमारी नजर।

स्वस्थ समाज की दिशा में एक और सकारात्मक कदम

योग न केवल शरीर को निरोग करता है, बल्कि मन और समाज को भी संतुलित बनाता है। अगर आप भी समाज में बदलाव लाना चाहते हैं तो स्वयंसेवक बनें, योग अपनाएं और दूसरों को जोड़ें। गढ़वा की इस पहल से प्रेरणा लेकर अपने क्षेत्र में भी ऐसी सकारात्मक कोशिश शुरू की जा सकती है।

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