Gumla

मकई भूनने निकली बेटी राजस्थान में बेची गई, लकवाग्रस्त पिता न्याय के लिए भटकने को मजबूर

#चैनपुर #मानव_तस्करी : आदिवासी युवती को बहला-फुसलाकर बाहर राज्य ले जाने और बेचने का गंभीर आरोप।

गुमला जिले के चैनपुर प्रखंड से मानव तस्करी का एक गंभीर मामला सामने आया है, जहां मालम गांव की आदिवासी युवती प्रियंका एक्का को बहला-फुसलाकर राजस्थान ले जाकर बेच दिए जाने का आरोप है। पीड़ित पिता अनिल एक्का लकवाग्रस्त हैं और तीन बार थाने में आवेदन देने के बावजूद अब तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई है। परिवार बेटी की तलाश में दर-दर भटक रहा है, जबकि पुलिस पर उदासीनता के आरोप लग रहे हैं। यह मामला सीमावर्ती इलाकों में सक्रिय मानव तस्करी नेटवर्क की भयावह तस्वीर दिखाता है।

Join News देखो WhatsApp Channel
  • चैनपुर प्रखंड के मालम गांव की आदिवासी युवती प्रियंका एक्का लापता।
  • तिगवाल गांव निवासी पुपेन एक्का पर बहला-फुसलाकर ले जाने का आरोप।
  • पिता अनिल एक्का लकवाग्रस्त, थाने में तीन बार आवेदन
  • राजस्थान में बेच दिए जाने का गंभीर आरोप।
  • पुलिस पर कार्रवाई नहीं करने का आरोप।

झारखंड के सीमावर्ती इलाकों में मानव तस्करी का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा है। चैनपुर प्रखंड के मालम गांव से सामने आया यह मामला न सिर्फ प्रशासन की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े करता है, बल्कि आदिवासी समाज की सुरक्षा को लेकर भी चिंता बढ़ाता है। एक साधारण परिवार की बेटी घर में मकई भूनने की तैयारी कर रही थी, लेकिन आज उसका कोई पता नहीं है।

प्रियंका एक्का के परिजनों के अनुसार, वह खेत से मकई तोड़कर घर लाई थी और परिवार के साथ उसे भूनकर खाने की तैयारी कर रही थी। इसी दौरान तिगवाल गांव निवासी पुपेन एक्का वहां पहुंचा और उसे रांची घूमने का लालच दिया। भोली-भाली प्रियंका उसकी बातों में आ गई और उसके साथ चली गई।

फोन बंद, चिंता बढ़ी

शुरुआत में प्रियंका का परिवार से फोन पर संपर्क बना रहा। कुछ दिनों तक वह बात करती रही, लेकिन अचानक उसका मोबाइल बंद हो गया। इसके बाद से न तो प्रियंका का कोई पता चला और न ही पुपेन एक्का का। पिता अनिल एक्का का आरोप है कि उनकी बेटी को राजस्थान ले जाकर किसी के हाथों बेच दिया गया है।

लकवाग्रस्त पिता की बेबसी

प्रियंका के पिता अनिल एक्का शारीरिक रूप से अस्वस्थ हैं और लकवे से पीड़ित हैं। इसके बावजूद वे न्याय की आस में लगातार थाने के चक्कर काट रहे हैं। उन्होंने बताया कि अब तक तीन बार चैनपुर थाना में लिखित आवेदन दिया गया है, लेकिन हर बार उन्हें सिर्फ आश्वासन ही मिला।

अनिल एक्का ने कहा:

“जब भी मैं थाने जाता हूं, अधिकारी कहते हैं कि बार-बार यहां क्यों आते हो। मेरी बेटी गायब है और मेरी शिकायत की फाइल कहीं दबकर रह गई है।”

उनका कहना है कि पुलिस तस्करों को पकड़ने में कोई गंभीरता नहीं दिखा रही।

मां की आखिरी बात, जो दिल चीर गई

प्रियंका की मां शालोमि एक्का का दर्द शब्दों में बयां नहीं किया जा सकता। उन्होंने बताया कि आखिरी बार प्रियंका का किसी अज्ञात नंबर से फोन आया था। उस बातचीत में उसने सिर्फ इतना कहा:

“मां, मेरे जूते अच्छे से संभाल कर रखना।”

इसके बाद फोन कट गया और फिर कभी संपर्क नहीं हो सका। बिलखती मां ने प्रशासन और सरकार से गुहार लगाई है कि उनकी बेटी को सुरक्षित वापस लाया जाए, ताकि वे समाज के सामने सिर उठाकर जी सकें और बेटी का भविष्य सुरक्षित कर सकें।

क्षेत्र में मानव तस्करी का बढ़ता जाल

स्थानीय लोगों का कहना है कि चैनपुर और आसपास के इलाकों में मानव तस्करी का संगठित नेटवर्क सक्रिय है। भोली-भाली आदिवासी युवतियों और नाबालिगों को काम, घूमने या बेहतर भविष्य का सपना दिखाकर दिल्ली, राजस्थान और हरियाणा जैसे राज्यों में ले जाया जाता है।

कई मामलों में लड़कियों को जबरन घरेलू काम, बंधुआ मजदूरी या देह व्यापार जैसे दलदल में धकेल दिया जाता है। तस्कर हर महीने मोटी रकम कमाते हैं, जबकि पीड़ित परिवार न्याय के लिए भटकता रहता है।

प्रशासन की भूमिका पर सवाल

इस पूरे मामले में सबसे चिंताजनक पहलू यह है कि शिकायत के बावजूद कार्रवाई का अभाव है। यदि समय रहते पुलिस सक्रिय होती, तो शायद प्रियंका का सुराग मिल सकता था। स्थानीय लोगों का कहना है कि तस्करी के मामलों में अक्सर लीपापोती कर दी जाती है, जिससे अपराधियों का हौसला बढ़ता है।

न्यूज़ देखो: आदिवासी बेटियों की सुरक्षा पर बड़ा सवाल

यह मामला बताता है कि मानव तस्करी अब सिर्फ अपराध नहीं, बल्कि एक संगठित उद्योग बन चुकी है। जब पीड़ित लकवाग्रस्त पिता की सुनवाई नहीं होती, तो व्यवस्था की संवेदनशीलता पर सवाल उठते हैं। क्या पुलिस इस मामले में ठोस कार्रवाई करेगी? क्या तस्करी नेटवर्क तक पहुंच पाएगी? हर खबर पर रहेगी हमारी नजर।

बेटी की तलाश सिर्फ एक परिवार की नहीं, समाज की जिम्मेदारी

प्रियंका की कहानी हजारों गुमनाम बेटियों की कहानी है। यदि आज आवाज नहीं उठी, तो कल कोई और परिवार टूटेगा। प्रशासन से जवाबदेही जरूरी है और समाज से सजगता भी। अपनी राय कमेंट करें, खबर को साझा करें और मानव तस्करी के खिलाफ इस आवाज़ को और मजबूत बनाएं।

📥 Download E-Paper

यह खबर आपके लिए कितनी महत्वपूर्ण थी?

रेटिंग देने के लिए किसी एक स्टार पर क्लिक करें!

इस खबर की औसत रेटिंग: 0 / 5. कुल वोट: 0

अभी तक कोई वोट नहीं! इस खबर को रेट करने वाले पहले व्यक्ति बनें।

चूंकि आपने इस खबर को उपयोगी पाया...

हमें सोशल मीडिया पर फॉलो करें!

IMG-20251017-WA0018
IMG-20251223-WA0009
IMG-20250610-WA0011
IMG-20251227-WA0006
IMG-20250925-WA0154
IMG-20250604-WA0023 (1)
IMG-20250723-WA0070
1000264265
आगे पढ़िए...

नीचे दिए बटन पर क्लिक करके हमें सोशल मीडिया पर फॉलो करें


Related News

ये खबर आपको कैसी लगी, अपनी प्रतिक्रिया दें

Back to top button
error: