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डुमरी के श्मशान घाट पर सिंदूर गृह निर्माण की मांग तेज, हिंदू समाज ने डीडीसी को सौंपा आवेदन

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#गुमला #सामाजिक मांग : बारिश में अंतिम संस्कार की परेशानी से दुखी लोग — सिंदूर गृह निर्माण की उठी आवाज़
  • सीएचसी डुमरी में आयोजित कार्यक्रम के दौरान डीडीसी को सौंपा गया मांग पत्र
  • डुमरी हिंदू समाज ने बासा नदी किनारे सिंदूर गृह निर्माण की मांग रखी
  • बारिश में अंतिम संस्कार में होती है भारी असुविधा, परिजनों को करना पड़ता है इंतजार
  • डीडीसी दिलेश्वर महतो ने अधिकारियों को दिया निर्देश, जल्द बनेगी योजना
  • सामाजिक संगठनों व पंचायत प्रतिनिधियों की मौजूदगी में उठी सामूहिक आवाज़

कार्यक्रम के दौरान उठा जनहित का मुद्दा, हिंदू समाज ने दिखाई एकजुटता

डुमरी प्रखंड के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में मंगलवार को आयोजित कुपोषण उपचार केंद्र उद्घाटन कार्यक्रम एक जनहित की मांग को सामने लाने का माध्यम भी बना। गुमला उप विकास आयुक्त (डीडीसी) दिलेश्वर महतो की मौजूदगी में डुमरी हिंदू समाज के अध्यक्ष अनिल ताम्रकार के नेतृत्व में प्रतिनिधियों ने श्मशान घाट पर सिंदूर गृह (शवदाह गृह) के निर्माण के लिए मांग पत्र सौंपा।

प्रतिनिधियों ने स्पष्ट रूप से कहा कि डुमरी क्षेत्र के अधिकांश अंतिम संस्कार बासा नदी के किनारे किए जाते हैं, जहां बारिश के मौसम में पानी भरने और नदी का जलस्तर बढ़ने से अंतिम क्रियाएं कठिन हो जाती हैं। इस कठिनाई के कारण परिजनों को शवदाह के लिए घंटों इंतजार करना पड़ता है या उन्हें असुविधाजनक स्थितियों में दाह संस्कार करना पड़ता है, जो सम्मानजनक प्रक्रिया नहीं कही जा सकती।

डीडीसी ने लिया संज्ञान, दी शीघ्र योजना तैयार करने की बात

डीडीसी दिलेश्वर महतो ने मांग की गंभीरता को समझते हुए मौके पर उपस्थित प्रखंड प्रशासन व संबंधित अधिकारियों को स्पष्ट निर्देश दिया कि श्मशान घाट पर सिंदूर गृह निर्माण की दिशा में त्वरित कार्रवाई की जाए। उन्होंने कहा:

डीडीसी दिलेश्वर महतो: “यह मांग पूरी तरह जनहित से जुड़ी है। ऐसे मामलों में प्रशासन संवेदनशील रहेगा और यथाशीघ्र कार्य योजना बनाकर निर्माण प्रक्रिया शुरू की जाएगी।”

सम्मानजनक अंत्येष्टि की दिशा में अहम पहल

इस मांग के समर्थन में स्थानीय लोगों ने कहा कि यदि सिंदूर गृह का निर्माण होता है तो यह सिर्फ संरचना नहीं, बल्कि मृतकों के लिए सामाजिक सम्मान की व्यवस्था होगी। बारिश, धूप या रात के अंधेरे में भी बिना परेशानी के अंतिम संस्कार संभव होगा।

हिंदू समाज डुमरी, सामाजिक संगठनों व पंचायत प्रतिनिधियों ने संयुक्त रूप से इस मांग को रखा और आश्वासन मिलने पर संतोष भी जताया। अब देखना यह है कि प्रशासन कितनी तत्परता से इस पर अमल करता है।

न्यूज़ देखो: मृत्यु के बाद भी गरिमा की मांग क्यों ज़रूरी?

न्यूज़ देखो मानता है कि समाज की संवेदनशीलता वहां मापी जाती है, जहां वह अपने मृतकों को अंतिम विदाई कैसे देता है। डुमरी के लोगों की यह मांग ना केवल व्यावहारिक है, बल्कि मानवीय गरिमा से भी जुड़ी है। अंतिम संस्कार की सुविधाएं केवल बुनियादी जरूरत नहीं, सामाजिक जिम्मेदारी भी हैं।
हर खबर पर रहेगी हमारी नजर।

सकारात्मक सोच, जिम्मेदार समाज

अगर आप भी मानते हैं कि सम्मानजनक अंत्येष्टि हर व्यक्ति का अधिकार है, तो इस खबर को शेयर करें। अपने विचार कमेंट में लिखें और यह मांग अपने क्षेत्र के प्रतिनिधियों तक पहुँचाएं — क्योंकि बदलाव आपकी भागीदारी से आता है।

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