
#गुमला #RainTragedy : लगातार बारिश से कच्चे मकान का एक हिस्सा रात में ढहा — ग्रामीण बोले: “सरकार दे तत्काल राहत और मुआवजा”
- लबगा गांव निवासी बलराम उरांव का कच्चा घर धंसा।
- घटना के समय पूरा परिवार घर में सोया हुआ था।
- सभी लोग सुरक्षित बाहर निकलने में सफल रहे।
- पीड़ित परिवार ने राहत सामग्री व मुआवजे की मांग की है।
- स्थानीय ग्रामीणों ने भी प्रशासन से सहायता की मांग की।
मिट्टी के सहारे बीत रहा था जीवन, बारिश ने छीन लिया आशियाना
गुमला जिला अंतर्गत बिशनपुर प्रखंड के घाघरा पंचायत के लबगा गांव में सोमवार देर रात लगातार बारिश की वजह से एक कच्चा मकान अचानक धंस गया, जिससे इलाके में सनसनी फैल गई। यह घर गांव के निवासी बलराम उरांव का था, जो अपनी पत्नी और बच्चों के साथ उसी मकान में वर्षों से रह रहे थे।
बलराम उरांव, जिनके पिता स्वर्गीय विश्रामराम थे, का कहना है कि घर की हालत पहले से ही जर्जर थी, लेकिन बीते दिनों की लगातार मूसलधार बारिश ने मिट्टी के बने घर को पूरी तरह कमजोर कर दिया और सोमवार रात उसका एक हिस्सा भरभरा कर गिर पड़ा।
बलराम उरांव ने कहा: “हमलोग रात में सोए हुए थे, अचानक दीवार गिरी और घर का एक हिस्सा बैठ गया। किसी तरह जान बचाई। अब सर छुपाने के लिए भी जगह नहीं बचा। हम चाहते हैं कि सरकार हमारी मदद करे।”
बाल-बाल बचे पर संकट गहराया
हादसे के वक्त पूरा परिवार घर के अंदर था, लेकिन सभी सदस्य किसी तरह समय रहते बाहर निकलने में सफल रहे। हादसे के बाद से पूरा परिवार खुले आसमान के नीचे रह रहा है। कोई वैकल्पिक आवास नहीं, न ही अब तक कोई सरकारी राहत पहुंची है।
स्थानीय ग्रामीणों का कहना है कि बलराम उरांव का परिवार आर्थिक रूप से बेहद कमजोर है। उन्हें प्रधानमंत्री आवास योजना या किसी अन्य सरकारी योजना का लाभ अब तक नहीं मिला है। ग्रामीणों ने प्रशासन से तत्काल राहत सामग्री, अस्थायी टेंट और मुआवजा देने की मांग की है।
प्रशासनिक चुप्पी पर ग्रामीणों का रोष
हादसे के बाद पंचायत प्रतिनिधियों और ग्रामीणों ने प्रशासन को सूचना दी, लेकिन खबर लिखे जाने तक कोई अधिकारी मौके पर नहीं पहुंचा था। इससे लोगों में नाराजगी का माहौल है। ग्रामीणों का कहना है कि बारिश के मौसम में कई ऐसे घर खतरे की जद में हैं, और यदि प्रशासन सक्रिय नहीं हुआ तो आगे और भी हादसे हो सकते हैं।
जमीनी क्रियान्वयन पर फिर उठे सवाल
यह घटना एक बार फिर साबित करती है कि सरकारी योजनाओं का लाभ जरूरतमंदों तक नहीं पहुंच पा रहा है। बलराम उरांव जैसे लोग आज भी कच्चे घरों में जिंदगी काट रहे हैं, जबकि कागजों पर सरकार हर घर को पक्का करने का दावा करती है।





न्यूज़ देखो: पक्के घरों के वादों की कच्ची दीवारें
लबगा गांव की यह घटना बताती है कि गांवों में आज भी पक्के मकान एक सपना बने हुए हैं, और वर्षा जैसे सामान्य मौसमी प्रभाव भी जानलेवा साबित हो सकते हैं। सरकार को चाहिए कि वह तुरंत ऐसे पीड़ित परिवारों को राहत पहुंचाए और मजबूत आवास योजनाओं के क्रियान्वयन की निगरानी करे।
हर खबर पर रहेगी हमारी नजर।
संवेदनशील शासन और सजग नागरिकता की जरूरत
ऐसी घटनाएं प्रशासन और समाज दोनों के लिए चेतावनी हैं। ज़रूरत है कि हम जागरूक नागरिक बनें, जरूरतमंदों की आवाज़ बनें, और प्रशासन से पारदर्शिता और जवाबदेही की मांग करें। इस खबर को अपने गांव-मोहल्ले में साझा करें, अपनी राय दें, और मजबूत समाज निर्माण में भागीदार बनें।