
#दुमका #शोक_समाचार : जामा प्रखंड के वरिष्ठ डाककर्मी रहे स्वर्गीय रामेश्वर प्रसाद राय का 76 वर्ष की आयु में निधन
- जामा प्रखंड के हेठमंझीयानडीह गांव के प्रसिद्ध डाक बाबू स्वर्गीय रामेश्वर प्रसाद राय का निधन हो गया।
- वे लंबे समय तक हेठमंझीयानडीह डाकघर के पोस्टमास्टर रहे और यहीं से सेवानिवृत्त हुए।
- किडनी और लिवर संक्रमण के इलाज के दौरान फुलो झानो मेडिकल कॉलेज अस्पताल में उन्होंने अंतिम सांस ली।
- उनका अंतिम संस्कार रविवार को भागलपुर के बरारी घाट पर किया जाएगा।
- निधन की खबर से गांव और क्षेत्र में शोक की लहर, लोगों ने उन्हें सादगी और सेवा भावना का प्रतीक बताया।
दुमका जिले ने आज अपने एक सच्चे सेवक और मिलनसार व्यक्तित्व को खो दिया। जामा प्रखंड के हेठमंझीयानडीह गांव के स्वर्गीय रामेश्वर प्रसाद राय (76 वर्ष), जिन्हें स्थानीय लोग प्यार से ‘डाक बाबू’ कहा करते थे, का निधन शुक्रवार शाम फुलो झानो मेडिकल कॉलेज अस्पताल में हो गया। वे लंबे समय तक हेठमंझीयानडीह डाकघर में पोस्टमास्टर के पद पर कार्यरत रहे और अपनी सरलता व ईमानदारी के लिए क्षेत्र में जाने जाते थे।
सेवा और सादगी का प्रतीक रहे ‘डाक बाबू’
स्व. रामेश्वर प्रसाद राय का जीवन समर्पण और सादगी का उदाहरण था। डाक विभाग में अपने कार्यकाल के दौरान उन्होंने न केवल पत्र वितरण का कार्य किया, बल्कि गांवों के लोगों के साथ भरोसे और अपनत्व का रिश्ता भी बनाया। हर व्यक्ति उन्हें सम्मानपूर्वक “डाक बाबू” कहकर पुकारता था।
उनके सहयोगियों और ग्रामीणों के अनुसार, वे हमेशा दूसरों की मदद के लिए तत्पर रहते थे। सेवा निवृत्ति के बाद भी लोगों के सुख-दुख में बराबर शामिल रहते थे।
गांव के एक बुजुर्ग ने कहा: “डाक बाबू सिर्फ डाक नहीं लाते थे, वे रिश्ते जोड़ते थे। उनका जाना पूरे गांव के लिए अपूरणीय क्षति है।”
परिवार और समाज में शोक की लहर
स्व. राय अपने पीछे भरा-पूरा परिवार छोड़ गए हैं। परिवार और पूरे क्षेत्र में उनके निधन से शोक की लहर है। लोग उनके घर पहुंचकर श्रद्धांजलि अर्पित कर रहे हैं।
रविवार को उनका अंतिम संस्कार बरारी (भागलपुर) में किया जाएगा, जहाँ उनके परिजन और सैकड़ों श्रद्धालु अंतिम विदाई देने पहुंचेंगे।
एक स्थानीय निवासी ने कहा: “वे हर किसी के जीवन का हिस्सा थे। उनकी मुस्कान और सादगी हमेशा याद रहेगी।”
न्यूज़ देखो: दुमका ने खोया सादगी और सेवा का प्रतीक ‘डाक बाबू’
स्व. रामेश्वर प्रसाद राय का जीवन इस बात का प्रमाण है कि सच्ची सेवा पद से नहीं, भावना से होती है। उनके निधन ने दुमका के सामाजिक ताने-बाने में एक गहरी खाली जगह छोड़ दी है।
हर खबर पर रहेगी हमारी नजर।
यादों में जीवित रहेंगे ‘डाक बाबू’
डाक बाबू का जाना भले ही एक युग का अंत है, लेकिन उनके कर्म, सादगी और सेवा भावना आने वाली पीढ़ियों को प्रेरणा देती रहेगी।
आइए, हम सब मिलकर उनके जीवन से सीख लें — दूसरों की सेवा करें, सादगी को अपनाएं और मानवीय संवेदनाओं को जीवित रखें।
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