
#मनिका #दुर्गापूजा : गाजे-बाजे के साथ महिलाओं-बच्चों और श्रद्धालुओं की बड़ी भागीदारी
- मनिका प्रखंड में कई दुर्गा पूजा समितियों ने कलश यात्रा निकाली।
- बाजार टांड़, पचपेड़ी और भटको से शोभायात्राएं निकाली गईं।
- महिलाएं, बच्चे, युवा और बुजुर्ग सैकड़ों की संख्या में हुए शामिल।
- जय माता दी के जयघोष से गूंजा पूरा शहर।
- पुलिस प्रशासन ने मुस्तैदी से सुरक्षा की जिम्मेदारी निभाई।
मनिका (लातेहार)। शारदीय नवरात्र की सप्तमी तिथि पर सोमवार को मनिका प्रखंड में विभिन्न दुर्गा पूजा समितियों ने भव्य कलश यात्रा निकाली। इस मौके पर बाजार टांड़ स्थित नवयुवक संघ दुर्गा पूजा समिति, पचपेड़ी की अमर पूजा समिति, और भटको की सार्वजनिक दुर्गा पूजा समिति सहित कई पूजा पंडालों से कलश यात्रा बड़े ही उल्लास और गाजे-बाजे के साथ निकली।
जयघोष से गुंजा पूरा शहर
इस शोभायात्रा में सैकड़ों की संख्या में श्रद्धालु, जिनमें महिलाएं, बच्चे, युवा और बुजुर्ग शामिल थे, मां दुर्गा के जयघोष और भक्ति गीतों के साथ आगे बढ़ते नजर आए। जय माता दी और जय मां दुर्गा के नारों से पूरा शहर भक्तिमय माहौल में डूब गया।
पारंपरिक विधि से भरा गया कलश
बाजार टांड़ दुर्गा पूजा समिति की कलश यात्रा अपने पूजा पंडाल से शुरू होकर शहर के प्रमुख मार्गों से होते हुए बाजार देवी मंडप स्थित तालाब तक पहुंची। यहां परंपरागत विधि-विधान के साथ जल भरा गया और फिर श्रद्धालु जल से भरे कलश लेकर वापस पूजा पंडाल लौटे।
महिलाओं की बढ़ी हुई सहभागिता
इस यात्रा की विशेषता यह रही कि इसमें महिलाओं की संख्या सबसे अधिक रही। पारंपरिक वेशभूषा में सजी महिलाएं और युवतियां कलश लेकर कतारबद्ध चल रही थीं, जिससे शोभायात्रा और भी आकर्षक हो गई।
प्रशासन रहा पूरी तरह मुस्तैद
कलश यात्रा की शांति और सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए पुलिस प्रशासन ने पूरी तैयारी की। जगह-जगह पुलिस बल की तैनाती रही और अधिकारी खुद भी स्थिति पर नजर रखे हुए थे। श्रद्धालुओं और समिति के सदस्यों ने भी यात्रा को सफल और शांतिपूर्ण बनाने में सक्रिय भूमिका निभाई।
न्यूज़ देखो: आस्था और अनुशासन का संगम बनी कलश यात्रा
मनिका की कलश यात्राएं यह साबित करती हैं कि जब समाज आस्था और अनुशासन के साथ एकजुट होता है, तो उसका प्रभाव पूरे क्षेत्र पर सकारात्मक रूप से पड़ता है। यहां परंपरा, संस्कृति और प्रशासनिक सहयोग का सुंदर तालमेल देखने को मिला।
हर खबर पर रहेगी हमारी नजर।
परंपरा संग आस्था का उत्सव
कलश यात्राएं केवल धार्मिक आस्था का नहीं, बल्कि सामाजिक एकता और सांस्कृतिक धरोहर के संरक्षण का प्रतीक हैं। ऐसे आयोजनों से समाज में भाईचारा बढ़ता है। अब वक्त है कि हम सब इस एकजुटता को आगे बढ़ाएं। अपनी राय कमेंट करें और खबर को साझा करें ताकि यह संदेश और दूर तक पहुंचे।