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बंदुआ गांव में दो महीने बाद लौटी बिजली की रोशनी, नए ट्रांसफार्मर का उद्घाटन कर मुख्तार आलम ने दी बड़ी राहत

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#गुमला #बिजली_बहाली : 63 केवीए ट्रांसफार्मर लगने से गांव में फिर से शुरू हुआ सामान्य जनजीवन
  • डुमरी प्रखंड के बंदुआ गांव में दो महीने बाद बहाल हुई बिजली आपूर्ति।
  • 63 केवीए का नया ट्रांसफार्मर स्थापित, विधिवत फीता काटकर उद्घाटन
  • असंगठित कामगार कांग्रेस जिलाध्यक्ष व 20 सूत्री सदस्य मुख्तार आलम की पहल से मिली सफलता।
  • ट्रांसफार्मर जलने से पढ़ाई, खेती और दैनिक जीवन हो रहा था प्रभावित।
  • ग्रामीणों के मांग पत्र और विभाग से समन्वय के बाद हुई त्वरित कार्रवाई।
  • बिजली लौटने पर ग्रामीणों में खुशी और राहत, जनप्रतिनिधि का हुआ स्वागत।

डुमरी, गुमला प्रखंड अंतर्गत बंदुआ गांव के ग्रामीणों के लिए बुधवार का दिन किसी त्योहार से कम नहीं रहा। पिछले दो महीनों से अंधेरे में डूबे गांव में आखिरकार बिजली की रोशनी लौट आई। गांव में 63 केवीए का नया ट्रांसफार्मर लगाए जाने के बाद विधिवत उद्घाटन किया गया, जिससे बिजली आपूर्ति फिर से बहाल हो सकी। इस पहल के पीछे असंगठित कामगार कांग्रेस के जिलाध्यक्ष सह 20 सूत्री सदस्य मुख्तार आलम की सक्रिय भूमिका निर्णायक रही।

बिजली बहाल होते ही गांव में फिर से रौनक लौट आई। लंबे समय से बिजली संकट से जूझ रहे ग्रामीणों ने राहत की सांस ली और इसे अपने दैनिक जीवन के लिए बड़ी उपलब्धि बताया।

दो महीने से ठप थी बिजली आपूर्ति

ग्रामीणों के अनुसार, बंदुआ गांव में करीब दो महीने पहले ट्रांसफार्मर जल जाने के कारण पूरी बिजली आपूर्ति ठप हो गई थी। बिजली नहीं रहने से गांव का सामान्य जनजीवन बुरी तरह प्रभावित हो गया था।

खेती-किसानी से जुड़े कार्य, मोबाइल चार्जिंग, पीने के पानी की व्यवस्था, रात में आवागमन और सबसे अधिक बच्चों की पढ़ाई प्रभावित हो रही थी। अंधेरे में गांव की सुरक्षा को लेकर भी ग्रामीणों में चिंता बनी रहती थी।

ग्रामीणों ने बताया कि उन्होंने कई बार संबंधित विभाग से संपर्क किया, लेकिन समस्या का समाधान नहीं हो सका, जिससे लोगों में निराशा बढ़ती जा रही थी।

मांग पत्र के बाद तेज हुई कार्रवाई

समस्या के समाधान को लेकर कांग्रेस एससी मोर्चा के प्रखंड अध्यक्ष नारायण रजक के नेतृत्व में ग्रामीणों का एक प्रतिनिधिमंडल मुख्तार आलम से मिला। ग्रामीणों ने उन्हें लिखित मांग पत्र सौंपकर बिजली संकट की पूरी स्थिति से अवगत कराया।

मामले की गंभीरता को समझते हुए मुख्तार आलम ने तत्काल बिजली विभाग के मुख्य अभियंता से संपर्क किया और बंदुआ गांव की वास्तविक स्थिति रखी। उन्होंने स्पष्ट शब्दों में कहा कि ग्रामीणों को लंबे समय से अंधेरे में रखना किसी भी स्थिति में स्वीकार्य नहीं है।

उनके कड़े रुख और निरंतर प्रयास के बाद बिजली विभाग ने त्वरित कार्रवाई करते हुए गांव के लिए नया ट्रांसफार्मर आवंटित किया। इसके बाद तकनीकी प्रक्रिया पूरी कर 63 केवीए ट्रांसफार्मर स्थापित किया गया।

फीता काटकर किया गया उद्घाटन

नए ट्रांसफार्मर के सफलतापूर्वक लगने के बाद मुख्तार आलम ने फीता काटकर उद्घाटन किया। उद्घाटन के साथ ही गांव में बिजली आपूर्ति शुरू हो गई।

इस अवसर पर ग्रामीणों ने मुख्तार आलम का पारंपरिक तरीके से गर्मजोशी के साथ स्वागत किया। लोगों ने उन्हें धन्यवाद देते हुए कहा कि यदि समय पर हस्तक्षेप नहीं होता, तो संकट और लंबा खिंच सकता था।

ग्रामीणों में खुशी, जनजीवन पटरी पर

बिजली लौटने के बाद गांव में खुशी का माहौल देखने को मिला। बच्चों की पढ़ाई फिर से शुरू हो सकी, घरों में पंखे और लाइटें जल उठीं और रात में गांव की गलियां रोशन हो गईं।

ग्रामीणों का कहना है कि बिजली केवल सुविधा नहीं, बल्कि जीवन की बुनियादी जरूरत है। लंबे समय तक बिजली नहीं रहने से जो परेशानियां झेलनी पड़ीं, उन्हें अब राहत में बदला जा सका है।

उपस्थित रहे कई गणमान्य लोग

उद्घाटन समारोह के दौरान गांव के कई गणमान्य लोग और बड़ी संख्या में ग्रामीण मौजूद रहे। कार्यक्रम में प्रवीण तिर्की, क्रिस्टोफर कुजूर, कोमल मिंज, विजय कुजूर, अमृत किंडो, राजेश टोप्पो सहित अन्य ग्रामीणों की उपस्थिति रही। सभी ने एक स्वर में समस्या के समाधान के लिए किए गए प्रयासों की सराहना की।

जनप्रतिनिधि की सक्रियता बनी मिसाल

ग्रामीणों का कहना है कि यह घटना दर्शाती है कि यदि जनप्रतिनिधि सक्रियता दिखाएं और प्रशासन से सही तालमेल बनाए, तो स्थानीय समस्याओं का समाधान संभव है।

मुख्तार आलम ने इस मौके पर कहा कि जनता की मूलभूत सुविधाओं से जुड़ी समस्याओं को प्राथमिकता के आधार पर हल कराना उनका दायित्व है। उन्होंने भरोसा दिलाया कि आगे भी क्षेत्र की जनसमस्याओं को गंभीरता से उठाया जाएगा।

न्यूज़ देखो: अंधेरे से उजाले की ओर बंदुआ गांव

बंदुआ गांव में बिजली की बहाली सिर्फ एक ट्रांसफार्मर का लगना नहीं, बल्कि ग्रामीण जीवन को फिर से पटरी पर लाने की पहल है। ऐसे मामलों में जनप्रतिनिधियों की सक्रियता और प्रशासनिक समन्वय यह साबित करता है कि इच्छाशक्ति हो तो समाधान देर से सही, लेकिन संभव जरूर होता है। हर खबर पर रहेगी हमारी नजर।

गांव-गांव तक सुविधाएं पहुंचाने की जरूरत

बिजली, पानी और सड़क जैसी बुनियादी सुविधाएं ही ग्रामीण विकास की असली पहचान हैं।
समय पर समाधान न हो तो आम लोगों की मुश्किलें बढ़ती हैं।
आपके क्षेत्र में ऐसी कोई समस्या है या समाधान की मिसाल?
कमेंट में अपनी राय साझा करें और खबर को आगे बढ़ाएं।

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Aditya Kumar

डुमरी, गुमला

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