
#बरवाडीह #सड़क_सुरक्षा : कुटमू–सरईडीह मार्ग के दोनों किनारों पर फैली घनी झाड़ियां दृश्यता बाधित कर रही हैं, जिससे दुर्घटना की आशंका लगातार बढ़ती जा रही है।
- कुटमू–सरईडीह मार्ग पर सड़क किनारे फैली झाड़ियां बनीं गंभीर खतरा।
- सामने से आने वाले वाहन नहीं दिखते, बढ़ी टक्कर की संभावना।
- शिवनाला पुल की मरम्मती के बाद आवागमन शुरू होते ही जोखिम और बढ़ा।
- ग्रामीणों ने तत्काल झाड़ी सफाई की उठाई मांग।
- स्थानीय निवासियों ने प्रशासन से संभावित हादसा रोकने की अपील की।
बरवाडीह प्रखंड अंतर्गत कुटमू–सरईडीह मुख्य मार्ग इन दिनों दुर्घटनाओं को दावत देता नजर आ रहा है। सड़क के दोनों ओर फैली बड़ी-बड़ी झाड़ियों ने न सिर्फ मार्ग को संकीर्ण बना दिया है, बल्कि सामने से आने वाले वाहनों की दृश्यता भी पूरी तरह बाधित कर दी है। हालात ऐसे हो गए हैं कि मोड़ पर अचानक सामने आ जाने वाले वाहन या दोपहिया सवार दिखाई ही नहीं देते, जिससे कभी भी बड़ा सड़क हादसा हो सकता है।
स्थानीय लोगों के अनुसार यह समस्या कोई नई नहीं है, लेकिन लंबे समय से प्रशासनिक उदासीनता के कारण अब यह जानलेवा रूप ले चुकी है। खासकर रात के समय या बारिश के मौसम में इस मार्ग पर यात्रा करना लोगों के लिए खतरे से खाली नहीं है।
सड़क किनारे फैली झाड़ियां बनी जानलेवा बाधा
कुटमू–सरईडीह मार्ग के दोनों किनारों पर उगी झाड़ियां अब इतनी घनी हो चुकी हैं कि सड़क की चौड़ाई लगातार कम होती जा रही है। कई स्थानों पर झाड़ियां सड़क तक फैल आई हैं, जिससे वाहन चालकों को अनुमान से वाहन चलाना पड़ रहा है।
स्थानीय ग्रामीणों का कहना है कि दोपहिया और चारपहिया वाहनों के अलावा पैदल चलने वालों के लिए भी यह मार्ग असुरक्षित हो गया है।
ग्रामीण रणविजय सिंह, बजरंगी प्रसाद, सैनुल अंसारी, धर्मेंद्र प्रसाद, विजय मांझी, संतोष प्रसाद, गोपाल मिस्त्री, अखिलेश विश्वकर्मा और शंभू मिस्त्री सहित अन्य लोगों ने बताया कि कई बार वाहन चालक अचानक सामने आ जाने के कारण संतुलन खो बैठते हैं, लेकिन सौभाग्य से अब तक बड़ी दुर्घटना टलती रही है।
शिवनाला पुल की मरम्मती के बाद बढ़ा खतरा
ग्रामीणों ने बताया कि पूर्व में कुटमू का शिवनाला पुल ध्वस्त हो जाने के कारण इस मार्ग पर आवागमन पूरी तरह बंद था। उस दौरान दुर्घटना की आशंका कम थी।
लेकिन अब पुल की मरम्मती पूरी होने के बाद इस मार्ग पर दोबारा वाहनों की आवाजाही शुरू हो गई है। इसके साथ ही सड़क किनारे फैली झाड़ियों के कारण खतरा कई गुना बढ़ गया है।
ग्रामीणों का कहना है कि भारी वाहनों के साथ-साथ स्कूल जाने वाले बच्चे, बाइक सवार और पैदल यात्री भी इसी मार्ग का उपयोग करते हैं। ऐसे में यदि समय रहते झाड़ियों की सफाई नहीं कराई गई, तो किसी बड़े हादसे से इनकार नहीं किया जा सकता।
ग्रामीणों ने जताई गंभीर चिंता
स्थानीय निवासियों ने इस समस्या को लेकर गहरी चिंता जाहिर की है। ग्रामीणों का कहना है कि कई बार प्रशासन और जनप्रतिनिधियों को मौखिक रूप से इस खतरे से अवगत कराया गया, लेकिन अब तक कोई ठोस पहल नहीं की गई।
ग्रामीणों ने कहा:
स्थानीय ग्रामीणों ने कहा: “झाड़ियां इतनी बढ़ गई हैं कि सामने से आ रहा वाहन आखिरी समय में दिखता है। अगर समय रहते सफाई नहीं हुई, तो किसी की जान भी जा सकती है।”
उनका यह भी कहना है कि बरसात के दिनों में झाड़ियों के कारण जहरीले जीव-जंतुओं का खतरा भी बढ़ जाता है, जिससे ग्रामीणों और राहगीरों को अतिरिक्त परेशानी झेलनी पड़ती है।
प्रशासन से तत्काल कार्रवाई की मांग
ग्रामीणों ने प्रशासन से मांग की है कि कुटमू–सरईडीह मार्ग के दोनों किनारों पर फैली झाड़ियों की अविलंब सफाई कराई जाए। इसके साथ ही सड़क सुरक्षा के दृष्टिकोण से चेतावनी बोर्ड और आवश्यक संकेतक भी लगाए जाएं, ताकि वाहन चालकों को सतर्क किया जा सके।
स्थानीय लोगों का मानना है कि यदि समय रहते यह छोटा सा कदम उठा लिया जाए, तो भविष्य में होने वाली बड़ी दुर्घटनाओं को रोका जा सकता है। ग्रामीणों ने स्पष्ट कहा कि हादसा होने के बाद कार्रवाई करने से बेहतर है कि पहले ही रोकथाम की जाए।
सड़क सुरक्षा पर उठते सवाल
यह मामला केवल एक मार्ग तक सीमित नहीं है, बल्कि ग्रामीण क्षेत्रों में सड़क रखरखाव और सुरक्षा को लेकर प्रशासनिक व्यवस्था पर भी सवाल खड़े करता है। कई ग्रामीण सड़कों पर इसी तरह झाड़ियों और अतिक्रमण की समस्या देखने को मिलती है, लेकिन नियमित निरीक्षण और रखरखाव के अभाव में ये समस्याएं जानलेवा बन जाती हैं।
विशेषज्ञों का मानना है कि सड़क किनारे की झाड़ियों की समय-समय पर सफाई न केवल दृश्यता बढ़ाती है, बल्कि दुर्घटनाओं की आशंका को भी काफी हद तक कम करती है।
न्यूज़ देखो: लापरवाही नहीं, रोकथाम जरूरी
कुटमू–सरईडीह मार्ग की स्थिति यह दर्शाती है कि छोटी-छोटी समस्याएं यदि समय पर नहीं सुलझाई जाएं, तो वे बड़े हादसों का कारण बन सकती हैं। सड़क किनारे झाड़ियों की सफाई कोई बड़ा प्रोजेक्ट नहीं, बल्कि नियमित रखरखाव का हिस्सा है। प्रशासन को चाहिए कि शिकायत से पहले ही ऐसे खतरों की पहचान कर कार्रवाई करे। हर खबर पर रहेगी हमारी नजर।
हादसे से पहले चेतना जरूरी
सड़क सुरक्षा केवल प्रशासन की जिम्मेदारी नहीं, बल्कि समाज की साझा जिम्मेदारी है।
स्थानीय लोग जागरूक हैं, अब जरूरत है त्वरित प्रशासनिक पहल की।
यदि आप भी इस मार्ग से गुजरते हैं या अपने क्षेत्र में ऐसी समस्या देखते हैं, तो आवाज उठाएं।
अपनी राय कमेंट करें, खबर साझा करें और सुरक्षित सड़कों की मुहिम को मजबूत करें।





