
#चंदवा #बिजली_संकट : सांसद आदर्श ग्राम चटुआग के किसानों ने बिजली आपूर्ति की मांग पर गड्ढा खोदकर अनिश्चितकालीन जमीन समाधि सत्याग्रह शुरू किया।
- चंदवा प्रखंड के चटुआग गांव में किसानों ने बिजली समस्या के समाधान के लिए जमीन समाधि सत्याग्रह शुरू किया।
- दर्जनों किसानों ने गड्ढा खोदकर जमीन पर बैठकर प्रदर्शन किया।
- आंदोलन का समय हर दिन सुबह 11 बजे से दोपहर 3 बजे तक निर्धारित है।
- आंदोलन में पंचायत समिति सदस्य अयूब खान भी शामिल हुए।
- किसानों का आरोप—अब तक कई टोले बिजली से वंचित, अस्थायी व्यवस्था लकड़ी के खंभों से।
चंदवा, लातेहार: सांसद आदर्श ग्राम चटुआग के किसानों ने बिजली संकट को लेकर प्रशासन के खिलाफ अनोखे और शांतिपूर्ण तरीके से विरोध जताते हुए अनिश्चितकालीन जमीन समाधि सत्याग्रह शुरू कर दिया है। इस सत्याग्रह में दर्जनों किसान जमीन पर गड्ढा खोदकर उसमें बैठ गए हैं। किसानों का कहना है कि वे इस आंदोलन को तब तक जारी रखेंगे जब तक गांव में बिजली की समस्या का समाधान नहीं हो जाता।
किसानों का अनोखा सत्याग्रह: बिजली के बिना अंधेरे में गांव
किसानों ने बताया कि उनके गांव के कई टोले आज भी अंधेरे में डूबे हुए हैं। जिन टोलों में बिजली पहुंची भी है, वहां लकड़ी के पोल और पेड़ों के सहारे तार खींचकर बिजली चलाई जा रही है, जो किसी भी समय जानलेवा साबित हो सकती है। किसानों का कहना है कि बार-बार शिकायत और आंदोलन करने के बावजूद अब तक स्थिति में कोई सुधार नहीं हुआ।
आंदोलन का नेतृत्व कर रहे जीदन टोपनो, सनीका मुंडा, बुधराम बारला, दाउद होरो, अमीत भेंगरा, सिमान भेंगरा, प्रमीला भेंगरा, फगुनी भेंगरा, अंधरियस टोपनो, धुमा भेंगरा, मुना भेंगरा, मागरेट टोपनो, मुक्ता टोपनो, वीनीता कोंनगाड़ी और पुरन मुंडा ने बताया कि इस समस्या को लेकर वे पहले भी आंदोलन कर चुके हैं, लेकिन प्रशासन ने केवल आश्वासन देकर मामला ठंडे बस्ते में डाल दिया।
बिजली संकट से बेहाल गांव, ट्रांसफॉर्मर की भी जरूरत
किसानों ने बताया कि अठुला टोला में नया ट्रांसफॉर्मर लगाने की आवश्यकता है, क्योंकि पुराना ट्रांसफॉर्मर पूरी तरह से क्षतिग्रस्त हो चुका है। वहीं कारी टोंगरी, उबका पानी, पहना पानी, परहैया टोला, लोहराही, पोक्या, चोरझरिया, पुरंमपनिया, भेलवाही, बगडेगवा, चरकापत्थल जैसे दर्जनों इलाकों में अब तक विद्युतीकरण नहीं हुआ है। ग्रामीणों का कहना है कि इस हालात में खेतों की सिंचाई और घरेलू कामकाज दोनों प्रभावित हैं।
पंचायत समिति सदस्य भी बने आंदोलन का हिस्सा
किसानों के इस सत्याग्रह में पंचायत समिति सदस्य अयूब खान भी शामिल हुए और उन्होंने किसानों के आंदोलन को समर्थन दिया। उन्होंने कहा कि ग्रामीणों की यह मांग पूरी तरह जायज है और बिजली जैसी बुनियादी जरूरत से लोगों को वंचित रखना किसी भी सूरत में उचित नहीं है।
अयूब खान ने कहा: “जब प्रशासन बार-बार शिकायतों के बावजूद कार्रवाई नहीं करता, तब जनता के पास सत्याग्रह ही आखिरी विकल्प बचता है। सरकार को जल्द समाधान करना चाहिए, वरना यह आंदोलन और तेज होगा।”
किसानों का कहना है कि उनका यह आंदोलन प्रतिदिन सुबह 11 बजे से दोपहर 3 बजे तक जारी रहेगा, जब तक गांव के सभी घरों में बिजली नहीं पहुंच जाती।
न्यूज़ देखो: जब अंधेरे के खिलाफ उठी किसानों की आवाज
चंदवा के चटुआग गांव का यह आंदोलन केवल बिजली की मांग नहीं, बल्कि प्रशासनिक सुस्ती के खिलाफ किसानों की असहाय पुकार है। यह सत्याग्रह दिखाता है कि आज भी ग्रामीण झारखंड में विकास के दावे जमीन पर अधूरे हैं। सरकार और बिजली विभाग को इन आवाजों को सुनना होगा, क्योंकि जनता की सहनशक्ति की भी एक सीमा होती है।
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अंधेरे से उजाले की लड़ाई, जनता की आवाज बने किसान
चटुआग के किसानों का जमीन समाधि सत्याग्रह हमें यह सिखाता है कि लोकतंत्र में आवाज उठाना ही बदलाव की पहली सीढ़ी है। बिजली जैसी बुनियादी जरूरत पर संघर्ष कर रहे ये किसान झारखंड के हर ग्रामीण की उम्मीद हैं।
अब वक्त है कि हम सब मिलकर ऐसे आंदोलनों की गूंज को आगे बढ़ाएं—इस खबर को शेयर करें, अपनी राय कमेंट करें, और बिजली से अंधेरे को मिटाने के अभियान में शामिल हों।




