
#गुमला #कृषि_विकास : कृषि विज्ञान केंद्र में आयोजित बैठक में विशेषज्ञों ने किसानों को दी नई तकनीक की जानकारी
- डुमरी प्रखंड के कृषि विज्ञान केंद्र (KVK) में वर्ष 2025-26 की कृषि कार्ययोजना पर बैठक आयोजित हुई।
- बैठक की अध्यक्षता ATM नज़ीरुल अंसारी ने की और संचालन BTM आलोक सुमित केरकेट्टा ने किया।
- कार्यक्रम में BAHO रूपमणि मिन्ज़ और KVK वैज्ञानिक सुनील कुमार विशेष रूप से उपस्थित रहे।
- किसानों को उन्नत खेती तकनीक, फसल विविधीकरण और जैविक खेती के महत्व पर जानकारी दी गई।
- बैठक में किसान मित्रों और वार्ड सदस्यों ने भी बड़ी संख्या में भाग लेकर सहयोग का संकल्प लिया।
डुमरी प्रखंड के कृषि विज्ञान केंद्र में आयोजित इस विशेष बैठक का मुख्य उद्देश्य किसानों को नई तकनीकों से जोड़ना और उन्हें आत्मनिर्भर बनाना था। वर्ष 2025-26 के लिए तैयार की गई कृषि कार्ययोजना पर विस्तार से चर्चा की गई। इस दौरान विशेषज्ञों ने बताया कि फसल विविधीकरण और जैविक खेती से किसानों को न केवल अधिक मुनाफा मिलेगा बल्कि भूमि की उर्वरता भी लंबे समय तक बनी रहेगी।
नई तकनीकों से खेती में आएगा सुधार
कार्यक्रम की शुरुआत में ATM नज़ीरुल अंसारी ने कृषि विकास के सरकारी प्रयासों और योजनाओं पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि बदलते मौसम और बाजार की जरूरतों को ध्यान में रखते हुए किसानों को तकनीकी रूप से सक्षम बनाना समय की मांग है।
संचालन कर रहे BTM आलोक सुमित केरकेट्टा ने कृषि योजनाओं के सफल क्रियान्वयन के लिए किसानों के सहयोग की आवश्यकता बताई।
KVK वैज्ञानिक सुनील कुमार ने कहा: “किसानों को अब पारंपरिक खेती से आगे बढ़कर नई वैज्ञानिक पद्धतियों को अपनाना चाहिए। इससे उत्पादन बढ़ेगा और किसानों की आय में स्थायी वृद्धि होगी।”
उन्होंने जैविक खेती के लाभों पर जोर देते हुए कहा कि रासायनिक खादों के अधिक उपयोग से मिट्टी की गुणवत्ता प्रभावित होती है, जबकि जैविक पद्धतियाँ दीर्घकालिक लाभ देती हैं।
किसानों में उत्साह और जागरूकता
बैठक में शामिल BAHO रूपमणि मिन्ज़ ने बताया कि सरकार की प्राथमिकता किसानों की आमदनी बढ़ाने और प्राकृतिक संसाधनों के संरक्षण पर केंद्रित है। उन्होंने किसानों से आग्रह किया कि वे प्रशिक्षण में सीखी बातों को व्यवहार में लाएं ताकि क्षेत्र में खेती का मॉडल अन्य जगहों के लिए प्रेरणा बने।
इस मौके पर किसान मित्रों और वार्ड सदस्यों ने भी सक्रिय भागीदारी निभाई। उपस्थित किसानों ने कहा कि ऐसे प्रशिक्षण कार्यक्रमों से उन्हें खेती में नवाचार और जोखिम प्रबंधन की समझ मिलती है।
कार्यक्रम के अंत में सभी अधिकारियों और किसानों ने सामूहिक रूप से यह संकल्प लिया कि वे मिलकर कृषि विकास और आत्मनिर्भर ग्रामीण अर्थव्यवस्था की दिशा में कार्य करेंगे।

न्यूज़ देखो: किसानों को नई सोच और तकनीक की राह
इस बैठक ने यह साबित किया कि यदि किसानों को सही मार्गदर्शन और संसाधन मिलें तो ग्रामीण अर्थव्यवस्था में बड़ा परिवर्तन संभव है। स्थानीय स्तर पर इस तरह के प्रशिक्षण कार्यक्रम न केवल उत्पादन बढ़ाते हैं बल्कि युवाओं को भी खेती की ओर प्रेरित करते हैं।
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अब वक्त है खेती को नई दिशा देने का
कृषि में नवाचार ही आत्मनिर्भर भारत की नींव है। अगर हर किसान नई तकनीक और जैविक पद्धतियों को अपनाए, तो गांव-गांव में समृद्धि संभव है। आइए, जागरूक किसान बनें, नई जानकारी को साझा करें और दूसरों को भी प्रेरित करें।
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