
#गुमला #कृषक_प्रशिक्षण : घाघरा प्रखंड में आयोजित कृषक प्रशिक्षण कार्यक्रम में किसानों को मोटे अनाज की खेती की आधुनिक तकनीकों की दी गई जानकारी
- कृषि विज्ञान केंद्र गुमला के तत्वाधान में घाघरा प्रखंड में कृषक प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन किया गया।
- कार्यक्रम में BTM नीरज सिंह ने किसानों को रागी, मक्का और ज्वार की खेती के तरीकों पर विस्तार से बताया।
- किसानों को बीज, खाद और तकनीकी संसाधन केंद्र द्वारा उपलब्ध कराए जा रहे हैं।
- सरकार की ओर से प्रति एकड़ प्रोत्साहन राशि देने की भी घोषणा की गई।
- कार्यक्रम में विभिन्न पंचायतों के किसान और कृषि मित्र शामिल हुए।
गुमला जिले के घाघरा प्रखंड में कृषि विज्ञान केंद्र द्वारा आयोजित यह प्रशिक्षण कार्यक्रम किसानों के लिए एक महत्वपूर्ण अवसर साबित हुआ। इस कार्यक्रम का उद्देश्य किसानों को उन्नत कृषि तकनीकों से जोड़ना और उन्हें मोटे अनाज की खेती के लाभों के प्रति जागरूक करना था। कार्यक्रम में उपस्थित किसानों को बताया गया कि कैसे रागी, मक्का और ज्वार जैसी फसलें न केवल स्वास्थ्यवर्धक हैं बल्कि आर्थिक रूप से भी लाभदायक सिद्ध हो सकती हैं।
मोटे अनाज की खेती का बढ़ता महत्व
BTM नीरज सिंह ने विस्तार से समझाया कि मोटे अनाजों की खेती में कम पानी की आवश्यकता होती है और ये फसलें सूखा-प्रवण क्षेत्रों के लिए अत्यंत उपयोगी हैं। उन्होंने कहा कि इन फसलों की खेती जल संरक्षण में मदद करती है और मिट्टी की उर्वरता को बनाए रखती है।
नीरज सिंह ने कहा: “मोटे अनाज की खेती से किसान अपनी आय को बढ़ा सकते हैं और साथ ही जलवायु परिवर्तन के प्रभावों का भी सामना कर सकते हैं।”
कार्यक्रम के दौरान किसानों को व्यावहारिक जानकारी दी गई कि किस प्रकार नई कृषि तकनीकों और वैज्ञानिक विधियों के माध्यम से फसल उत्पादन बढ़ाया जा सकता है। साथ ही, केंद्र की ओर से किसानों को बीज, खाद और आवश्यक संसाधन भी वितरित किए गए ताकि वे तुरंत इन तकनीकों को अपनाने में सक्षम हों।
सरकार की ओर से प्रोत्साहन
कार्यक्रम में बताया गया कि राज्य सरकार किसानों को प्रति एकड़ प्रोत्साहन राशि दे रही है ताकि अधिक से अधिक किसान मोटे अनाज की खेती की ओर आकर्षित हों। इस पहल से न केवल किसानों की आय बढ़ेगी बल्कि स्थानीय अर्थव्यवस्था भी मजबूत होगी।
सामूहिक सहभागिता से बढ़ा आत्मविश्वास
इस कार्यक्रम में विभिन्न पंचायतों के किसानों के अलावा कई कृषि मित्र भी उपस्थित रहे। सभी प्रतिभागियों ने इस प्रशिक्षण से मिली जानकारी को अपने गांवों में अन्य किसानों तक पहुंचाने का संकल्प लिया। कार्यक्रम के अंत में किसानों ने कृषि विज्ञान केंद्र गुमला का आभार व्यक्त किया और भविष्य में ऐसे और प्रशिक्षण कार्यक्रमों की मांग की।
न्यूज़ देखो: किसानों के सशक्तिकरण की दिशा में सराहनीय पहल
घाघरा प्रखंड में आयोजित यह कृषक प्रशिक्षण कार्यक्रम साबित करता है कि जब किसानों को सही जानकारी और संसाधन मिलते हैं, तो वे आत्मनिर्भरता की दिशा में तेजी से आगे बढ़ सकते हैं। मोटे अनाजों की खेती जैसे विषय न केवल किसानों के जीवन में बदलाव लाते हैं बल्कि पर्यावरण संरक्षण में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
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आत्मनिर्भर किसान, समृद्ध झारखंड
यह पहल झारखंड के किसानों के आत्मविश्वास और ज्ञान को नई ऊंचाइयों तक ले जाने वाली है। अब समय है कि हर किसान आधुनिक तकनीक और वैज्ञानिक खेती अपनाकर अपने भविष्य को सुरक्षित बनाए। अपनी राय कमेंट करें, इस खबर को दोस्तों के साथ साझा करें और बदलाव की इस श्रृंखला में योगदान दें।




