
#गढ़वा #प्राकृतिकखेतीप्रशिक्षण : सीआरपी दीदियों को दिया जाएगा विजामृत, जीवामृत, वाप्सा जैसी तकनीकों का प्रशिक्षण
- कृषि विज्ञान केंद्र गढ़वा में 15 जुलाई से पांच दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम की शुरुआत
- मुख्य अतिथि शिव शंकर प्रसाद (जिला कृषि पदाधिकारी) ने किया उद्घाटन
- डॉ. राजीव कुमार और डॉ. सुष्मा ललिता बाखला ने प्राकृतिक खेती के पहलुओं पर दी जानकारी
- विजामृत, जीवामृत, आच्छादन, वाप्सा और सह-फसली जैसे विषयों पर होगा फोकस
- प्रशिक्षण में संतरा देवी, अंजू देवी, रूपा कुमारी, नीतीशा समेत दर्जनों दीदियों ने भाग लिया
प्रशिक्षण का शुभारंभ दीप प्रज्वलन से
गढ़वा: कृषि विज्ञान केंद्र, गढ़वा में जेएसएलपीएस (Jharkhand State Livelihood Promotion Society) की सीआरपी (संकुल संसाधन व्यक्ति) दीदियों के लिए प्राकृतिक खेती पर आधारित पांच दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम की शुरुआत हुई।
मुख्य अतिथि जिला कृषि पदाधिकारी श्री शिव शंकर प्रसाद ने दीप प्रज्वलन कर कार्यक्रम का उद्घाटन किया।
दीदियों को दी जाएगी व्यावहारिक जानकारी
कार्यक्रम में वरीय वैज्ञानिक सह प्रधान डॉ. राजीव कुमार ने कहा कि यह प्रशिक्षण राष्ट्रीय प्राकृतिक खेती मिशन के तहत संचालित है और इसमें प्राकृतिक खेती के पांच मुख्य घटकों पर विशेष ध्यान दिया जाएगा:
- विजामृत – बीज उपचार की प्राकृतिक विधि
- जीवामृत – मिट्टी की उर्वरता बढ़ाने का जैविक मिश्रण
- आच्छादन – खेतों को ढकने की तकनीक
- वाप्सा – मिट्टी में नमी बनाए रखने की तकनीक
- सह-फसली प्रणाली – अलग-अलग फसलों का संयुक्त उत्पादन
पशुपालन भी है अहम हिस्सा
पशुपालन वैज्ञानिक डॉ. सुष्मा ललिता बाखला ने प्राकृतिक खेती में पशुधन की भूमिका पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि गाय, बकरी जैसे पशु प्राकृतिक खाद तैयार करने में उपयोगी हैं और आर्थिक रूप से भी महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाते हैं।
कार्यक्रम में उपस्थित गणमान्य और प्रशिक्षु
इस अवसर पर नवलेश कुमार (SRF) ने अतिथियों का स्वागत किया और कार्यक्रम की रूपरेखा प्रस्तुत की।
श्री सियाराम पाण्डेय, श्री सुनील कुमार, श्री राकेश रंजन चौबे, श्री अमित बैठा, श्री कृष्णा कुमार चौबे समेत कई लोग कार्यक्रम में मौजूद रहे।
प्रशिक्षण में भाग लेने वाली प्रमुख दीदियों में संतरा देवी, अंजू देवी, रूपा कुमारी और नीतीशा शामिल थीं।



न्यूज़ देखो : खेती में आत्मनिर्भरता की ओर महिला शक्ति का कदम
न्यूज़ देखो का मानना है कि ऐसी पहलें ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूती देने के साथ-साथ महिलाओं को खेती के क्षेत्र में प्रशिक्षित और सशक्त बनाती हैं।
प्राकृतिक खेती न केवल लागत घटाती है, बल्कि मिट्टी, जल और पर्यावरण की भी रक्षा करती है।
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ग्रामीण भारत में बदलाव की बयार
ग्रामीण महिला सशक्तिकरण की दिशा में प्राकृतिक खेती एक क्रांतिकारी बदलाव है। न्यूज़ देखो सभी दीदियों को इस प्रयास के लिए शुभकामनाएं देता है और उम्मीद करता है कि वे अपने गांव और समाज में हरित क्रांति की अगली प्रेरणास्रोत बनेंगी।