
#बानो #दुर्गापूजा : पूर्व विधायक कोचे मुंडा हुरदा पहुँचे, पूजा-अर्चना के बाद क्षेत्रीय मुद्दों और पार्टी की मजबूती पर हुई चर्चा
- पूर्व विधायक कोचे मुंडा परिवार संग हुरदा पहुँचे।
- माता दुर्गा की प्रतिमा के समक्ष पूजन कर क्षेत्र की मंगलकामना की।
- पंडित दुर्योधन दास ने विधिवत पूजन कराया।
- दुर्गा पूजा समिति हुरदा के अध्यक्ष चन्द्र साहू समेत कई पदाधिकारी मौजूद रहे।
- पूजा उपरांत पार्टी मजबूती और स्थानीय मुद्दों पर चर्चा की गई।
बुधवार को बानो प्रखंड के हुरदा में दुर्गा पूजा के मौके पर धार्मिक और राजनीतिक माहौल देखने को मिला। पूर्व विधायक कोचे मुंडा अपने परिवार के साथ माता दुर्गा की प्रतिमा के दर्शन करने पहुँचे और विधिवत पूजन-अर्चना की। इस अवसर पर उन्होंने माँ से क्षेत्र की खुशहाली और समृद्धि की प्रार्थना की।
माता दुर्गा की आराधना और पूजा
पूर्व विधायक ने माता के समक्ष माथा टेका और पूजा-पाठ कर आशीर्वाद प्राप्त किया। इस अवसर पर पंडित दुर्योधन दास ने पूरे विधि-विधान से पूजा संपन्न कराई। कोचे मुंडा ने कहा कि नवरात्र का यह पावन पर्व समाज में शांति और भाईचारे का संदेश देता है।
समिति सदस्यों और कार्यकर्ताओं से मुलाकात
पूजा के बाद कोचे मुंडा ने दुर्गा पूजा समिति हुरदा के पदाधिकारियों और सदस्यों से मुलाकात की। इसमें समिति अध्यक्ष चन्द्र साहू, उपाध्यक्ष संतोष बड़ाईक, सदस्य नंदलाल साहू, बालेश्वर सिंह, वासुदेव साहू, केशव साहू आदि उपस्थित थे। इस दौरान उन्होंने पूजा आयोजन की सराहना की और समिति को बधाई दी।
राजनीतिक चर्चा और संगठन की मजबूती
धार्मिक अनुष्ठान के बाद पूर्व विधायक ने कार्यकर्ताओं के साथ बैठक कर पार्टी की मजबूती और स्थानीय मुद्दों पर चर्चा की। इस मौके पर बीजेपी हुरदा मंडल अध्यक्ष ओमिन सिंह भी मौजूद रहे। कार्यकर्ताओं ने संगठन को मजबूत करने और जनता से सीधा जुड़ाव बनाए रखने पर जोर दिया।

न्यूज़ देखो: पूजा के साथ संगठन का संदेश
हुरदा में दुर्गा पूजा के दौरान पूर्व विधायक का शामिल होना केवल धार्मिक नहीं, बल्कि राजनीतिक दृष्टि से भी महत्वपूर्ण रहा। इससे स्पष्ट है कि त्योहारों के जरिए समाज और राजनीति दोनों को एक साथ जोड़ने का प्रयास हो रहा है। जनता की अपेक्षाओं और क्षेत्रीय समस्याओं पर चर्चा कर नेताओं ने अपने सामाजिक दायित्व को भी रेखांकित किया।
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आस्था और जिम्मेदारी का संगम
धार्मिक आस्था और राजनीतिक जिम्मेदारी का यह मेल समाज को नई दिशा देता है। जब जनप्रतिनिधि त्योहारों में सम्मिलित होते हैं तो यह न केवल विश्वास का वातावरण बनाता है, बल्कि समाज और संगठन के बीच सेतु भी तैयार करता है। अब समय है कि हम सभी आस्था को सामाजिक विकास से जोड़ें। अपनी राय कमेंट करें, खबर को साझा करें और सकारात्मक बदलाव की इस प्रक्रिया में भागीदार बनें।