
#रांची #श्रद्धांजलि : वरिष्ठ पत्रकार और शिक्षाविद प्रो. डॉ. वी. पी. शरण के निधन से झारखंड के बौद्धिक जगत को अपूरणीय क्षति
- रांची विश्वविद्यालय के पूर्व प्रतिकुलपति प्रो. डॉ. वी. पी. शरण का निधन।
- वरिष्ठ पत्रकार, लेखक और शिक्षाविद के रूप में रही विशिष्ट पहचान।
- पत्रकारिता, साहित्य, सामाजिक और राजनीतिक क्षेत्र को गहरी क्षति।
- हृदयानंद मिश्र ने व्यक्त किया गहरा शोक, बताया अपूरणीय क्षति।
- महागठबंधन सरकार के न्यूनतम साझा कार्यक्रम में निभाई थी अहम भूमिका।
रांची विश्वविद्यालय के पूर्व प्रतिकुलपति, वरिष्ठ पत्रकार एवं बहुआयामी व्यक्तित्व प्रो. डॉ. वी. पी. शरण के निधन से झारखंड सहित पूरे बौद्धिक समाज में शोक की लहर है। शिक्षा, पत्रकारिता, साहित्य और सामाजिक क्षेत्र से जुड़े लोगों ने उनके निधन को राज्य के बौद्धिक जीवन के लिए एक बड़ी क्षति बताया है।
हृदयानंद मिश्र ने व्यक्त किया गहरा शोक
वरिष्ठ अधिवक्ता एवं हिन्दू धार्मिक न्यास बोर्ड, झारखंड के सदस्य हृदयानंद मिश्र ने प्रो. डॉ. वी. पी. शरण के निधन पर गहरा शोक व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि प्रो. शरण एक विचारशील बुद्धिजीवी, संवेदनशील लेखक और समाज के प्रति प्रतिबद्ध व्यक्तित्व थे। उनके असामयिक निधन से पत्रकारिता, साहित्य और सामाजिक क्षेत्र को ऐसी क्षति हुई है जिसकी भरपाई संभव नहीं है।
हृदयानंद मिश्र ने स्मरण करते हुए बताया कि शिबू सोरेन के मुख्यमंत्रित्व काल में महागठबंधन सरकार के न्यूनतम साझा कार्यक्रम के निर्माण के दौरान उन्हें प्रो. शरण के साथ कार्य करने का अवसर मिला था। उस समय हुए वैचारिक विमर्श, सामाजिक सरोकारों पर उनकी स्पष्ट सोच और संतुलित दृष्टिकोण आज भी स्मृति में जीवित हैं।
शिक्षा और पत्रकारिता जगत में विशिष्ट पहचान
प्रो. डॉ. वी. पी. शरण शिक्षा जगत में एक दूरदर्शी प्रशासक और प्रखर शिक्षाविद के रूप में पहचाने जाते थे। रांची विश्वविद्यालय में प्रतिकुलपति रहते हुए उन्होंने अकादमिक अनुशासन, वैचारिक स्वतंत्रता और गुणवत्तापूर्ण शिक्षा को बढ़ावा दिया। विश्वविद्यालय प्रशासन में उनका योगदान लंबे समय तक याद किया जाएगा।
वरिष्ठ पत्रकार के रूप में उनका लेखन सामाजिक न्याय, लोकतंत्र और जनसरोकारों पर केंद्रित रहा। उन्होंने पत्रकारिता को केवल समाचार तक सीमित नहीं रखा, बल्कि उसे समाज को जागरूक करने का सशक्त माध्यम बनाया।
सामाजिक और राजनीतिक विमर्श के सशक्त स्तंभ
प्रो. डॉ. वी. पी. शरण सामाजिक और राजनीतिक विमर्श के भी मजबूत स्तंभ थे। नीति निर्माण, सामाजिक न्याय और लोकतांत्रिक मूल्यों पर उनकी गहरी पकड़ रही। महागठबंधन सरकार के न्यूनतम साझा कार्यक्रम में उनका योगदान उनकी वैचारिक गंभीरता और जनहित के प्रति प्रतिबद्धता को दर्शाता है।
हृदयानंद मिश्र सहित उनके सहयोगियों और समकालीनों ने उन्हें एक ऐसे मार्गदर्शक के रूप में याद किया, जिनके साथ बिताए गए सामाजिक और राजनीतिक क्षण आज अमूल्य स्मृति बन चुके हैं।
बौद्धिक विरासत जो सदैव प्रेरणा देगी
प्रो. डॉ. वी. पी. शरण का व्यक्तित्व बहुआयामी था। वे शिक्षाविद, पत्रकार, लेखक और सामाजिक चिंतक के रूप में सदैव स्मरण किए जाएंगे। उनका जाना केवल एक व्यक्ति का जाना नहीं, बल्कि झारखंड की बौद्धिक परंपरा का एक महत्वपूर्ण अध्याय समाप्त होना है।
न्यूज़ देखो: एक युग का अवसान
प्रो. डॉ. वी. पी. शरण का निधन झारखंड के बौद्धिक और वैचारिक समाज के लिए गहरी क्षति है। उनके विचार, लेखन और सामाजिक प्रतिबद्धता आने वाली पीढ़ियों के लिए मार्गदर्शक बनी रहेगी। हर खबर पर रहेगी हमारी नजर।
श्रद्धांजलि और स्मरण
प्रो. डॉ. वी. पी. शरण का जीवन समाज, विचार और संवेदना को समर्पित रहा।
उनकी वैचारिक विरासत सदैव प्रेरणा देती रहेगी।
न्यूज़ देखो परिवार दिवंगत आत्मा को नमन करता है।
ईश्वर शोकाकुल परिजनों को इस कठिन समय में संबल प्रदान करें।
आप भी अपनी श्रद्धांजलि साझा करें।





