Ranchi

आदिवासी बच्चों के सपनों को उड़ान, रांची में शुरू हुआ निशुल्क JEE NEET कोचिंग संस्थान

#रांची #आदिवासी_शिक्षा : मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने आदिवासी छात्रों के लिए निशुल्क कोचिंग संस्थान का उद्घाटन किया।

झारखंड के आदिवासी बच्चों को उच्च शिक्षा और प्रतियोगी परीक्षाओं में आगे बढ़ाने की दिशा में रांची में एक बड़ी पहल की गई है। मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने दिशोम गुरु शिबू सोरेन इंजीनियरिंग JEE एवं मेडिकल NEET कोचिंग संस्थान का उद्घाटन किया। इस संस्थान में आदिवासी बच्चों को निःशुल्क कोचिंग देकर मेडिकल और इंजीनियरिंग जैसे क्षेत्रों में करियर बनाने के लिए तैयार किया जाएगा। यह पहल राज्य में सामाजिक समानता और शैक्षणिक सशक्तिकरण की दिशा में महत्वपूर्ण मानी जा रही है।

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  • मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने रांची में कोचिंग संस्थान का उद्घाटन किया।
  • आदिवासी बच्चों को JEE और NEET की निःशुल्क कोचिंग दी जाएगी।
  • संस्थान में 300 युवाओं को प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए तैयार किया जाएगा।
  • प्रथम चरण में 138 बच्चियां और 162 बच्चे चयनित किए गए।
  • भविष्य में UPSC और JPSC जैसी परीक्षाओं की कोचिंग की भी योजना।

झारखंड सरकार ने आदिवासी समाज के बच्चों को शिक्षा के क्षेत्र में मुख्यधारा से जोड़ने के लिए एक ऐतिहासिक कदम उठाया है। रांची में मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने दिशोम गुरु शिबू सोरेन इंजीनियरिंग JEE एवं मेडिकल NEET कोचिंग संस्थान का उद्घाटन किया। इस अवसर पर उन्होंने स्पष्ट किया कि राज्य सरकार आने वाली पीढ़ी के साथ मजबूती से खड़ी है और बच्चों के सपनों को साकार करने के लिए हर संभव सहयोग देगी।

यह कोचिंग संस्थान विशेष रूप से आदिवासी बच्चों के लिए स्थापित किया गया है, जहां उन्हें बिना किसी शुल्क के देश की सबसे कठिन मानी जाने वाली प्रतियोगी परीक्षाओं JEE और NEET की तैयारी कराई जाएगी। इस पहल का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि आर्थिक या सामाजिक कारणों से कोई भी प्रतिभाशाली बच्चा अपने सपनों से वंचित न रह जाए।

मुख्यमंत्री का संदेश: मेहनत करें, सरकार साथ है

उद्घाटन समारोह के दौरान मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने छात्रों को संबोधित करते हुए कहा:

हेमंत सोरेन ने कहा: “अब यहां से बच्चे मेडिकल और इंजीनियरिंग में दाखिला ले सकेंगे। इसके लिए आप सभी बच्चों को तराशा जाएगा। पूरी सरकार आने वाली पीढ़ी के साथ खड़ी है। आप मेहनत कीजिए, आपकी सफलता ही हमारे लिए सबसे बड़ा उपहार होगा।”

उन्होंने कहा कि सरकार बच्चों और युवाओं की परेशानियों को अपने कंधों पर लेकर उनका भविष्य संवारने का प्रयास कर रही है। शिक्षा ही वह माध्यम है, जिससे समाज में स्थायी बदलाव लाया जा सकता है।

300 छात्रों को मिलेगा निशुल्क प्रशिक्षण

इस कोचिंग संस्थान में कुल 300 आदिवासी युवाओं को JEE और NEET परीक्षाओं के लिए तैयार किया जाएगा। चयनित छात्रों के लिए पाठ्यक्रम को इस तरह से तैयार किया गया है कि वे प्रतियोगी परीक्षाओं की कठिन चुनौतियों का आत्मविश्वास के साथ सामना कर सकें।

संस्थान में:

  • 10वीं पास छात्रों को दो वर्षों की कोचिंग
  • 12वीं पास छात्रों को एक वर्ष की कोचिंग
    प्रदान की जाएगी।

प्रथम चरण में 138 बच्चियों और 162 बच्चों का चयन निःशुल्क कोचिंग के लिए किया गया है, जो राज्य में लैंगिक संतुलन और समान अवसर की दिशा में भी एक सकारात्मक संकेत है।

भविष्य की तैयारी: UPSC और JPSC तक विस्तार

मुख्यमंत्री ने यह भी संकेत दिया कि यह पहल केवल JEE और NEET तक सीमित नहीं रहेगी। उन्होंने कहा:

हेमंत सोरेन ने कहा: “मेडिकल और इंजीनियरिंग की कोचिंग के बाद UPSC, JPSC समेत अन्य प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी के लिए भी कोचिंग सेंटर शुरू करने की तैयारी में हम लोग हैं।”

इस घोषणा से यह स्पष्ट हो गया है कि सरकार आदिवासी युवाओं को प्रशासनिक सेवाओं और अन्य उच्च पदों तक पहुंचाने के लिए दीर्घकालिक रणनीति पर काम कर रही है।

आदिवासी समाज के लिए परिवर्तनकारी कदम

झारखंड जैसे आदिवासी बहुल राज्य में यह कोचिंग संस्थान शिक्षा के क्षेत्र में एक मील का पत्थर साबित हो सकता है। वर्षों से आदिवासी बच्चों को संसाधनों, मार्गदर्शन और अवसरों की कमी के कारण प्रतियोगी परीक्षाओं में पीछे रहना पड़ा है। इस संस्थान के माध्यम से उन्हें गुणवत्तापूर्ण शिक्षा, अनुभवी शिक्षकों का मार्गदर्शन और अनुकूल शैक्षणिक वातावरण मिलेगा।

शिक्षा विशेषज्ञों का मानना है कि यदि इस पहल को निरंतर और प्रभावी ढंग से लागू किया गया, तो आने वाले वर्षों में झारखंड से बड़ी संख्या में आदिवासी डॉक्टर, इंजीनियर और प्रशासक सामने आ सकते हैं।

न्यूज़ देखो: शिक्षा से सशक्तिकरण की मजबूत नींव

दिशोम गुरु शिबू सोरेन JEE एवं NEET कोचिंग संस्थान झारखंड में आदिवासी शिक्षा के क्षेत्र में एक दूरदर्शी पहल है। यह न केवल अवसरों की असमानता को कम करने की दिशा में कदम है, बल्कि सामाजिक न्याय को मजबूत करने का भी प्रयास है। अब यह देखना अहम होगा कि इस योजना का क्रियान्वयन कितनी प्रभावी तरीके से होता है और कितने छात्र अपने सपनों को साकार कर पाते हैं। हर खबर पर रहेगी हमारी नजर।

सपनों को आकार देने का समय

आज आदिवासी बच्चों के पास आगे बढ़ने का मंच और अवसर दोनों हैं। मेहनत, अनुशासन और सही मार्गदर्शन से वे देश के सर्वोच्च संस्थानों तक पहुंच सकते हैं। इस पहल को लेकर आपकी क्या राय है, जरूर साझा करें। खबर को आगे बढ़ाएं ताकि ज्यादा से ज्यादा बच्चे और अभिभावक इससे प्रेरित हो सकें और शिक्षा को अपना सबसे मजबूत हथियार बना सकें।

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