Garhwa

विशुनपुरा में प्रशासन का अल्टीमेटम फेल, सड़क पर अतिक्रमण जस का तस

#गढ़वा #अतिक्रमण_कार्रवाई : 24 घंटे की चेतावनी के बाद भी विशुनपुरा मुख्यालय में सड़क कब्जा नहीं हटा।

गढ़वा जिले के विशुनपुरा प्रखंड मुख्यालय में सड़क से अतिक्रमण हटाने को लेकर प्रशासन द्वारा दिया गया 24 घंटे का अल्टीमेटम पूरी तरह विफल साबित हुआ है। समय-सीमा समाप्त होने के बावजूद सड़क किनारे ठेला, खोमचा और अस्थायी दुकानें पहले की तरह जमी हुई हैं। अतिक्रमण के कारण आवागमन बाधित है और रोजाना जाम की स्थिति बन रही है। प्रशासन की चेतावनी और जमीनी कार्रवाई के बीच बढ़ता अंतर अब सवालों के घेरे में है।

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  • विशुनपुरा प्रखंड मुख्यालय में प्रशासन का अल्टीमेटम बेअसर।
  • 24 घंटे की समय-सीमा के बाद भी सड़क पर अतिक्रमण कायम।
  • नाली के भीतर तक दुकानें, आवागमन बुरी तरह प्रभावित।
  • अंचलाधिकारी खगेश कुमार और थाना प्रभारी राहुल सिंह ने दी थी चेतावनी।
  • लाल चौक, बैंक मोड़, अपर बाजार समेत कई इलाके प्रभावित।

गढ़वा जिले के विशुनपुरा प्रखंड मुख्यालय में सड़क अतिक्रमण हटाने को लेकर प्रशासन की सख्ती सिर्फ कागजों तक सीमित नजर आ रही है। अंचलाधिकारी और थाना प्रभारी द्वारा डोर-टू-डोर अभियान चलाकर दिए गए 24 घंटे के अल्टीमेटम के बाद भी जमीनी हालात जस के तस बने हुए हैं। सड़क किनारे ठेला, खोमचा, सीट और अस्थायी दुकानों की कतारें अब भी लोगों की परेशानी का कारण बनी हुई हैं।

स्थानीय नागरिकों का कहना है कि प्रशासन की ओर से हर बार चेतावनी दी जाती है, लेकिन ठोस कार्रवाई नहीं होने से अतिक्रमणधारियों के हौसले और बढ़ जाते हैं। नतीजतन सड़कें संकरी होती जा रही हैं और रोजाना जाम तथा दुर्घटना का खतरा बना रहता है।

प्रशासन की चेतावनी और जमीनी हकीकत

कुछ दिन पहले अंचलाधिकारी खगेश कुमार और थाना प्रभारी राहुल सिंह ने संयुक्त रूप से विशुनपुरा मुख्यालय में अतिक्रमण हटाने के लिए अभियान चलाया था। इस दौरान दुकानदारों और ठेला संचालकों को स्पष्ट निर्देश दिया गया था कि वे 24 घंटे के भीतर स्वयं सड़क खाली कर दें, अन्यथा प्रशासन मशीनों के जरिए कार्रवाई करेगा।

हालांकि चेतावनी की समय-सीमा समाप्त हो जाने के बाद भी न तो कोई मशीन मौके पर दिखाई दी और न ही अतिक्रमण हटाने की कोई ठोस कार्रवाई हुई। इससे यह साफ हो गया कि प्रशासन का अल्टीमेटम अतिक्रमणधारियों पर कोई असर नहीं डाल सका।

कहां-कहां हालात सबसे खराब

विशेष रूप से विशुनपुरा पुरानी पंचायत भवन (लाल चौक), बैंक मोड़, अपर बाजार, चकचक मोड़, और गांधी चौक से कोचेया मोड़ तक की स्थिति सबसे अधिक चिंताजनक बनी हुई है। इन इलाकों में सड़क के बड़े हिस्से पर कब्जा कर दुकानें संचालित की जा रही हैं।

नालियों के ऊपर और भीतर तक ठेले और दुकानें लगने से न सिर्फ सड़क संकरी हो गई है, बल्कि जल निकासी भी प्रभावित हो रही है। बरसात के मौसम में यह समस्या और गंभीर रूप ले सकती है।

आम लोगों की परेशानी

राहगीरों और वाहन चालकों को रोजाना भारी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। स्कूल जाने वाले बच्चों, बुजुर्गों और महिलाओं के लिए सड़क पार करना जोखिम भरा हो गया है। स्थानीय दुकानदारों का कहना है कि अतिक्रमण के कारण ग्राहकों को भी आने-जाने में दिक्कत होती है।

एक स्थानीय नागरिक ने कहा:
“हर बार प्रशासन आता है, चेतावनी देता है और फिर सब कुछ पहले जैसा हो जाता है। जब कार्रवाई ही नहीं होती तो अतिक्रमणधारी क्यों डरेंगे।”

सवालों के घेरे में प्रशासन

अब सबसे बड़ा सवाल यह उठ रहा है कि प्रशासन अपने ही आदेशों को लागू कराने में क्यों असफल हो रहा है। क्या अतिक्रमणधारियों पर किसी तरह का राजनीतिक या अन्य दबाव काम कर रहा है, या फिर कार्रवाई से जानबूझकर परहेज किया जा रहा है।

स्थानीय लोगों का मानना है कि यदि समय रहते सख्त और निष्पक्ष कार्रवाई नहीं हुई तो यह प्रक्रिया केवल औपचारिकता बनकर रह जाएगी और अतिक्रमण स्थायी रूप ले लेगा।

लोगों की मांग

विशुनपुरा के नागरिकों ने प्रशासन से स्पष्ट मांग की है कि बिना किसी भेदभाव और दबाव के तत्काल अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई की जाए। उनका कहना है कि सड़कें आम जनता के लिए हैं, न कि अवैध कब्जे के लिए।

यदि प्रशासन निष्पक्ष कार्रवाई करता है तो न केवल यातायात सुचारू होगा, बल्कि दुर्घटनाओं की आशंका भी कम होगी और शहर की छवि भी सुधरेगी।

न्यूज़ देखो: चेतावनी नहीं, कार्रवाई की जरूरत

विशुनपुरा का यह मामला साफ दिखाता है कि सिर्फ अल्टीमेटम देने से अतिक्रमण नहीं हटता। जब तक चेतावनी के बाद सख्त और लगातार कार्रवाई नहीं होगी, तब तक अतिक्रमणधारी बेखौफ रहेंगे। अब प्रशासन की विश्वसनीयता इसी बात से तय होगी कि वह अपने आदेशों को जमीन पर उतार पाता है या नहीं। हर खबर पर रहेगी हमारी नजर।

सड़कें जनता की हैं, कब्जे की नहीं

शहर की व्यवस्था तभी सुधरेगी जब नियम सभी पर समान रूप से लागू होंगे। अतिक्रमण हटाना केवल प्रशासन की जिम्मेदारी नहीं, बल्कि समाज की साझा जरूरत है। यदि आप भी रोजाना जाम और खतरे से जूझ रहे हैं तो अपनी आवाज उठाइए। इस खबर को साझा करें, अपनी राय कमेंट में रखें और जिम्मेदार व्यवस्था की मांग को मजबूत बनाएं।

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