
#सिमडेगा #आत्मरक्षा_प्रशिक्षण : पुलिस कराटे कोच और नेशनल जज के मार्गदर्शन में बच्चों को मिला व्यावहारिक व प्रेरक प्रशिक्षण
- सरस्वती शिशु विद्या मंदिर, सलडेगा में भैया-बहनों के लिए निःशुल्क आत्मरक्षा प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन।
- प्रशिक्षण का संचालन पुलिस कराटे कोच मनीष कुमार मिश्रा एवं झारखंड प्रशिक्षक व नेशनल जज राम नायक ने किया।
- बच्चों को कराटे और मार्शल आर्ट की सरल, व्यावहारिक एवं प्रभावी तकनीकों का अभ्यास कराया गया।
- कार्यक्रम में प्रधानाचार्य जितेंद्र कुमार पाठक, आचार्य-आचार्या एवं विद्यालय परिवार की सक्रिय सहभागिता।
- आत्मविश्वास, अनुशासन, साहस और सुरक्षा की भावना विकसित करने पर विशेष जोर।
सरस्वती शिशु विद्या मंदिर, सलडेगा में विद्यार्थियों की सुरक्षा और आत्मनिर्भरता को मजबूत करने की दिशा में एक सराहनीय पहल के तहत निःशुल्क आत्मरक्षा प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम का उद्देश्य भैया-बहनों को आत्मरक्षा की बुनियादी से लेकर उन्नत तकनीकों की जानकारी देना और उन्हें मानसिक एवं शारीरिक रूप से सशक्त बनाना रहा। आयोजन के दौरान विद्यालय परिसर में उत्साह और जिज्ञासा का माहौल देखने को मिला।
यह प्रशिक्षण वनवासी कल्याण केंद्र झारखंड की शैक्षिक इकाई श्रीहरि वनवासी विकास समिति झारखंड द्वारा संचालित सरस्वती शिशु विद्या मंदिर, सलडेगा के विद्यार्थियों के लिए आयोजित किया गया। प्रशिक्षण सत्रों में बच्चों को वास्तविक जीवन की परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए आत्मरक्षा के उपाय बताए गए, ताकि वे किसी भी आपात स्थिति में स्वयं की रक्षा कर सकें।
विशेषज्ञ प्रशिक्षकों ने दिया व्यावहारिक प्रशिक्षण
कार्यक्रम का संचालन पुलिस कराटे कोच मनीष कुमार मिश्रा एवं झारखंड प्रशिक्षक व नेशनल जज राम नायक के द्वारा किया गया। दोनों प्रशिक्षकों ने बच्चों को कराटे और मार्शल आर्ट की विभिन्न तकनीकों का अभ्यास कराया, जिन्हें वे आसानी से अपने दैनिक जीवन में उपयोग कर सकें।
प्रशिक्षण के दौरान बच्चों को संतुलन, आत्मविश्वास, त्वरित निर्णय लेने की क्षमता और आत्मसंयम जैसे महत्वपूर्ण गुणों पर विशेष ध्यान दिया गया। प्रशिक्षकों ने सरल भाषा और व्यवहारिक उदाहरणों के माध्यम से बच्चों को समझाया कि आत्मरक्षा केवल शारीरिक बल नहीं, बल्कि मानसिक सजगता और सही रणनीति का भी विषय है।
कराटे केवल खेल नहीं, भविष्य निर्माण का माध्यम: राम नायक
इस अवसर पर नेशनल जज राम नायक ने उपस्थित विद्यार्थियों को संबोधित करते हुए कहा कि कराटे और मार्शल आर्ट को केवल एक खेल के रूप में नहीं देखा जाना चाहिए।
राम नायक ने कहा: “कराटे और मार्शल आर्ट बच्चों के भविष्य निर्माण का सशक्त माध्यम है। इसके जरिए सरकारी और निजी नौकरियों के अवसर, विभिन्न छात्रवृत्तियाँ तथा राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान प्राप्त की जा सकती है।”
उन्होंने बच्चों को नियमित अभ्यास करने, अनुशासन में रहने और अपने लक्ष्य को स्पष्ट रखने की सलाह दी। उनके संबोधन से विद्यार्थियों में खेल के प्रति गंभीरता और भविष्य को लेकर नई सोच देखने को मिली।
बहनों के लिए आत्मरक्षा आज की आवश्यकता: मनीष कुमार मिश्रा
पुलिस कराटे कोच मनीष कुमार मिश्रा ने अपने संबोधन में विशेष रूप से बहनों के लिए आत्मरक्षा प्रशिक्षण की आवश्यकता पर जोर दिया।
मनीष कुमार मिश्रा ने कहा: “आज के समय में बहनों का शारीरिक और मानसिक रूप से सशक्त होना बेहद जरूरी है। जब बहनें मजबूत होंगी, तभी वे स्वयं की रक्षा के साथ-साथ समाज की सेवा भी बेहतर ढंग से कर पाएँगी।”
उन्होंने बताया कि वे अपनी छुट्टी के दिनों में भी बच्चों को निःशुल्क प्रशिक्षण देने के लिए उपस्थित होते हैं। उन्होंने विद्यालय के प्रधानाचार्य जितेंद्र कुमार पाठक से समन्वय कर भविष्य में भी नियमित आत्मरक्षा प्रशिक्षण जारी रखने की प्रतिबद्धता जताई, ताकि प्रत्येक बच्चा और महिला आत्मनिर्भर और सुरक्षित बन सके।
विद्यालय और अतिथियों की सक्रिय भूमिका
कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में खेल समन्वयक एवं पर्यटन से जुड़े DLTS उपस्थित रहे। उन्होंने इस पहल की सराहना करते हुए कहा कि इस प्रकार के प्रशिक्षण बच्चों के सर्वांगीण विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
विद्यालय के माननीय प्रधानाचार्य जितेंद्र कुमार पाठक, आचार्य-आचार्या एवं पूरे विद्यालय परिवार ने कार्यक्रम को सफल बनाने में सक्रिय योगदान दिया। प्रधानाचार्य ने कहा कि विद्यालय केवल शिक्षा का केंद्र नहीं, बल्कि विद्यार्थियों के चरित्र, आत्मविश्वास और सुरक्षा का आधार भी है।
बच्चों में दिखा आत्मविश्वास और उत्साह
प्रशिक्षण के दौरान बच्चों ने पूरे उत्साह के साथ अभ्यास में भाग लिया। आत्मरक्षा की तकनीकों को सीखते समय उनके चेहरे पर आत्मविश्वास और जिज्ञासा साफ झलक रही थी। कई बच्चों ने पहली बार कराटे और मार्शल आर्ट की तकनीकों को इतने करीब से समझा, जिससे उनके भीतर नई ऊर्जा का संचार हुआ।
यह प्रशिक्षण कार्यक्रम बच्चों में आत्मविश्वास, अनुशासन, साहस और सुरक्षा की भावना विकसित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम साबित हुआ। विद्यालय परिसर में इस पहल को लेकर अभिभावकों और स्थानीय लोगों ने भी सकारात्मक प्रतिक्रिया दी।

न्यूज़ देखो: सुरक्षा से सशक्तिकरण तक
सलडेगा में आयोजित यह आत्मरक्षा प्रशिक्षण कार्यक्रम बताता है कि शिक्षा के साथ-साथ सुरक्षा और आत्मनिर्भरता पर ध्यान देना कितना आवश्यक है। पुलिस और खेल विशेषज्ञों की सहभागिता इस पहल को और प्रभावी बनाती है। ऐसे कार्यक्रम समाज में जागरूकता बढ़ाने और बच्चों को सुरक्षित भविष्य की ओर ले जाने में अहम भूमिका निभाते हैं।
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आत्मनिर्भर बच्चे, सुरक्षित समाज
जब बच्चे आत्मरक्षा सीखते हैं, तो वे केवल खुद को नहीं, बल्कि पूरे समाज को मजबूत बनाते हैं। इस तरह की पहल से भविष्य की पीढ़ी अधिक सजग और साहसी बनेगी।
यदि आप भी चाहते हैं कि बच्चों और बहनों को सुरक्षा का सही प्रशिक्षण मिले, तो ऐसे प्रयासों का समर्थन करें।
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