
#दुमका #न्याय : सात साल जेल में रहने के बाद कोर्ट ने किया रिहा — गवाहों के बयानों में विरोधाभास से टूटा आरोप
- 2018 में भाई की हत्या के आरोप में जेल भेजा गया था दंपत्ति।
- सात साल तक चली कोर्ट की लंबी सुनवाई।
- साक्ष्य के अभाव में दुमका कोर्ट ने सुनाया बरी का फैसला।
- गवाहों के बयान में मिला बड़ा विरोधाभास।
- चीफ एलएडीसी सिकंदर मंडल ने की आरोपियों की पैरवी।
घटना झारखंड के दुमका जिले के रामगढ़ थाना क्षेत्र के बारापलासी के चित्तबेसरा गांव, मोहलीटोला की है, जहां 6 मार्च 2018 की शाम करीब साढ़े छह बजे एक युवक की हत्या का मामला दर्ज हुआ था। मृतक राजू मोहली की पत्नी रजनी देवी ने अपने भैसूर पूरण मोहली और गोतनी छेदनी देवी पर लाठी-डंडे से पीट-पीटकर हत्या करने का आरोप लगाया था। उनका कहना था कि सूर्याहु पूजा के चंदा मांगने को लेकर विवाद हुआ, जिसके बाद दोनों ने मिलकर वारदात को अंजाम दिया।
गवाहों के बयान में विरोधाभास
इस मामले में कुल सात गवाह पेश किए गए, लेकिन उनमें से केवल एक गवाह ने ही आरोप का समर्थन किया। बाकी गवाहों के बयान में हत्या के प्रत्यक्ष प्रमाण नहीं मिले। इससे अभियोजन पक्ष का केस कमजोर हो गया।
सात साल की लंबी कैद के बाद मिली रिहाई
पुलिस ने रजनी देवी के बयान पर जामा कांड संख्या 14/2018, धारा 302/34 भादवि के तहत केस दर्ज कर दोनों को गिरफ्तार किया था। यह मुकदमा सात साल तक चला। शुक्रवार (8 अगस्त 2025) को दुमका एसएन मिश्रा की अदालत ने साक्ष्य के अभाव में दोनों आरोपियों को बरी कर दिया। इस दौरान चीफ एलएडीसी सिकंदर मंडल ने बचाव पक्ष की ओर से पैरवी की, जबकि अभियोजन पक्ष की ओर से एपीपी बी. हांसदा ने केस लड़ा।
न्यूज़ देखो: न्याय की देर, लेकिन अंधेर नहीं
यह मामला न्यायिक प्रक्रिया की धीमी गति पर सवाल खड़े करता है, लेकिन साथ ही यह भी दिखाता है कि अदालत सबूतों के बिना सजा नहीं देती। सात साल की लंबी कैद के बाद भले ही आरोपियों को आज़ादी मिली हो, पर उनके जीवन के खोए हुए साल कभी लौट नहीं सकते। हर खबर पर रहेगी हमारी नजर।
न्याय पर भरोसा बनाए रखें
न्याय में समय लग सकता है, लेकिन सच्चाई के सामने झूठ ज्यादा देर टिक नहीं पाता। इस खबर को अपने दोस्तों और परिवार के साथ साझा करें और अपने विचार हमें कमेंट में बताएं।