Garhwa

गढ़वा में गोबर गैस प्लांट ठप, लाभुकों को फिर खरीदना पड़ रहा एलपीजी सिलेंडर

Join News देखो WhatsApp Channel

हाइलाइट्स:

  • 50 लाख की लागत से बने 2 गोबर गैस प्लांट कुछ ही दिनों में हुए बंद।
  • 15 दिनों तक ग्रामीणों को मिला लाभ, फिर एलपीजी पर बढ़ी निर्भरता।
  • पशु मालिकों द्वारा मवेशी बेचने से गोबर की कमी, प्लांट ठप।
  • विभाग ने फिर से चालू करने का दिया आश्वासन।

गढ़वा में गोबर गैस प्लांट बंद, ग्रामीणों की बढ़ी परेशानी

मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन द्वारा उद्घाटन किए गए 2 गोबर गैस प्लांट कुछ ही दिनों में बंद हो गए, जिससे लाभुकों को अब फिर से महंगे एलपीजी सिलेंडर खरीदने पड़ रहे हैं। पेयजल एवं स्वच्छता विभाग द्वारा गढ़वा के दो प्रखंडों में 50 लाख रुपए की लागत से गोबर धन योजना के तहत इन प्लांटों का निर्माण किया गया था।

योजना के शुरुआती 15 दिनों तक ग्रामीणों को इसका सीधा लाभ मिला, लेकिन इसके बाद प्लांट अकार्यक्षम हो गया। विभाग का कहना है कि इसे फिर से संचालित करने की कोशिश की जा रही है।

ग्रामीणों को हुआ था बड़ा फायदा

ग्रामीणों के अनुसार, इस योजना के तहत उन्हें एलपीजी सिलेंडर खरीदने की जरूरत नहीं पड़ रही थी। लेकिन अब प्लांट बंद होने से उन्हें फिर से महंगे दामों पर गैस खरीदनी पड़ रही है। कुछ ग्रामीणों का कहना है कि प्रशासन की लापरवाही के कारण योजना विफल हो गई।

गोबर की कमी बनी प्लांट बंद होने की वजह

पेयजल एवं स्वच्छता विभाग के कार्यपालक अभियंता अभय कुमार सिंह के अनुसार, इस योजना को उन जगहों पर लागू किया गया था जहां गायों की संख्या अधिक थी ताकि हर दिन गोबर की उपलब्धता बनी रहे। लेकिन स्थानीय पशु मालिकों ने अपनी गायें बेच दीं, जिससे प्लांट को गोबर नहीं मिल सका और इसे बंद करना पड़ा।

हालांकि, विभाग का कहना है कि प्लांट को फिर से चालू करने के प्रयास किए जा रहे हैं।

कैसे काम करता है गोबर गैस प्लांट?

यह प्लांट आधुनिक वैज्ञानिक विधि से तैयार किया गया है, जिससे गांव के 20-25 परिवारों को सीधा लाभ मिल सकता था

  • ग्रामीण गोबर एकत्र कर प्लांट में जमा करते थे
  • गोबर को रिसाइकल कर ड्रम में डाला जाता था
  • सूरज की किरणों की प्रक्रिया से यह गैस बनती थी
  • गांव में पाइप के जरिए यह गैस सप्लाई होती थी
  • प्रक्रिया के बाद बचे अवशेष को खाद के रूप में खेतों में इस्तेमाल किया जाता था।

क्या दोबारा चालू होगा प्लांट?

प्रशासन द्वारा योजना को पुनः संचालित करने की बात कही जा रही है, लेकिन स्थानीय पशुपालन और गोबर की उपलब्धता सबसे बड़ी चुनौती बनी हुई है। ग्रामीणों की मांग है कि प्लांट को जल्द से जल्द चालू किया जाए ताकि उन्हें फिर से सस्ती गैस मिल सके।

‘न्यूज़ देखो’ की नजर हर खबर पर

क्या गढ़वा प्रशासन गोबर गैस प्लांट को फिर से चालू कर पाएगा?
क्या गोबर की उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए सरकार नई नीति लाएगी?

हर खबर पर रहेगी हमारी नजर! जुड़े रहें ‘न्यूज़ देखो’ के साथ।

यह खबर आपके लिए कितनी महत्वपूर्ण थी?

रेटिंग देने के लिए किसी एक स्टार पर क्लिक करें!

इस खबर की औसत रेटिंग: 0 / 5. कुल वोट: 0

अभी तक कोई वोट नहीं! इस खबर को रेट करने वाले पहले व्यक्ति बनें।

चूंकि आपने इस खबर को उपयोगी पाया...

हमें सोशल मीडिया पर फॉलो करें!

IMG-20250604-WA0023 (1)
IMG-20251017-WA0018
IMG-20250610-WA0011
IMG-20250723-WA0070
IMG-20250925-WA0154
1000264265
आगे पढ़िए...

नीचे दिए बटन पर क्लिक करके हमें सोशल मीडिया पर फॉलो करें


Related News

Back to top button
error: