
#गढ़वा #रक्तदान_अभियान – अस्पताल की आपात स्थिति में बनी जीवनरेखा, टीम दिल का दौलत ने निभाई इंसानियत की ज़िम्मेदारी
- दुर्लभ A- नेगेटिव ब्लड की आवश्यकता पर तौकीर अहमद ने तत्परता दिखाई
- थैलेसीमिया से पीड़ित बच्चे को मिला समय पर A+ ब्लड, मंदिश सोनी बने मसीहा
- गंभीर एक्सीडेंट केस में राजेश सोनी ने तुरंत किया रक्तदान
- टीम संयोजक दौलत सोनी मौके पर हर केस में रहे सक्रिय और प्रेरक
- समर्पित सदस्यों की टीम ने समन्वय कर बचाई तीन जिंदगियाँ
- गढ़वा की जनता में टीम की सेवा भावना को लेकर गहरी सराहना
दुर्लभ A- ब्लड की चुनौती और तौकीर अहमद की तत्परता
A- नेगेटिव ब्लड की आवश्यकता की सूचना जैसे ही सुनील कश्यप के माध्यम से युवा समाजसेवी दौलत सोनी को मिली, टीम तुरंत सक्रिय हुई। इस दुर्लभ रक्त समूह की उपलब्धता सामान्यतः कठिन होती है, लेकिन तौकीर अहमद, जो गढ़वा रंका रोड स्थित ‘चश्मा घर’ के प्रोपराइटर हैं, ने तुरंत मानवीयता को प्राथमिकता दी।
“जान बचाना मेरे लिए व्यापार से कहीं अधिक महत्वपूर्ण था,” — तौकीर अहमद ने रक्तदान के बाद कहा।
थैलेसीमिया पीड़ित मासूम को मिला नया जीवन
टीम के ब्लड बैंक में उपस्थित होते ही जानकारी मिली कि गढ़वा सदर अस्पताल में एक नन्हा बच्चा थैलेसीमिया जैसी गंभीर बीमारी से जूझ रहा है। वह सुबह से A+ रक्त का इंतज़ार कर रहा था। जैसे ही मंदिश सोनी को इस बात की सूचना मिली, उन्होंने बिना विलंब A+ यूनिट रक्तदान कर उस मासूम की जान बचाई।
“मुझे यह जानकर संतोष है कि मेरे रक्त से एक मासूम को राहत मिली,” — मंदिश सोनी।
गंभीर एक्सीडेंट केस में समय से रक्तदान
इसी दिन एक गंभीर सड़क दुर्घटना में घायल मरीज के लिए तुरंत A+ रक्त की आवश्यकता पड़ी। राजेश सोनी, जो विशुनपुरा निवासी हैं, तुरंत ब्लड बैंक पहुंचे और समय पर रक्तदान कर ज़िंदगी बचाई। एक्सीडेंट के केस में समय ही सबसे बड़ा इलाज होता है, और उनकी तत्परता ने फिर यह सिद्ध किया।
दौलत सोनी के नेतृत्व में फिर दिखा सेवा और समर्पण का भाव
युवा समाजसेवी दौलत सोनी ने पूरे दिन तीनों केसों में न सिर्फ समन्वय किया बल्कि मौके पर उपस्थित रहकर हर कदम की निगरानी भी की। उनके साथ सक्रिय थे:
सुनील कश्यप, मनोज कुमार मेहता, सुनील कुमार, विवेक सिंहा, पवन सोनी, शुभाष गोंड, तालो सोनी, राजेश सोनी और छोटन गोंड, जिन्होंने रक्तदाताओं को मोटिवेट किया और त्वरित व्यवस्था सुनिश्चित की।
संवेदना की शक्ति से गढ़वा को मिली प्रेरणा
‘टीम दिल का दौलत‘ ने यह साबित कर दिया कि संवेदनशीलता, सेवा और समन्वय के साथ समाज में सकारात्मक बदलाव लाया जा सकता है। यह प्रयास केवल रक्तदान नहीं, बल्कि एक नैतिक आंदोलन था, जिसमें ज़िंदगी बचाने को सर्वोपरि माना गया।



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