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गढ़वा विधानसभा चुनाव 2019 बनाम 2024: प्रत्याशियों के प्रदर्शन का विश्लेषण

गढ़वा विधानसभा सीट झारखंड की राजनीति में महत्वपूर्ण स्थान रखती है। 2019 और 2024 के चुनावी नतीजों के तुलनात्मक अध्ययन से इस क्षेत्र के मतदाताओं के रुझान, प्रमुख दलों की स्थिति और प्रत्याशियों के व्यक्तिगत प्रभाव का पता चलता है।


1. मिथिलेश कुमार ठाकुर (JMM)

  • 2019 में प्रदर्शन:
    • वोट: 1,06,681
    • स्थिति: विजेता
    • मिथिलेश ठाकुर ने JMM के टिकट पर 2019 में यह सीट जीती। उनकी जीत स्थानीय मुद्दों और पार्टी की राज्य स्तर की साख पर आधारित थी।
  • 2024 में प्रदर्शन:
    • वोट: 1,14,589
    • स्थिति: पराजित
    • हालांकि उन्होंने 2024 में अपने वोटों में 7,908 की वृद्धि की, लेकिन BJP के सत्येंद्र नाथ तिवारी की मजबूत लहर ने उन्हें हराया। यह हार पार्टी की नीतियों के प्रति जनता के असंतोष या BJP की क्षेत्रीय पकड़ के मजबूत होने का संकेत देती है।

2. सत्येंद्र नाथ तिवारी (BJP)

  • 2019 में प्रदर्शन:
    • वोट: 83,159
    • स्थिति: उपविजेता
    • BJP के सत्येंद्र तिवारी ने 2019 में अच्छा प्रदर्शन किया था, लेकिन मिथिलेश ठाकुर से हार गए।
  • 2024 में प्रदर्शन:
    • वोट: 1,31,361
    • स्थिति: विजेता
    • इस बार उन्होंने 48,202 अधिक वोट हासिल किए। उनकी जीत क्षेत्र में BJP की बढ़ती पकड़ और उनके व्यक्तिगत प्रचार अभियानों की सफलता को दर्शाती है।

3. मंदीप मल्लाह (2019: AITC, 2024: JKP)

  • 2019 में प्रदर्शन:
    • वोट: 7,368
    • स्थिति: हार
    • तृणमूल कांग्रेस (AITC) के उम्मीदवार के रूप में उन्होंने मामूली वोट हासिल किए।
  • 2024 में प्रदर्शन:
    • वोट: 904
    • स्थिति: हार
    • पार्टी बदलने के बावजूद, उनका प्रदर्शन और खराब हुआ, और उन्होंने लगभग 6,464 वोटों का नुकसान झेला। यह दर्शाता है कि पार्टी का प्रभाव कम और उनके व्यक्तिगत आधार पर विश्वास कमजोर हुआ है।

4. मोहम्मद नजीबुद्दीन खान (AIMIM)

  • 2019 में प्रदर्शन:
    • वोट: 6,231
    • स्थिति: हार
    • AIMIM के उम्मीदवार के रूप में उन्होंने अल्पसंख्यक वोट बैंक पर भरोसा किया।
  • 2024 में प्रदर्शन:
    • वोट: 2,883
    • स्थिति: हार
    • 2024 में उनका प्रदर्शन खराब हुआ और उन्होंने 3,348 वोटों का नुकसान झेला। यह इस बात का संकेत है कि AIMIM की पकड़ अल्पसंख्यक समुदाय में कमजोर हुई है।

5. दिलीप कुमार तिवारी (IND)

  • 2019 में प्रदर्शन:
    • वोट: 4,114
    • स्थिति: हार
    • निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में उन्होंने 2019 में सीमित समर्थन प्राप्त किया।
  • 2024 में प्रदर्शन:
    • वोट: 1,006
    • स्थिति: हार
    • उनका वोट शेयर और घटा, और उन्होंने 3,108 वोटों का नुकसान उठाया। यह क्षेत्रीय समीकरणों में उनकी भूमिका को और कमजोर करता है।

6. सुजाउद्दीन अंसारी (IND)

  • 2019 में प्रदर्शन:
    • वोट: 2,437
    • स्थिति: हार
    • निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में उन्होंने मामूली प्रदर्शन किया।
  • 2024 में प्रदर्शन:
    • वोट: 1,960
    • स्थिति: हार
    • उन्होंने 477 वोटों का नुकसान उठाया। इससे उनके प्रभाव के सीमित होने का संकेत मिलता है।

7. गोरख नाथ महतो (IND)

  • 2019 में प्रदर्शन:
    • वोट: 1,489
    • स्थिति: हार
    • गोरख नाथ महतो ने 2019 में निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में छोटा लेकिन प्रभावी प्रदर्शन किया।
  • 2024 में प्रदर्शन:
    • वोट: 416
    • स्थिति: हार
    • उन्होंने 1,073 वोटों का नुकसान उठाया, जो उनके प्रभाव में भारी गिरावट को दर्शाता है।

8. अजय कुमार चौधरी (BSP)

  • 2019 में प्रदर्शन:
    • वोट: – (BSP के लिए कोई बड़ा उम्मीदवार नहीं था)
    • BSP ने इस बार अजय कुमार चौधरी को मैदान में उतारा।
  • 2024 में प्रदर्शन:
    • वोट: 7,621
    • स्थिति: हार
    • उन्होंने पार्टी को पहचान दिलाई और BSP के लिए एक ठोस प्रदर्शन दर्ज किया।

9. अन्य निर्दलीय और छोटे दल

2019 और 2024 में कई निर्दलीय और छोटे दलों ने चुनाव लड़ा, लेकिन उनके प्रदर्शन में गिरावट देखी गई। 2024 में निर्दलीय उम्मीदवारों की संख्या अधिक थी, लेकिन उनके वोट शेयर में कमी आई।


निष्कर्ष: क्या बदला और क्यों?

  1. BJP की बड़ी वापसी:
    सत्येंद्र नाथ तिवारी की जीत ने क्षेत्र में BJP की स्थिति को मजबूत किया है। यह जीत केंद्र और राज्य की नीतियों के साथ स्थानीय मुद्दों पर उनकी पकड़ को दर्शाती है।
  2. JMM का कमजोर प्रदर्शन:
    मिथिलेश ठाकुर ने 2019 की तुलना में अधिक वोट हासिल किए, लेकिन BJP के मजबूत प्रदर्शन के सामने वह टिक नहीं सके।
  3. छोटे दलों और निर्दलीय उम्मीदवारों का प्रदर्शन:
    इनका प्रभाव लगातार कम हो रहा है। मतदाता अब मुख्य दलों पर अधिक भरोसा जता रहे हैं।
  4. क्षेत्रीय और जातीय समीकरण:
    BJP ने जातीय समीकरणों को साधने में सफलता पाई है, जबकि JMM को अपने मजबूत क्षेत्रों में भी चुनौती मिली है।

2024 का परिणाम दिखाता है कि गढ़वा क्षेत्र के मतदाता अब प्रदर्शन और प्रभावशाली नेतृत्व को महत्व दे रहे हैं।

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