
#गढ़वा #स्वास्थ्य : सरकारी एंबुलेंस सेवा ठप—निजी वाहनों पर निर्भर गरीब मरीज
- 27 एंबुलेंस में से सिर्फ 12 गाड़ियां चालू, बाकी दुर्घटनाग्रस्त या तकनीकी खराबी से खड़ी
- रोजाना 10–12 मरीज रेफर होते हैं, एंबुलेंस की कमी से घंटों इंतजार
- जुबेदा बीबी (70) और बुधन पासवान को निजी एंबुलेंस से भेजना पड़ा हायर सेंटर
- सड़क दुर्घटना पीड़ित सबसे ज्यादा प्रभावित, समय पर मदद नहीं मिलती
- प्रबंधन ने एक माह में सभी एंबुलेंस दुरुस्त करने का दावा किया
एंबुलेंस सेवा से मिला सहारा, अब बनी परेशानी
राज्य सरकार ने गढ़वा जिले को कुल 27 एंबुलेंस उपलब्ध कराई थी ताकि मरीजों को तेजी से सदर अस्पताल और हायर सेंटर तक पहुंचाया जा सके। शुरुआती दिनों में मरीजों को बड़ी राहत मिली, लेकिन समय बीतने के साथ स्थिति बिगड़ गई। आज हालात ऐसे हैं कि केवल 12 एंबुलेंस ही चल रही हैं, बाकी या तो तकनीकी खराबी से जर्जर हो गई हैं या दुर्घटनाग्रस्त होकर पूरी तरह क्षतिग्रस्त हो चुकी हैं।
रोजाना रेफर मरीजों की बढ़ी मुश्किल
गढ़वा जिले में औसतन 10 से 12 मरीज प्रतिदिन रेफर होते हैं। गंभीर स्थिति वाले मरीजों के लिए समय पर एंबुलेंस मिलना बेहद जरूरी है, लेकिन कमी के कारण मरीजों को इंतजार करना पड़ता है। मंगलवार को ही गढ़वा थाना क्षेत्र की जुबेदा बीबी (70 वर्ष) और खरौंधी थाना क्षेत्र के बुधन पासवान को सांस लेने में तकलीफ होने पर हायर सेंटर रेफर किया गया, मगर सरकारी एंबुलेंस उपलब्ध न होने के कारण उन्हें निजी एंबुलेंस का सहारा लेना पड़ा।
सड़क दुर्घटना पीड़ितों पर सबसे भारी
गढ़वा जिले में सड़क दुर्घटनाओं के मामले लगातार सामने आते हैं। घायल मरीजों के लिए एंबुलेंस समय पर मिलना जीवनरक्षक साबित हो सकता है, लेकिन गाड़ियों की कमी से स्थिति उलट हो जाती है। मजबूर होकर लोग निजी एंबुलेंस या अन्य साधनों का सहारा लेते हैं, जिससे मरीज की जान को और बड़ा खतरा हो जाता है।
जिला प्रबंधन की सफाई
108 एंबुलेंस सेवा के जिला प्रबंधक दीपक कुमार सिंह ने बताया कि जिले में 25 गाड़ियां 108 सेवा के अंतर्गत आती हैं, जिनमें से 10–12 तकनीकी खराबी के कारण बंद हैं। उन्होंने कहा कि कुछ गाड़ियां सिविल सर्जन कार्यालय के माध्यम से मरम्मत के लिए भेजी गई हैं, जबकि कुछ की मरम्मत स्थानीय स्तर पर कराई जा रही है। उनका दावा है कि एक माह के भीतर सभी गाड़ियां दुरुस्त होकर सेवा में लौट आएंगी।
जिला प्रबंधक दीपक कुमार सिंह ने कहा: “हम लगातार प्रयास कर रहे हैं कि बंद गाड़ियां जल्द से जल्द ठीक होकर मरीजों की सेवा में लगें।”
सिविल सर्जन का बयान
सिविल सर्जन डॉ. जॉन एफ कैनेडी ने बताया कि गढ़वा को कुल 27 एंबुलेंस मिली थीं, जिनमें से दो दुर्घटनाग्रस्त होकर हजारीबाग मरम्मत के लिए भेजी गईं। वर्तमान में जिले में 25 गाड़ियां हैं, जिनमें से 12 सेवा में सक्रिय हैं। उन्होंने कहा कि बाकी गाड़ियों की मरम्मत एक-एक कर कराई जा रही है ताकि मरीजों को परेशानी न हो। साथ ही उन्होंने आश्वस्त किया कि आगामी दुर्गा पूजा पर्व के दौरान किसी भी आपात स्थिति से निपटने के लिए विभाग तैयार है।
न्यूज़ देखो: स्वास्थ्य तंत्र की खामियां और जनता की बेबसी
गढ़वा जिले की यह तस्वीर बताती है कि सरकारी योजनाओं का लाभ तभी मिलता है जब उनका रखरखाव समय पर हो। एंबुलेंस सेवा जैसे जरूरी साधन के ठप होने से गरीब और गंभीर मरीजों को सबसे ज्यादा परेशानी झेलनी पड़ रही है। न्यूज़ देखो मानता है कि यह केवल प्रबंधन की कमी नहीं बल्कि स्वास्थ्य तंत्र की लापरवाही का भी परिणाम है। हर खबर पर रहेगी हमारी नजर।
स्वस्थ समाज के लिए सजग नागरिक जरूरी
हम सबकी जिम्मेदारी है कि स्वास्थ्य सेवाओं की कमी और खामियों पर आवाज उठाएँ और प्रशासन को जवाबदेह बनाएं। एंबुलेंस जैसी बुनियादी सुविधा हर नागरिक का हक है। अपनी राय कमेंट में साझा करें और इस खबर को दोस्तों व परिवार के साथ जरूर शेयर करें, ताकि जागरूकता बढ़े और बदलाव की मांग मजबूत हो।