
#गिरीडीह #303_राइफल_बरामदगी_से_उठे_सवाल – पारसनाथ जंगल में जमीन के नीचे छिपाया गया था हथियारों का जखीरा, लूटी गई राइफलों से मिलान की तैयारी
- गिरिडीह के जोकाई नाला के पास मिला हथियारों का बड़ा जखीरा
- 8 पीस 303 एक्शन सिंगल शॉट, 12 बोर डबल बैरल, SLR समेत कई राइफलें बरामद
- होमगार्ड कैम्प लूटकांड से बरामद हथियारों के तार जुड़ने की आशंका
- एएसपी अभियान सुरजीत ने की पुष्टि – नंबर मिलान के बाद तय होगा सच
- नक्सली सरगनाओं के मारे जाने और गिरफ्तारी के बाद भी गाड़े गए हथियार मिलना चौंकाने वाला
हथियारों का जखीरा बरामद, जमींदोज पानी टंकी में था छिपाया
गिरिडीह के पारसनाथ के जोकाई नाला और गार्दी इलाके में पुलिस और CRPF 154 बटालियन की संयुक्त कार्रवाई में हथियारों का एक बड़ा जखीरा बरामद हुआ है। जमीन के नीचे गाड़े गए एक पुराने पानी टंकी से इन हथियारों को बरामद किया गया। बरामद हथियारों में 8 पीस 303 एक्शन सिंगल शॉट राइफल, 315 बोर सिंगल शॉट, SLR विथ मैगजीन और 12 बोर डबल बैरल राइफल शामिल हैं।
क्या 2005 के होमगार्ड कैम्प लूटकांड से जुड़ा है मामला?
नवंबर 2005 में पचम्बा स्थित होमगार्ड कैम्प पर नक्सलियों ने हमला कर 183 हथियार लूट लिए थे। उस हमले में 8 लोगों की जान गई थी और भारी मात्रा में गोलियां भी लूटी गई थीं। लूटी गई राइफलों में 51 पीस 303 राइफल भी शामिल थीं। अब जब बरामद हथियारों में 303 एक्शन सिंगल शॉट राइफल पाई गई है, तो संदेह गहराता जा रहा है कि कहीं यह उसी लूटकांड का हिस्सा तो नहीं?
हथियार के नंबर से होगी पहचान
इस संबंध में गिरिडीह एएसपी अभियान सुरजीत ने बताया:
“बरामद हथियारों के सीरियल नंबर का मिलान 2005 में लूटे गए हथियारों से किया जाएगा। कई घटनाओं में नक्सलियों द्वारा पुलिस या होमगार्ड से हथियार लूटे गए हैं। जांच के बाद ही स्थिति साफ होगी।”
किसने छिपाया था हथियार?
पारसनाथ क्षेत्र में अब नक्सल प्रभाव लगभग खत्म माना जाता है। लेकिन यह बरामदगी पुराने नेटवर्क और स्लीपर सेल की सक्रियता का संकेत दे सकती है। उल्लेखनीय है कि साहेबराम, पवन लंगड़ा, प्रयाग जैसे कुख्यात नक्सली मारे जा चुके हैं और रणविजय व कृष्णा हांसदा जेल में हैं। फिर भी इतने वर्षों बाद जमीन के नीचे से ऐसे घातक हथियार मिलना पुलिस के लिए चिंता का विषय है।
न्यूज़ देखो : बरामदगी ने खोले कई पुराने राज
न्यूज़ देखो मानता है कि गिरिडीह पुलिस की यह बरामदगी सिर्फ एक ऑपरेशन नहीं बल्कि नक्सली नेटवर्क पर गहरा प्रहार है। इस हथियार जखीरे की जांच से झारखंड के नक्सल विरोधी इतिहास की कई परतें खुल सकती हैं। यदि इन हथियारों का संबंध 2005 के होमगार्ड लूटकांड से साबित होता है, तो यह क्राइम इन्वेस्टिगेशन का एक ऐतिहासिक मुकाम होगा।
पुलिस की जिम्मेदारी अब और बढ़ गई है — ताकि गिरिडीह की धरती फिर कभी ऐसी हिंसा का गवाह न बने।