Palamau

सरकारी उदासीनता से जर्जर हुआ तोलरा का आंगनबाड़ी भवन, बच्चों की सुरक्षा पर मंडरा रहा खतरा

#पलामू #आंगनबाड़ी_संकट : जर्जर भवन में पढ़ाई और पोषण दोनों पर बना गंभीर संकट।

विश्रामपुर प्रखंड के तोलरा पंचायत अंतर्गत रविदास टोला स्थित आंगनबाड़ी केंद्र का भवन अत्यंत जर्जर स्थिति में पहुंच चुका है। वर्ष 1998 में निर्मित यह भवन अब बच्चों, सेविका और सहायिका की सुरक्षा के लिए गंभीर खतरा बन गया है। ग्रामीणों का आरोप है कि वर्षों से मरम्मत नहीं होने के कारण भवन खंडहर में तब्दील हो गया है। प्रशासनिक और जनप्रतिनिधियों की उदासीनता से बच्चों की शिक्षा और पोषण दोनों प्रभावित हो रहे हैं।

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  • तोलरा पंचायत के रविदास टोला में स्थित आंगनबाड़ी भवन अत्यंत जर्जर।
  • वर्ष 1998 में निर्मित भवन की अब तक कोई मरम्मत नहीं
  • सेविका मीना देवीसहायिका मालती देवी भय के साए में कार्यरत।
  • भवन गिरने की आशंका से अभिभावक डरे, बच्चों की पढ़ाई प्रभावित।
  • ग्रामीणों ने नए भवन या तत्काल मरम्मत की मांग उठाई।

विश्रामपुर (पलामू) प्रखंड क्षेत्र के तोलरा पंचायत अंतर्गत रविदास टोला में स्थित आंगनबाड़ी केंद्र का भवन इन दिनों बदहाली का शिकार है। सरकारी योजनाओं के तहत बच्चों के पोषण, प्रारंभिक शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाओं के लिए स्थापित यह केंद्र अब खुद ही खतरे का कारण बन गया है। भवन की जर्जर स्थिति देखकर अभिभावकों का दिल दहल जाता है और वे मजबूरी में अपने बच्चों को आंगनबाड़ी भेजने से कतरा रहे हैं।

स्थानीय ग्रामीणों के अनुसार यह आंगनबाड़ी भवन वर्ष 1998 में बनाया गया था, लेकिन इसके बाद से अब तक कभी भी इसकी मरम्मत नहीं कराई गई। करीब 27 वर्षों के लंबे अंतराल में भवन की दीवारों में दरारें पड़ चुकी हैं, छत कमजोर हो गई है और किसी भी समय बड़ी दुर्घटना होने की आशंका बनी हुई है।

जर्जर भवन में बच्चों की पढ़ाई बनी पहेली

ग्रामीणों का कहना है कि आंगनबाड़ी केंद्र में छोटे-छोटे बच्चे पढ़ने और पोषण आहार लेने आते हैं। ऐसे में जर्जर भवन में उन्हें बैठाना किसी खतरे से कम नहीं है। बारिश के मौसम में स्थिति और भी भयावह हो जाती है, जब छत से पानी टपकता है और दीवारों से प्लास्टर गिरने लगता है।

अभिभावकों ने बताया कि वे बच्चों की सुरक्षा को लेकर लगातार चिंतित रहते हैं। कई माता-पिता ने तो बच्चों को आंगनबाड़ी भेजना ही बंद कर दिया है, जिससे बच्चों की प्रारंभिक शिक्षा और पोषण प्रभावित हो रहा है।

सेविका और सहायिका भी भय के साए में

आंगनबाड़ी केंद्र की सेविका मीना देवी और सहायिका मालती देवी भी इसी जर्जर भवन में कार्य करने को मजबूर हैं। ग्रामीणों के अनुसार दोनों कर्मी भय के बीच अपना काम कर रही हैं और अक्सर भवन के अंदर-बाहर करती रहती हैं।

ग्रामीणों ने बताया: “सेविका और सहायिका भी डर के माहौल में काम कर रही हैं। कभी भी कोई बड़ा हादसा हो सकता है।”

इसके बावजूद बच्चों की उपस्थिति अपेक्षाकृत बेहतर बनी रहती है, जिससे मध्याह्न भोजन, पोषण आहार और अन्य सामग्री वितरण के दौरान भी हमेशा अनहोनी की आशंका बनी रहती है।

प्रशासनिक और जनप्रतिनिधियों की उदासीनता पर सवाल

ग्रामीणों ने स्थानीय जनप्रतिनिधियों और संबंधित विभाग पर गंभीर उदासीनता का आरोप लगाया है। उनका कहना है कि कई बार मौखिक रूप से शिकायत करने के बावजूद अब तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गई।

ग्रामीणों का मानना है कि यदि समय रहते भवन की मरम्मत कराई जाती या नया भवन बनाया जाता, तो आज यह स्थिति उत्पन्न नहीं होती। सरकारी योजनाओं की जमीनी हकीकत इसी से सामने आती है कि बच्चों के भविष्य से जुड़ा केंद्र खंडहर में तब्दील हो चुका है।

नया भवन या तत्काल मरम्मत की मांग

रविदास टोला के ग्रामीणों ने एक स्वर में मांग की है कि आंगनबाड़ी भवन का तत्काल निरीक्षण कराकर या तो इसकी मरम्मत कराई जाए या फिर नया सुरक्षित भवन का निर्माण किया जाए। ग्रामीणों का कहना है कि जब तक स्थायी समाधान नहीं होता, तब तक बच्चों की जान जोखिम में बनी रहेगी।

उन्होंने चेतावनी दी कि यदि किसी प्रकार की दुर्घटना होती है, तो इसकी पूरी जिम्मेदारी प्रशासन और जनप्रतिनिधियों की होगी।

आंगनबाड़ी की भूमिका और जमीनी सच्चाई

आंगनबाड़ी केंद्र ग्रामीण क्षेत्रों में बच्चों के शारीरिक, मानसिक और पोषण विकास की रीढ़ माने जाते हैं। यहां बच्चों को प्रारंभिक शिक्षा, टीकाकरण, पोषण आहार और स्वास्थ्य संबंधी जानकारी दी जाती है। लेकिन तोलरा का यह आंगनबाड़ी भवन सरकारी दावों और जमीनी हकीकत के बीच बड़ा अंतर दर्शाता है।

यदि समय रहते इस ओर ध्यान नहीं दिया गया, तो इसका सीधा असर बच्चों के भविष्य और ग्रामीणों के भरोसे पर पड़ेगा।

न्यूज़ देखो: बच्चों की सुरक्षा से समझौता कब तक

तोलरा का आंगनबाड़ी भवन सिस्टम की लापरवाही का स्पष्ट उदाहरण है। 27 वर्षों तक मरम्मत न होना कई सवाल खड़े करता है। बच्चों, सेविकाओं और सहायिकाओं की सुरक्षा सर्वोपरि होनी चाहिए। अब देखना यह है कि संबंधित विभाग कब तक इस गंभीर समस्या पर ठोस कदम उठाता है। हर खबर पर रहेगी हमारी नजर।

बच्चों का भविष्य सुरक्षित करना हम सबकी जिम्मेदारी

आंगनबाड़ी केवल एक भवन नहीं, बल्कि बच्चों की नींव होती है।
जर्जर भवन में शिक्षा और पोषण देना जोखिम से भरा है।
प्रशासन को चाहिए कि वह समय रहते हस्तक्षेप करे।
आप भी इस मुद्दे पर अपनी आवाज उठाएं, खबर साझा करें और बच्चों के सुरक्षित भविष्य के लिए जागरूकता फैलाएं।

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Ram Niwas Tiwary

बिश्रामपुर, पलामू

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