
#गढ़वा #कृषि_संकट : मेराल प्रखंड के दर्जनों गांवों में नीलगायों से फसलें तबाह, किसान परेशान।
गढ़वा जिले के मेराल प्रखंड में नीलगायों का बढ़ता आतंक किसानों के लिए गंभीर संकट बन गया है। बाना, रेजो, हसनदाग, करकचिया और मेराल समेत कई गांवों में झुंड के रूप में नीलगाय खेतों में घुसकर सैकड़ों एकड़ में लगी फसलों को नष्ट कर रही हैं। बीती रात ही करीब 30 किसानों की 200 एकड़ फसल को भारी नुकसान हुआ है। लगातार शिकायतों के बावजूद मुआवजा और नियंत्रण की ठोस कार्रवाई नहीं होने से किसानों में आक्रोश बढ़ता जा रहा है।
- मेराल प्रखंड के बाना, रेजो, हसनदाग, करकचिया सहित दर्जनों गांव प्रभावित।
- अरहर, गेहूं, आलू, टमाटर, सरसों, मटर, चना जैसी फसलें तबाह।
- एक रात में करीब 30 किसानों की 200 एकड़ फसल को नुकसान।
- किसानों का आरोप, वन विभाग मुआवजा देने में लापरवाह।
- 80 से अधिक किसानों ने मुआवजे के लिए आवेदन दिया।
- समस्या समाधान नहीं हुआ तो आंदोलन की चेतावनी।
गढ़वा जिले के मेराल प्रखंड में नीलगायों का आतंक किसानों की चिंता का सबसे बड़ा कारण बन गया है। बाना, रेजो, हसनदाग, करकचिया, मेराल सहित आसपास के दर्जनों गांवों में नीलगायों के झुंड रोजाना खेतों में घुसकर तैयार और खड़ी फसलों को रौंद रहे हैं। किसानों का कहना है कि दिन की तुलना में रात के समय नीलगायों का आतंक सबसे ज्यादा रहता है, जब अंधेरे का फायदा उठाकर वे खेतों में घुस जाती हैं और पूरी फसल को नुकसान पहुंचाती हैं।
एक रात में सैकड़ों एकड़ फसल तबाह
किसानों के अनुसार बीती रात नीलगायों ने विभिन्न गांवों में करीब 30 किसानों की लगभग 200 एकड़ जमीन में लगी फसलों को बर्बाद कर दिया। अरहर, गेहूं, आलू, टमाटर, सरसों, मटर और चना जैसी फसलें या तो खा ली गईं या रौंदकर पूरी तरह नष्ट कर दी गईं। मेहनत और उम्मीदों के सहारे फसल उगाने वाले किसानों के लिए यह नुकसान किसी बड़े झटके से कम नहीं है।
किसान बोले – अब इंसानों से नहीं डरती नीलगाय
पीड़ित किसानों विजय चौधरी, हसन चौधरी, अलखराम चौधरी, अवध किशोर चौबे, रामेश्वर राम, दुर्गन चौधरी, दुधनाथ चौबे, रेजो चौबे सहित अन्य ग्रामीणों ने बताया कि पहले नीलगाय इंसान को देखकर भाग जाती थीं, लेकिन अब हालात बदल गए हैं। किसानों का कहना है कि अब नीलगाय खेतों में काम कर रहे लोगों पर ही दौड़ने लगती हैं, जिससे जान का खतरा भी बना रहता है।
कर्ज लेकर की खेती, अब आर्थिक संकट
किसानों ने बताया कि उन्होंने बैंक और साहूकारों से कर्ज लेकर खाद-बीज खरीदा था और फसल लगाई थी। अब नीलगायों द्वारा फसल नष्ट किए जाने से उनकी आर्थिक कमर टूट गई है। कई किसानों को चिंता सता रही है कि वे कर्ज कैसे चुकाएंगे और परिवार का भरण-पोषण कैसे होगा। फसल के सहारे साल भर की जरूरतें पूरी करने वाले किसानों के सामने अब गहरा संकट खड़ा हो गया है।
वन विभाग पर लापरवाही का आरोप
किसानों का आरोप है कि नीलगाय से फसल नुकसान की शिकायत वन विभाग में करने के बावजूद केवल जांच के नाम पर खानापूर्ति की जाती है। रेजो गांव के किसान अवध किशोर चौबे ने कहा:
अवध किशोर चौबे ने कहा: “यदि वन विभाग समय रहते नीलगायों पर नियंत्रण करता, तो आज यह स्थिति नहीं होती। कुछ साल पहले नीलगाय पकड़कर जंगल में छोड़ी गई थीं, लेकिन अब वे फिर गांवों में आकर फसलें नष्ट कर रही हैं।”
किसानों का कहना है कि पिछले वर्ष भी कई लोगों ने मुआवजे के लिए आवेदन दिया था, लेकिन आज तक किसी को भुगतान नहीं मिला।
80 से अधिक आवेदन, मुआवजा अब तक शून्य
जानकारी के अनुसार नीलगाय से हुए फसल नुकसान को लेकर 80 से अधिक किसानों ने वन विभाग में आवेदन दिया है। इनमें से कई आवेदन पिछले वर्ष से लंबित हैं। किसानों का आरोप है कि विभागीय स्तर पर न तो समस्या का स्थायी समाधान निकाला जा रहा है और न ही मुआवजा दिया जा रहा है, जिससे किसानों में भारी असंतोष है।
आंदोलन की तैयारी में किसान
लगातार बढ़ते नुकसान और प्रशासनिक उदासीनता से परेशान किसान अब आंदोलन की तैयारी में हैं। किसानों का कहना है कि यदि जल्द ही नीलगायों पर नियंत्रण और फसल क्षति का मुआवजा नहीं मिला, तो वे सड़क पर उतरकर विरोध प्रदर्शन करेंगे। किसानों की मांग है कि वन विभाग तत्काल प्रभाव से नीलगायों को पकड़कर सुरक्षित स्थान पर छोड़े और प्रभावित किसानों को शीघ्र मुआवजा प्रदान करे।
न्यूज़ देखो: किसानों की आवाज़ अनसुनी क्यों?
मेराल प्रखंड में नीलगायों का आतंक केवल वन्यजीव समस्या नहीं, बल्कि किसानों के अस्तित्व से जुड़ा सवाल बन चुका है। बार-बार आवेदन और शिकायतों के बावजूद मुआवजा न मिलना प्रशासनिक लापरवाही की ओर इशारा करता है। क्या वन विभाग और जिला प्रशासन समय रहते ठोस कदम उठाएंगे, या किसानों को आंदोलन के लिए मजबूर होना पड़ेगा? हर खबर पर रहेगी हमारी नजर।
खेती बचेगी तो किसान बचेगा
किसानों की मेहनत ही हमारी खाद्य सुरक्षा की नींव है। वन्यजीव प्रबंधन और किसान हितों के बीच संतुलन बनाना प्रशासन की जिम्मेदारी है। ऐसी समस्याओं पर आवाज उठाना हम सबका दायित्व है।
यदि आपके क्षेत्र में भी नीलगाय या अन्य वन्यजीवों से फसल नुकसान हो रहा है, तो अपनी बात साझा करें। खबर को आगे बढ़ाएं, किसानों की आवाज़ को मजबूत करें और जागरूकता फैलाएं।





