
#लातेहार #बज्रपात_आपदा : बरवाडीह प्रखंड में तेज बारिश के साथ गिरी आकाशीय बिजली — पशुपालकों को हुआ भारी नुकसान
- लात पंचायत में नौ मवेशियों की मौत बिजली गिरने से हुई।
- प्रभावित पशुपालकों में जय सहाय सिंह, राजेंद्र प्रसाद गुप्ता, बसंत सिंह और राजेश्वर सिंह शामिल।
- तेज बारिश और बज्रपात की वजह से क्षेत्र में दहशत का माहौल।
- सीओ मनोज कुमार से क्षतिपूर्ति की मांग की गई है।
- मुखिया प्रतिनिधि का बैल भी बज्रपात की चपेट में आ गया।
बरवाडीह प्रखंड में बज्रपात से पसरा मातम
लातेहार जिले के बरवाडीह प्रखंड अंतर्गत लात पंचायत में शुक्रवार की शाम तेज बारिश और आकाशीय बिजली गिरने से बड़ा हादसा हो गया। बज्रपात की चपेट में आकर कुल नौ मवेशियों की घटनास्थल पर ही मौत हो गई, जिससे प्रभावित ग्रामीणों में शोक और दहशत का माहौल है।
प्रभावित किसानों को हुआ गहरा आर्थिक नुकसान
घटना में जिन पशुपालकों के मवेशी मारे गए, उनमें मुखिया प्रतिनिधि जय सहाय सिंह का एक बैल, राजेंद्र प्रसाद गुप्ता की एक गाय, बसंत सिंह के दो बैल, और राजेश्वर सिंह के पांच मवेशी शामिल हैं। सभी मवेशी गांव के अलग-अलग हिस्सों में खुले स्थान पर थे, जब शाम के समय अचानक तेज गर्जना के साथ बिजली गिरी।
बसंत सिंह ने कहा: “हमारे लिए मवेशी ही जीवन का सहारा थे। दो बैल खेत जोतने के लिए खरीदे थे, अब खेती कैसे होगी, यह समझ नहीं आ रहा।”
प्रशासन से मुआवजे की मांग
घटना के बाद सभी पीड़ितों ने प्रखंड कार्यालय जाकर अंचल अधिकारी (सीओ) मनोज कुमार से क्षतिपूर्ति की मांग की है। उनका कहना है कि यह प्राकृतिक आपदा है और सरकार से अपेक्षा है कि वह उचित मुआवजा राशि जल्द दे ताकि हुए नुकसान की भरपाई हो सके।
मुखिया प्रतिनिधि जय सहाय सिंह ने कहा: “सिर्फ आम ग्रामीण नहीं, मेरा खुद का मवेशी भी मारा गया है। यह सिर्फ आर्थिक नहीं, भावनात्मक क्षति भी है। प्रशासन को शीघ्र कार्रवाई करनी चाहिए।”
बज्रपात से डर का माहौल, ग्रामीणों को किया गया सतर्क
लात पंचायत सहित आसपास के ग्रामीण इलाकों में बज्रपात को लेकर डर का माहौल है। कई ग्रामीणों ने बताया कि बारिश के समय वे अपने मवेशियों को बाहर नहीं रखते थे, लेकिन यह बज्रपात अचानक और बहुत तेज था। आपदा प्रबंधन विभाग ने चेतावनी दी है कि अगले कुछ दिनों तक और भी आंधी-बिजली की संभावना बनी हुई है, ऐसे में सभी से सावधानी बरतने को कहा गया है।
न्यूज़ देखो: ग्रामीण संकट और प्रशासनिक जवाबदेही की कसौटी
लातेहार की यह घटना दर्शाती है कि किस तरह प्राकृतिक आपदाएं गरीब पशुपालकों पर दोहरी मार बनकर गिरती हैं — आर्थिक और भावनात्मक। ‘न्यूज़ देखो’ प्रशासन से अपील करता है कि मुआवजे की प्रक्रिया पारदर्शी और त्वरित हो, ताकि पीड़ितों को राहत मिल सके और उनके जीवन में थोड़ी स्थिरता लौट सके।
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सतर्कता और सहानुभूति से ही मिलेगा राहत का रास्ता
बज्रपात जैसी आपदाएं प्राकृतिक होती हैं लेकिन तैयारियों से नुकसान को कम किया जा सकता है। आइए, इस खबर को शेयर करें, कमेंट में अपनी राय रखें, और उन ग्रामीणों तक यह जानकारी पहुँचाएं जिनके पास संकट से निपटने के संसाधन सीमित हैं।
एकजुट होकर ही हम हर आपदा से लड़ सकते हैं।