
#घाघरा #प्रदूषण_विवाद : ग्रामीणों ने धूल प्रदूषण रोकने और स्वास्थ्य सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए प्रशासन से त्वरित हस्तक्षेप की मांग की
- घाघरा थाना क्षेत्र के लफसर गांव में हिंडाल्को के खनन कार्य से भारी धूल प्रदूषण फैलने की शिकायत।
- ग्रामीणों का आरोप कि सड़क पर पानी छिड़काव बंद, ट्रकों की आवाजाही से हवा में धूल का गुबार भर रहा है।
- बच्चों और बुजुर्गों में खांसी, सांस की समस्या और बीमारियों का खतरा बढ़ा।
- ग्रामीणों ने कहा कि कंपनी शिकायत नहीं सुन रही, अधिकारी मीटिंग टाल रहे, बिचौलिये गुमराह कर रहे हैं।
- चेतावनी—यदि समाधान नहीं हुआ तो खदान का काम रोक देंगे, प्रशासन को भी जवाब देना होगा।
गुमला जिले के घाघरा थाना क्षेत्र के अंतर्गत आने वाले लफसर गांव में हिंडाल्को कंपनी के खनन कार्य से फैल रहे धूल प्रदूषण ने ग्रामीणों का जीना मुश्किल कर दिया है। ग्रामीणों का कहना है कि कंपनी ने सड़क पर पानी छिड़काव बंद कर दिया है, जिससे हर रोज दौड़ने वाली ट्रकों के कारण पूरा इलाका धूल के बादल में तब्दील हो जाता है। लोगों का स्वास्थ्य प्रभावित हो रहा है और घरों के भीतर तक धूल भर जाती है। ग्रामीणों ने चेतावनी दी है कि यदि हालात जल्द नहीं सुधरे तो वे खदान संचालन बंद कराने की कार्रवाई करेंगे। प्रशासन से भी तत्काल हस्तक्षेप की मांग की गई है।
धूल प्रदूषण से गांव की हवा जहरीली, लोगों का स्वास्थ्य बिगड़ा
ग्रामीणों के अनुसार हिंडाल्को द्वारा खनन क्षेत्र और मुख्य सड़क पर नियमित पानी छिड़काव बंद होने से स्थिति गंभीर हो गई है। रोजाना दर्जनों ट्रक आने-जाने से सड़क धूल के गुबार में डूब जाती है।
लोगों ने बताया कि यह धूल न केवल खेतों और घरों को ढक रही है, बल्कि सांस लेने में कठिनाई, आंखों में जलन, और बच्चों में लगातार खांसी जैसी समस्याएँ बढ़ गई हैं।
ग्रामीणों का कहना है कि
एक ग्रामीण ने कहा: “कंपनी हर दिन ट्रक दौड़ाती है, धूल उड़ती है, लोगों की सांस बिगड़ती है और फिर मुनाफे का हिसाब लगाती है। मरता कौन है? सिर्फ ग्रामीण।”
कंपनी पर गैर-जिम्मेदारी और प्रशासन पर निष्क्रियता का आरोप
लोगों ने आरोप लगाया कि हिंडाल्को न तो सड़क की सफाई कर रहा है, न ही ट्रकों के आवागमन को नियंत्रित कर रहा है। साथ ही, शिकायत करने पर कंपनी के लोग जवाब नहीं देते। अफसर मीटिंग टालते रहते हैं और बिचौलिये गांव वालों को भ्रमित करने की कोशिश कर रहे हैं।
ग्रामीणों का कहना है कि कंपनी बीमारियों का बोझ गांव पर छोड़ रही है, जबकि उन्हें मुनाफे की चिंता है।
एक और ग्रामीण ने कहा:
उन्होंने कहा: “कंपनी हमें इंसान नहीं, बाधा समझती है। हम अब बीमारी गिनने के लिए चुप नहीं बैठेंगे। जरूरत पड़ी तो खदान बंद कराएंगे और प्रशासन को जवाब देना होगा।”
बच्चों और बुजुर्गों की हालत सबसे ज्यादा खराब
ग्रामीण बताते हैं कि धूल की वजह से बच्चों में खांसी, बुखार और सांस संबंधी बीमारी तेजी से बढ़ रही है। बुजुर्गों की हालत भी खराब होती जा रही है। घरों में धूल इतनी भर जाती है कि पानी तक पीना मुश्किल हो जाता है।
लोगों का कहना है कि यदि स्थिति नहीं बदली तो भविष्य में गंभीर स्वास्थ्य संकट पैदा हो सकता है।
ग्रामीणों की मांग – सड़क पर नियमित पानी छिड़काव और प्रदूषण नियंत्रण
गांव के लोगों की स्पष्ट मांग है कि
- सड़क पर नियमित पानी छिड़काव किया जाए
- ट्रकों की रफ्तार सीमित की जाए
- धूल नियंत्रण मशीनें लगाई जाएं
- गांव में स्वास्थ्य जांच शिविर लगाए जाएं
- प्रशासन निरीक्षण कर तत्काल कार्रवाई करे
ग्रामीणों ने प्रशासन को ज्ञापन देकर समाधान की समयसीमा भी तय करने की मांग की है।
न्यूज़ देखो: ग्रामीणों की आवाज को नज़रअंदाज़ करना खतरनाक
लफसर गांव की यह स्थिति बताती है कि औद्योगिक गतिविधियों और खनन परियोजनाओं में पर्यावरणीय जिम्मेदारी अक्सर सबसे ज्यादा उपेक्षित रहती है। इस मामले में कंपनी और प्रशासन दोनों की निष्क्रियता सवालों के घेरे में है। ग्रामीण जिस प्रदूषण का सामना कर रहे हैं, वह केवल धूल नहीं बल्कि जीवन और स्वास्थ्य का संकट है।
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धूल को किस्मत मानकर चुप न रहें, समाधान के लिए साथ खड़े हों
जब किसी गांव की हवा तक दूषित होने लगे, तब आवाज उठाना ही पहला कदम होता है। लफसर के लोग अपने अधिकारों के लिए खड़े हो रहे हैं और यह सामूहिक जागरूकता आने वाले बदलाव की नींव है।
आप भी जागरूक नागरिक बनें, पर्यावरण और स्वास्थ्य को प्राथमिकता दें, और ऐसी समस्याओं पर प्रशासन से जवाबदेही मांगने में संकोच न करें।
अब आप बताएं—क्या आपको लगता है कि कंपनियों को प्रदूषण नियंत्रण के सख्त नियमों का पालन कराना जरूरी है?
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