Dumka

संताल परगना स्थापना दिवस पर ग्राम प्रधानों की ऐतिहासिक एकजुटता, दुमका में गरजी स्वशासन की आवाज

#दुमका #स्थापना_दिवस : ग्राम प्रधान मांझी संगठन ने रैली व सभा के जरिए उठाई स्वशासन और अधिकारों की मांग।

संताल परगना स्थापना दिवस के अवसर पर दुमका में ग्राम प्रधान मांझी संगठन के नेतृत्व में भव्य रैली और सभा का आयोजन किया गया। जिले के विभिन्न प्रखंडों से आए ग्राम प्रधानों ने पारंपरिक स्वशासन और संवैधानिक अधिकारों की रक्षा के लिए एकजुटता दिखाई। रैली के बाद आयोजित सभा में संताल परगना की सामाजिक, शैक्षणिक और प्रशासनिक स्थिति पर गंभीर चर्चा हुई। कार्यक्रम के अंत में राज्यपाल के नाम 10 सूत्री मांगों का ज्ञापन उपायुक्त के माध्यम से सौंपा गया।

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  • आयोजन स्थल: दुमका शहर और इंडोर स्टेडियम
  • आयोजक: ग्राम प्रधान मांझी संगठन
  • अध्यक्षता: प्रमंडलीय अध्यक्ष भीम प्रसाद मंडल
  • मुख्य उद्देश्य: ग्राम स्वशासन और पारंपरिक अधिकारों की बहाली
  • ज्ञापन: 10 सूत्री मांगों के साथ राज्यपाल को सौंपा गया

संताल परगना स्थापना दिवस के मौके पर दुमका का माहौल पूरी तरह जनआंदोलन के रंग में रंगा नजर आया। ग्राम प्रधान मांझी संगठन द्वारा निकाली गई रैली में सैकड़ों ग्राम प्रधान, मांझी, परगनैत, लेखा होड़ और सामाजिक कार्यकर्ता पारंपरिक परिधान में शामिल हुए। रैली दुमका शहर के प्रमुख चौक-चौराहों से गुजरते हुए इंडोर स्टेडियम पहुंची, जहां विशाल जनसभा का आयोजन किया गया।

रैली के जरिए दिखाई एकजुटता

रैली के दौरान प्रतिभागियों ने संताल परगना की पहचान, आदिवासी स्वशासन और ग्राम सभा की ताकत को लेकर नारे लगाए। हाथों में बैनर और तख्तियां लिए ग्राम प्रधानों ने स्पष्ट संदेश दिया कि संताल परगना की मूल भावना ग्राम स्वशासन है, जिसे कमजोर नहीं होने दिया जाएगा। रैली शांतिपूर्ण रही, लेकिन उसमें आक्रोश और दृढ़ संकल्प साफ झलक रहा था।

सभा में उठे गंभीर मुद्दे

इंडोर स्टेडियम में आयोजित सभा की अध्यक्षता प्रमंडलीय अध्यक्ष भीम प्रसाद मंडल ने की। उन्होंने अपने अध्यक्षीय संबोधन में कहा:

भीम प्रसाद मंडल ने कहा: “संताल परगना की स्थापना आदिवासी स्वशासन की रक्षा के लिए हुई थी, लेकिन आज भी यह क्षेत्र शैक्षणिक, आर्थिक और प्रशासनिक रूप से पिछड़ा हुआ है। ग्राम प्रधानों को अधिकार दिए बिना विकास संभव नहीं है।”

सभा में वक्ताओं ने संताल परगना के भौगोलिक पिछड़ेपन, शिक्षा की कमजोर स्थिति और पारंपरिक व्यवस्था की अनदेखी पर चिंता जताई। उन्होंने कहा कि विकास योजनाएं गांव तक तभी प्रभावी ढंग से पहुंचेंगी, जब ग्राम सभा को वास्तविक अधिकार दिए जाएंगे।

ग्राम स्वशासन पर जोर

सभा का मुख्य फोकस ग्राम स्वशासन को मजबूत करने पर रहा। वक्ताओं ने पेसा एक्ट को पूर्ण रूप से लागू करने की मांग करते हुए कहा कि आदिवासी क्षेत्रों में ग्राम सभा सर्वोच्च संस्था है। यदि योजनाओं का निर्णय ग्राम सभा के माध्यम से हो, तो भ्रष्टाचार और असमानता पर काफी हद तक रोक लग सकती है।

10 सूत्री मांगों का ज्ञापन

कार्यक्रम के अंत में ग्राम प्रधान मांझी संगठन की ओर से उपायुक्त के माध्यम से राज्यपाल के नाम 10 सूत्री मांगों का ज्ञापन सौंपा गया। इन मांगों को संगठन ने लंबे समय से लंबित बताया और शीघ्र समाधान की अपेक्षा जताई।

प्रमुख मांगें इस प्रकार हैं:

  • ग्राम प्रधान और लेखा होड़ के लिए जीवन एवं स्वास्थ्य बीमा की व्यवस्था
  • परंपरागत पदाधिकारियों को नियमित मानदेय प्रदान करना
  • ग्राम सभा को विकास कार्यों की स्वीकृति और निगरानी का अधिकार
  • पेसा एक्ट को संताल परगना क्षेत्र में पूर्ण रूप से लागू करना
  • 1932 खतियान के आधार पर स्थानीय नीति लागू करना
  • ग्राम प्रधान परिषद का गठन
  • बंदोबस्त विभाग की निष्पक्ष जांच
  • सर्वे–सेटलमेंट प्रक्रिया में पारदर्शी सुधार
  • सिंचाई के लिए गंगा नदी से पाइपलाइन की व्यवस्था
  • 60–40 नियोजन नीति को रद्द करना

बड़ी संख्या में उपस्थिति

सभा में संताल परगना के विभिन्न जिलों से आए ग्राम प्रधान, मांझी संगठन के पदाधिकारी, सामाजिक कार्यकर्ता और ग्रामीण बड़ी संख्या में उपस्थित रहे। सभी ने एक स्वर में मांगों का समर्थन किया और कहा कि यदि सरकार ने इन मुद्दों को गंभीरता से नहीं लिया, तो आंदोलन को और व्यापक किया जाएगा।

संताल परगना की पहचान और भविष्य

वक्ताओं ने कहा कि संताल परगना केवल एक प्रशासनिक इकाई नहीं, बल्कि आदिवासी संस्कृति, परंपरा और स्वशासन की पहचान है। इसे कमजोर करने वाली नीतियों पर पुनर्विचार आवश्यक है, ताकि क्षेत्र का समग्र विकास हो सके।

न्यूज़ देखो: स्वशासन की मांग फिर हुई मुखर

संताल परगना स्थापना दिवस पर ग्राम प्रधानों की यह एकजुटता बताती है कि पारंपरिक स्वशासन और संवैधानिक अधिकारों का मुद्दा अब फिर केंद्र में आ गया है। 10 सूत्री मांगों के जरिए संगठन ने सरकार और प्रशासन को स्पष्ट संदेश दिया है। अब देखना होगा कि इन मांगों पर ठोस पहल कब होती है। हर खबर पर रहेगी हमारी नजर।

अपनी जड़ों की रक्षा, अपने अधिकारों की बात

संताल परगना की पहचान ग्राम स्वशासन से जुड़ी है और इसे मजबूत करना सभी की जिम्मेदारी है।
यदि आप भी मानते हैं कि ग्राम सभा और पारंपरिक व्यवस्था को सम्मान मिलना चाहिए, तो इस खबर को साझा करें। अपनी राय कमेंट में रखें और जागरूकता फैलाकर इस आवाज को और मजबूत बनाएं।

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Saroj Verma

दुमका/देवघर

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