
#हुसैनाबाद #शिक्षा_विभाग : गरीब छात्राओं के लिए आई साइकिलें महीनों से बिना वितरण खुले मैदान में पड़ी जंग खा रही हैं
- हुसैनाबाद प्रखंड के पुराने कार्यालय परिसर में सैकड़ों साइकिलें लावारिश हालत में पड़ी मिलीं।
- शिक्षा विभाग की लापरवाही से अब तक छात्राओं को साइकिल वितरण नहीं हो सका।
- असेंबलिंग का कार्य पूरा होने के बावजूद महीनों से वितरण अटका हुआ है।
- स्थानीय लोग बोले – सरकार की योजना बेकार, अधिकारी सिर्फ आश्वासन दे रहे हैं।
- बारिश और धूप में पड़ी साइकिलें अब जंग खा रही, करोड़ों की सरकारी संपत्ति बर्बाद।
हुसैनाबाद प्रखंड के पुराने कार्यालय भवन परिसर में सरकारी योजना के तहत भेजी गई सैकड़ों साइकिलें महीनों से खुले मैदान में पड़ी हुई हैं। झारखंड सरकार ने छात्राओं को विद्यालय आने-जाने में सुविधा देने के लिए इन साइकिलों का वितरण करने का निर्णय लिया था। परंतु विभागीय लापरवाही के कारण यह योजना अब ठप पड़ गई है और साइकिलें बेकार होती जा रही हैं। स्थानीय नागरिकों में इस स्थिति को लेकर भारी आक्रोश है।
सरकारी योजना पर विभागीय सुस्ती का साया
झारखंड सरकार की मुक्त साइकिल वितरण योजना का उद्देश्य था कि गरीब परिवारों की बेटियों को स्कूल आने-जाने में सहूलियत मिले और शिक्षा के प्रति उनमें रुचि बढ़े। लेकिन हुसैनाबाद में यह योजना लापरवाही का शिकार हो गई है। सूत्रों के अनुसार, एक महीने से अधिक समय से प्रखंड कार्यालय के पुराने भवन परिसर में सैकड़ों साइकिलें धूल और बारिश में पड़ी हैं। न कोई देखरेख, न कोई छत — नतीजा यह है कि साइकिलों में अब जंग लगना शुरू हो गया है।
स्थानीय लोगों का कहना है कि साइकिलें कई महीने पहले ही पहुंच चुकी थीं और उनकी असेंबलिंग का कार्य भी पूरा कर लिया गया था। इसके बावजूद वितरण नहीं किया गया। शिक्षा विभाग की ओर से हर बार कोई न कोई नया बहाना बनाया जा रहा है — कभी कहा जाता है कि लाभुकों की सूची तैयार नहीं हुई, तो कभी वितरण की तिथि तय नहीं हुई है।
करोड़ों की सरकारी संपत्ति पर उठ रहे सवाल
खुले मैदान में पड़ी इन साइकिलों को देखकर यह स्पष्ट है कि सरकारी संपत्ति की सुरक्षा को लेकर अधिकारियों में कोई जिम्मेदारी नहीं बची है। बारिश और धूप के कारण साइकिलों की हालत खराब हो रही है, टायर फट रहे हैं, और पेंट उखड़ चुका है। यह स्थिति न केवल सरकारी धन की बर्बादी है, बल्कि यह गरीब छात्राओं के सपनों पर कुठाराघात जैसा है। जिन बच्चों को इन साइकिलों से शिक्षा की राह आसान बननी थी, वे आज भी पैदल स्कूल जाने को मजबूर हैं।
स्थानीय लोगों और अभिभावकों का आक्रोश
स्थानीय अभिभावकों का कहना है कि विभागीय अधिकारी सिर्फ आश्वासन देकर टालमटोल कर रहे हैं। कई बार वे कार्यालय का चक्कर लगा चुके हैं, परंतु हर बार कोई नया कारण बता दिया जाता है। एक अभिभावक ने कहा,
“सरकार तो योजना चला रही है, लेकिन यहां अधिकारी उसे बर्बाद कर रहे हैं। जिन बच्चियों को साइकिल मिलनी चाहिए थी, वे अब निराश हो रही हैं।”
ग्रामीणों ने यह भी बताया कि खुले मैदान में पड़े साइकिलों की सुरक्षा के लिए कोई चौकीदार या निगरानी व्यवस्था नहीं की गई है। रात में कई बार लोग वहां से पुर्जे निकालने की कोशिश भी कर चुके हैं। लेकिन विभाग अब भी अनदेखी कर रहा है।
विभागीय अधिकारियों का दावा
जब शिक्षा विभाग के स्थानीय अधिकारी से इस संबंध में पूछा गया, तो उन्होंने कहा,
“लाभुकों की सूची तैयार की जा रही है। जल्द ही साइकिलों का वितरण कर दिया जाएगा।”
हालांकि यह वही जवाब है जो पिछले कई महीनों से दिया जा रहा है। जनता अब विभाग की बातों पर विश्वास खो चुकी है। लोगों का कहना है कि अगर साइकिलें समय पर वितरित नहीं की गईं तो उनका गुणवत्ता मूल्य भी समाप्त हो जाएगा और छात्राओं तक योजना का लाभ नहीं पहुंच पाएगा।
सरकारी जवाबदेही की मांग
हुसैनाबाद के सामाजिक कार्यकर्ताओं ने मांग की है कि इस मामले में उच्च स्तरीय जांच कर जिम्मेदार अधिकारियों पर कार्रवाई की जाए। उन्होंने कहा कि जब राज्य सरकार गरीब छात्राओं को आगे बढ़ाने के लिए इतनी बड़ी योजना चला रही है, तो स्थानीय प्रशासन का दायित्व है कि वह इसे गंभीरता से लागू करे। यदि ऐसा नहीं हुआ तो भविष्य में छात्राओं के लिए चलाई जाने वाली अन्य योजनाओं पर भी लोगों का भरोसा उठ जाएगा।
न्यूज़ देखो: लापरवाही की कीमत चुका रही हैं गरीब बेटियां
हुसैनाबाद की यह तस्वीर दिखाती है कि सरकार की मंशा अच्छी होते हुए भी अगर जमीनी स्तर पर प्रशासनिक जवाबदेही नहीं हो तो योजनाएं निष्प्रभावी हो जाती हैं। विभागीय अधिकारियों की सुस्ती ने न केवल सरकारी संपत्ति को नुकसान पहुंचाया है, बल्कि गरीब छात्राओं के अधिकार भी छीन लिए हैं। अब जरूरी है कि प्रशासन तत्काल कार्रवाई करे और जिम्मेदारों पर सख्त कदम उठाए।
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जागरूक नागरिक बनें, बेटियों की शिक्षा का साथ दें
जब सरकार बेटियों की शिक्षा के लिए संसाधन दे रही है, तो समाज को भी अपनी जिम्मेदारी निभानी होगी। अभिभावक और स्थानीय प्रतिनिधि इस मामले पर आवाज उठाएं ताकि साइकिलें जल्द से जल्द छात्राओं तक पहुंच सकें।
अब समय है कि हम सब मिलकर यह सुनिश्चित करें कि कोई भी योजना फाइलों में बंद न रह जाए। अपनी राय कमेंट करें, खबर को साझा करें और हुसैनाबाद की इन बेटियों के हक की लड़ाई में अपनी आवाज जोड़ें।




