
#गुमला #धार्मिक_यात्रा : गोविंदपुर गांव से मुस्लिम समाज के सैकड़ों जायरीन परंपरागत जियारत के लिए अजमेर शरीफ रवाना हुए
- गोविंदपुर गांव से सैकड़ों जायरीन अजमेर शरीफ के लिए रवाना।
- ख्वाजा गरीब नवाज हजरत मोइनुद्दीन चिश्ती की दरगाह पर चादरपोशी।
- क्षेत्र में अमन-चैन, भाईचारा और खुशहाली की दुआ।
- ईमाम निज़ाम कादरी रब्बानी की अगुवाई में दुआ व सलातो-सलाम।
- यात्रा को सामाजिक सौहार्द और धार्मिक एकता का प्रतीक बताया गया।
जारी प्रखंड के गोविंदपुर गांव से सैकड़ों की संख्या में मुस्लिम जायरीन जियारत के लिए अजमेर शरीफ रवाना हुए। इस धार्मिक यात्रा के दौरान पूरे गांव में आस्था, उत्साह और भाईचारे का माहौल देखने को मिला। परंपरागत रूप से हर वर्ष आयोजित होने वाली इस जियारत को लेकर जायरीनों और ग्रामीणों में विशेष उत्साह देखा गया। रवाना होने से पूर्व गोविंदपुर गांव धार्मिक रंग में रंगा नजर आया, जहां लोग एक-दूसरे को मुबारकबाद देते दिखे।
परंपरागत रूप से होती है अजमेर शरीफ की जियारत
इस अवसर पर गोविंदपुर के सीक्रेट्री जाकिर खान ने संयुक्त रूप से जानकारी देते हुए बताया कि गोविंदपुर सहित आसपास के क्षेत्रों से मुस्लिम समाज के लोग वर्षों से परंपरा के अनुसार अजमेर शरीफ की जियारत के लिए जाते आ रहे हैं। यह यात्रा केवल धार्मिक आस्था तक सीमित नहीं है, बल्कि सामाजिक एकता और आपसी भाईचारे को भी मजबूत करती है।
उन्होंने बताया कि जायरीन राजस्थान स्थित अजमेर शरीफ दरगाह पहुंचकर ख्वाजा गरीब नवाज हजरत मोइनुद्दीन चिश्ती की मजार पर चादरपोशी करते हैं और पूरे जारी प्रखंड सहित क्षेत्रवासियों के लिए अमन-चैन, खुशहाली और तरक्की की दुआ मांगते हैं।
दुआ और सलातो-सलाम के साथ हुई रवानगी
जायरीनों की रवानगी से पूर्व गोविंदपुर कब्रिस्तान परिसर में विशेष दुआ और सलातो-सलाम का आयोजन किया गया। इस धार्मिक कार्यक्रम की अगुवाई ईमाम निज़ाम कादरी रब्बानी ने की। दुआ के दौरान सभी जायरीनों की सकुशल यात्रा और सुरक्षित वापसी की कामना की गई।
ईमाम निज़ाम कादरी रब्बानी ने दुआ में कहा कि ख्वाजा गरीब नवाज की दरगाह से मांगी गई दुआ कभी खाली नहीं जाती और समाज में मोहब्बत, भाईचारा और इंसानियत का पैगाम फैलाती है।
गांव में दिखा भाईचारे और उत्साह का माहौल
जायरीनों की विदाई के दौरान गांव में बुजुर्गों से लेकर युवाओं तक में खास उत्साह देखने को मिला। कई ग्रामीण जायरीनों को विदा करने के लिए उपस्थित रहे और यात्रा के लिए शुभकामनाएं दीं। महिलाओं और बच्चों ने भी जायरीनों की सलामती के लिए दुआएं मांगी।
ग्रामीणों ने बताया कि यह धार्मिक यात्रा समाज को जोड़ने का काम करती है और लोगों में आपसी प्रेम और सद्भावना को बढ़ाती है।
सामाजिक सौहार्द का प्रतीक बनी धार्मिक यात्रा
ग्रामीणों का कहना है कि अजमेर शरीफ की जियारत केवल एक धार्मिक परंपरा नहीं, बल्कि सामाजिक सौहार्द और आपसी भाईचारे का प्रतीक है। इस तरह की यात्राएं विभिन्न समुदायों के बीच शांति और सहयोग का संदेश देती हैं।
स्थानीय लोगों ने कहा कि ख्वाजा गरीब नवाज की दरगाह से इंसानियत और प्रेम का संदेश मिलता है, जिसे लेकर जायरीन अपने क्षेत्र में लौटते हैं और समाज को जोड़ने का कार्य करते हैं।
न्यूज़ देखो: आस्था से मजबूत होता सामाजिक ताना-बाना
गोविंदपुर से अजमेर शरीफ की यह जियारत बताती है कि धार्मिक आस्था किस तरह समाज में एकता, शांति और भाईचारे को मजबूत करती है। ऐसे आयोजन आपसी सौहार्द को बढ़ावा देते हैं और क्षेत्र में सकारात्मक माहौल बनाते हैं।
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मोहब्बत और भाईचारे का संदेश आगे बढ़ाएं
धार्मिक यात्राएं जब समाज को जोड़ने का काम करें, तो उनका महत्व और बढ़ जाता है।
अगर आप भी ऐसे आयोजनों को सामाजिक एकता की मिसाल मानते हैं, तो अपनी राय साझा करें।
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