
#हुसैनाबाद #यातायात_अव्यवस्था : प्रशासन की सख्ती के 24 घंटे के भीतर ही टेम्पो चालकों ने फिर मेन रोड और ओवरब्रिज पर कब्जा जमाकर आदेशों की खुली अवहेलना कर दी
- हुसैनाबाद (जपला) में जाम मुक्ति अभियान प्रशासन की एक दिन में ही हवा।
- कार्यपालक पदाधिकारी शशि शेखर सुमन के निर्देश के बावजूद टेम्पो चालकों ने फिर सड़क पर अवैध पार्किंग शुरू की।
- मेन रोड और रेलवे ओवरब्रिज पर पार्किंग से यातायात पूरी तरह ठप होने की स्थिति।
- स्थानीय लोगों का आरोप—टेम्पो चालकों की मनमानी और रंगदारी के आगे प्रशासन लाचार।
- निरंतर निगरानी और कड़े दंड के बिना यातायात सुधार की उम्मीद नगण्य।
हुसैनाबाद शहर में बढ़ते जाम और अव्यवस्थित यातायात को ठीक करने के लिए प्रशासन ने शुक्रवार को सख्त कदम उठाए थे। नगर पंचायत के कार्यपालक पदाधिकारी शशि शेखर सुमन के निर्देश पर गश्ती दल ने जपला–छत्तरपुर मुख्य मार्ग और रेलवे ओवरब्रिज पर खड़े टेम्पो हटवाए और चालकों को निर्धारित टैक्सी स्टैंड में वाहन लगाने का आदेश दिया। चेतावनी भी दी गई थी कि अब सड़क जाम किसी भी कीमत पर बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। लेकिन आश्चर्यजनक रूप से 24 घंटे भी नहीं बीते कि शनिवार को टेम्पो चालकों ने फिर उसी जगह कब्जा कर लिया। मेन रोड और ओवरब्रिज दोबारा पार्किंग और अनौपचारिक स्टैंड में तब्दील कर दिए गए, मानो प्रशासनिक आदेश उनके लिए कोई महत्व ही न रखते हों।
24 घंटे में प्रशासनिक कार्रवाई फेल क्यों हो गई?
स्थानीय नागरिकों की मानें तो यह पहली बार नहीं है जब प्रशासन की कार्रवाई मात्र कुछ घंटों में बेअसर होती दिखी हो। हर बार टेम्पो चालकों पर कार्रवाई होती है, लेकिन अगले ही दिन या कई बार उसी शाम वे फिर सड़क पर खड़े मिल जाते हैं। इससे लोगों में यह धारणा बन चुकी है कि हुसैनाबाद में यातायात को लेकर कोई स्थायी नीति लागू ही नहीं हो पाती।
टेम्पो चालकों की रंगदारी—समस्या की जड़?
लोगों का कहना है कि टेम्पो चालक समूह वर्षों से सड़क के महत्वपूर्ण हिस्सों को मनमाने ढंग से कब्जा कर रहे हैं। कई बार वे पुलिस या प्रशासनिक टीमों को भी चुनौतीपूर्ण रवैया दिखाते देखे गए हैं। ऐसे में प्रशासन अक्सर बेबस या निष्क्रिय दिखता है, जिसके कारण चालकों के हौसले और भी बढ़ जाते हैं।
“कार्रवाई सिर्फ दिखावे की होती है। एक दिन हटाते हैं और दूसरे दिन फिर वही हाल। जब तक प्रशासन लगातार निगरानी और सख्त दंड की नीति नहीं बनाएगा, सुधार असंभव है।”
— स्थानीय निवासी
यातायात की समस्या ने आम जिंदगी को किया त्रस्त
मेन रोड, ओवरब्रिज और बाजार क्षेत्र में अवैध पार्किंग की वजह से स्कूल जाने वाले बच्चों, दफ्तर जाने वालों और आम राहगीरों को रोजाना भारी परेशानियों का सामना करना पड़ता है। पैदल चलना तक मुश्किल हो गया है और जाम के कारण छोटी दूरी तय करने में भी कई-कई मिनट लग जाते हैं।
व्यापारियों का कहना है कि जाम के कारण ग्राहक दुकानों तक पहुंचने में हिचकिचाते हैं, जिससे कारोबार पर सीधा असर पड़ रहा है।
प्रशासन की सख्ती—सिर्फ कागजों तक?
नागरिकों का आरोप है कि प्रशासन का प्रयास केवल अभियान आधारित और अस्थायी होता है। निरंतर निगरानी, नियमित गश्ती और वास्तविक रूप से कड़े दंडात्मक कदम न होने के कारण टेम्पो चालकों में भय नाम की कोई चीज नहीं रह गई है। यही वजह है कि किसी भी कार्रवाई का असर लंबे समय तक टिक नहीं पाता।
क्या अब बदलेगी तस्वीर?
लोग अब प्रशासन की मंशा और क्षमता दोनों पर सवाल उठा रहे हैं। यह देखने वाली बात होगी कि क्या इस बार अधिकारी सिर्फ एक-दो दिन की कार्रवाई तक सीमित रहेंगे या फिर हुसैनाबाद की यातायात व्यवस्था को वास्तव में सुधारने के लिए दृढ़ और निरंतर कदम उठाए जाएंगे।
हुसैनाबाद की जनता के मन में बस एक ही सवाल है कि कब और कैसे लगेगी जाम पर लगाम?
न्यूज़ देखो: हुसैनाबाद की अव्यवस्था पर काटनी होगी ‘लगाम’
हुसैनाबाद का जाम सिर्फ सड़क पर खड़े टेम्पो की वजह से नहीं, बल्कि प्रशासनिक ढिलाई और अस्थायी कार्यशैली का परिणाम है। जब तक नियमों का पालन सुनिश्चित करने के लिए स्थायी तंत्र नहीं बनता, तब तक समस्या जस की तस बनी रहेगी। यातायात सुधार के लिए मजबूत इच्छाशक्ति और लगातार निगरानी अनिवार्य है।
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नागरिकों की भागीदारी से ही बदलेगा शहर का सिस्टम
यातायात व्यवस्था तभी सुधरेगी जब प्रशासन और नागरिक दोनों मिलकर सहयोग करें। नियमों का पालन, अवैध कब्जे का विरोध और शिकायत दर्ज करने में सक्रियता शहर को बेहतर बना सकती है।
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