
#गढ़वा #पर्यावरण : नगर परिषद की गाड़ियों से दानरो नदी में कचरा डालने का आरोप, सुप्रीम कोर्ट की रोक के बावजूद जारी लापरवाही
- सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बावजूद गढ़वा में नदी में कचरा डाले जाने का मामला।
- नगर परिषद की गाड़ियाँ सीधे दानरो नदी में कचरा उड़ेल रही हैं।
- स्थानीय व्यवसायी ज्योति प्रकाश ने इस लापरवाही की ओर दिलाया ध्यान।
- विशेषज्ञों ने जताई चिंता—जल प्रदूषण, मच्छरों का प्रकोप और बीमारियों का खतरा।
- विभा प्रकाश ने प्रशासन की नीति को बताया दोहरा रवैया और ठोस समाधान की मांग की।
गढ़वा। सुप्रीम कोर्ट ने साफ निर्देश दिया है कि नदियों में किसी भी प्रकार का कचरा डालना प्रतिबंधित है, फिर भी गढ़वा नगर परिषद की गाड़ियाँ खुलेआम दानरो नदी में कचरा डाल रही हैं। यह न केवल अदालत की अवमानना है बल्कि स्थानीय पर्यावरण और जनता के स्वास्थ्य के लिए गंभीर खतरा भी है।
प्रशासन की दोहरी नीति पर सवाल
नगर परिषद प्रशासन एक ओर अवैध अतिक्रमण हटाने और कानून पालन की दुहाई देता है, तो वहीं दूसरी ओर खुद सुप्रीम कोर्ट के आदेश की धज्जियाँ उड़ाता है। स्थानीय व्यवसायी ज्योति प्रकाश ने बताया कि नगर परिषद की गाड़ियाँ नियमित रूप से नदी में कचरा डाल रही हैं। उनका कहना है कि यह प्रशासन का दोहरा रवैया उजागर करता है—जहाँ जनता से सख़्ती, वहीं खुद नियम तोड़ने में कोई हिचक नहीं।
विशेषज्ञों की चेतावनी
पर्यावरण विशेषज्ञों का मानना है कि नदी में कचरा डालना लंबे समय में गहरी समस्याएँ पैदा करेगा। जल प्रदूषण, मच्छरों का प्रकोप और संक्रामक बीमारियों का खतरा बढ़ेगा। साथ ही दानरो जैसी महत्वपूर्ण नदी भविष्य में मृतप्राय स्थिति की ओर बढ़ सकती है।
विभा प्रकाश का तीखा बयान
गढ़वा नगर परिषद अध्यक्ष पद की भावी प्रत्याशी विभा प्रकाश ने इस प्रकरण पर गंभीर आपत्ति जताई। उन्होंने कहा:
विभा प्रकाश: “सुप्रीम कोर्ट के स्पष्ट आदेश के बावजूद गढ़वा की नदियों में कचरा डालना न केवल गैरकानूनी है बल्कि जनता के स्वास्थ्य और पर्यावरण के लिए खतरा भी है। नगर परिषद को चाहिए कि तुरंत यह प्रथा बंद करे और कचरा प्रबंधन के लिए स्थायी समाधान निकाले।”
उन्होंने आगे कहा कि जब प्रशासन खुद ही नियम तोड़ने लगे, तो व्यवस्था पर गंभीर सवाल खड़े होते हैं। गढ़वा की जनता साफ, सुरक्षित और पारदर्शी प्रशासन की हकदार है।
जनता में नाराज़गी और प्रशासन की जिम्मेदारी
नगर परिषद की यह कार्यशैली जनता में गहरा असंतोष पैदा कर रही है। लोग पूछ रहे हैं कि आखिर क्यों प्रशासन सुप्रीम कोर्ट के आदेश को नजरअंदाज कर रहा है। अब देखना होगा कि क्या इस मामले पर प्रशासन कोई ठोस कदम उठाता है या गढ़वा की नदियाँ इसी तरह उपेक्षा की शिकार होती रहेंगी।

न्यूज़ देखो: जनता के स्वास्थ्य से खिलवाड़
गढ़वा की यह घटना साफ करती है कि प्रशासन का रवैया जनहित और पर्यावरण संरक्षण के विपरीत है। जब कानून की रक्षा करने वाली संस्थाएँ ही नियम तोड़ेंगी तो जनता का विश्वास कैसे कायम रहेगा? प्रशासन को तुरंत जवाबदेही तय करनी होगी और स्थायी समाधान लागू करना होगा।
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स्वच्छ गढ़वा की ओर जनता का संकल्प
अब समय है कि नागरिक भी सजग होकर आवाज उठाएँ और कचरा प्रबंधन के मुद्दे पर प्रशासन को जवाबदेह बनाएं। अपनी राय कॉमेंट करें और इस खबर को ज़्यादा से ज़्यादा लोगों तक पहुँचाएँ ताकि गढ़वा की नदियों को बचाने का सामूहिक प्रयास हो सके।